कश्मीर के पत्थरबाजों को दिल्ली पुलिस दिखाएगी रोजगार की राह
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कश्मीर के पत्थरबाजों को दिल्ली पुलिस दिखाएगी रोजगार की राह

बीते आठ महीने में कौशल विकास के लिये पंजीकृत 3240 युवाओं में से 1555 ने प्रशिक्षण पूरा कर लिया है और इनमें से लगभग 1100 को नौकरी मिल गयी है.

सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी करते कश्मीर के युवा. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: दिल्ली में जेबतराशी जैसे छोटे मोटे अपराध करने वालों को कौशल विकास के जरिये उनकी काबिलियत के मुताबिक रोजगार दिलाने की मुहिम में सफलता के बाद सरकार अब कश्मीर के पत्थरबाजों को नौकरी-पेशे के रास्ते पर लायेगी. राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनसीडीसी) मामूली अपराधों में लिप्त युवाओं और गंभीर अपराधों के सजायाफ्ता दोषियों के परिजनों को रोजगार दिलाने के लिये अगस्त 2017 में शुरू किये गये पायलट प्रोजेक्ट की दिल्ली में कामयाबी के बाद अब इसे कश्मीर सहित अन्य राज्यों में आगे बढ़ायेगा. केन्द्रीय कौशल विकास मंत्रालय के तहत कार्यरत एनसीडीसी और दिल्ली पुलिस द्वारा लागू इस परियोजना की राष्ट्रीय राजधानी में सफलता के बाद इसके दूसरे चरण में कश्मीर, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी आपराधिक गतिविधियों में लिप्त युवाओं को रोजगार की राह दिखायी जायेगी.

  1. दिल्ली पुलिस ने अगस्त 2017 में शुरू किया था पायलट प्रोजेक्ट.
  2. कश्मीर सहित चार राज्यों ने भेजा दिल्ली पुलिस को प्रस्ताव.
  3. दिल्ली के आठ पुलिस थानों से शुरु किया गया था कौशल प्रशिक्षण.

पायलट प्रोजेक्ट का सकारात्मक नतीजा
दिल्ली पुलिस के संयुक्त आयुक्त संजीव बेनीवाल की अगुवाई में इस पायलट प्रोजेक्ट को अंजाम दिया गया. बेनीवाल ने बताया कि दिल्ली के आठ पुलिस थानों से शुरु किया गया कौशल प्रशिक्षण अब 20 थानों तक पहुंच गया है और बीते आठ महीने में कौशल विकास के लिये पंजीकृत 3240 युवाओं में से 1555 ने प्रशिक्षण पूरा कर लिया है और इनमें से लगभग 1100 को नौकरी मिल गयी है.

राहुल के जीवन की दिशा बदली
कीर्ति नगर इलाके में छोटी-मोटी चोरी के मामलों में पकड़े गये 20 वर्षीय राहुल (बदला हुआ नाम) ने इस योजना के तहत मिली कांउसेलिंग के बाद जीवन की दिशा बदलने का फैसला किया जो अब 20 हजार रुपये के वेतन की नौकरी मिलने के बाद सही साबित हुआ. उन्होंने बताया कि कुछ साल पहले पिता की मौत के बाद उसकी पढ़ाई और गुजर बसर के लिये मां को घरेलू सहायिका का काम करना पड़ा. कुछ समय बाद पढ़ाई छूटने और अपराध की ओर मुड़ने के कारण उसके जीवन की दिशा ही बदल गयी.

राहुल ने बताया ‘‘बाद में इस योजना से जुड़ने के कारण कंप्यूटर में मेरी रुचि को देखते हुये मुझे हार्डवेयर कोर्स कराया गया. छह महीने का कोर्स पूरा करने के बाद मुझे गत मार्च में एक नामी पैथलेब कंपनी में सहायक अभियंता की नौकरी के लिये चुना जाना मेरे जीवन का निर्णायक मोड़ साबित हुआ.’’

दोषी की बेटी ने संभाला परिवार
इसी तरह हत्या के अपराध में सजायाफ्ता एक कैदी की 19 वर्षीय बेटी ने ‘नर्सिंग’ में अपनी रुचि को देखते हुये प्रशिक्षण कोर्स पूरा कर फोर्टिस अस्पताल में 16 हजार रुपये की नौकरी पाने में कामयाबी हासिल की. उन्होंने बताया कि पिता को उम्रकैद होने के बाद मां को दो बच्चों के भरण पोषण के लिये सिलाई कढ़ाई का काम करना पड़ा. बाद में बेटी ने युवा परियोजना के तहत नर्सिंग का कोर्स कर नौकरी पाने में कामयाबी हासिल की. अब वह अपने भाई की पढ़ाई का दायित्व उठा रही है.

अपराधियों को उनकी योग्यता के मुताबिक रोजगार
बेनीवाल ने बताया कि इस योजना में 16 से 25 साल तक की उम्र के अपराधियों को शैक्षिक योग्यता के मुताबिक, एनसीडीसी द्वारा डाटा ऑपरेटर, हार्डवेयर, कुकिंग और होटलों में सेवाकर्मी सहित 45 तरह के कोर्स का प्रशिक्षण दिया गया. साथ ही, हत्या जैसे गंभीर अपराधों में सजायाफ्ता दोषियों के परिवार की महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, ब्यूटीशियन और नर्सिंग सहित अन्य कामों का प्रशिक्षण दियाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि अपराधियों की थाने में पहले कांउसलिंग की जाती है, इसके बाद प्रशिक्षण शुरू होता है.

कश्मीर सहित चार राज्यों ने भेजा प्रस्ताव
उन्होंने बताया कि हाल ही में कश्मीर सहित चार राज्य सरकारों ने इस परियोजना को उनके राज्यों में भी लागू करने का प्रस्ताव दिल्ली पुलिस के पास भेजा है. कौशल विकास मंत्रालय की मंजूरी मिलने के बाद अब इसे एसीडीसी और दिल्ली पुलिस जल्द ही शुरू कर देगी. बेनीवाल ने कहा ‘‘दिल्ली के अनुभव से साफ हो गया है कि कश्मीर में पत्थर मारने के लिये उठे हाथों के हुनर को सही दिशा देकर रोजगार की राह पर ले जाना आसान है.’’

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