बचपन से लेकर... केरल की मुख्य सचिव ने खोला रंगभेद के खिलाफ मोर्चा, जानिए कौन हैं शारदा मुरलीधरन
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बचपन से लेकर... केरल की मुख्य सचिव ने खोला रंगभेद के खिलाफ मोर्चा, जानिए कौन हैं शारदा मुरलीधरन

Sharada Muralidharan: केरल की मुख्य सचिव शारदा मुरलीधरन ने रंग के खिलाफ आवाज उठाई है. उन्होंने कहा कि वो सांवलेपन की वजह से अपमानजनक बातें सहती आ रही हैं. साथ ही और कई बातें कही. 

बचपन से लेकर... केरल की मुख्य सचिव ने खोला रंगभेद के खिलाफ मोर्चा, जानिए कौन हैं शारदा मुरलीधरन

Sharada Muralidharan: देश में कई ऐसे मामले आते हैं जहां पर लोग रंगभेद का शिकार होते हैं. गांव से लेकर शहर तक बड़े - बड़े लोगों के ऊपर रंग की वजह से टिप्पणी की जाती है. अब केरल की मुख्य सचिव शारदा मुरलीधरन ने रंग के खिलाफ खुली आवाज उठाई है. उन्होंने पूछा कि रंग को क्यों बदनाम किया जाता है. उन्होंने ये भी कहा कि वो सांवलेपन की वजह से अपमानजनक बातें सहती आ रही हैं. जानिए आखिर कौन हैं शारदा मुरलीधरन?

शारदा मुरलीधरन के फेसबुक पोस्ट ने लिंग और नस्लीय पक्षपात से जुड़े मुद्दे पर सोशल मीडिया पर एक बड़ी बहस छेड़ दी है, जिसमें विभिन्न लोगों ने उनका समर्थन किया है. उन्होंने अपनी पोस्ट में बचपन को याद करते हुए लिखा कि कैसे बचपन से ही उन्हें अपने काले रंग के कारण कमतर महसूस होता था, जब तक कि उनके अपने बच्चों ने उन्हें यह एहसास नहीं कराया कि काला रंग खूबसूरत होता है. उन्होंने ये भी कहा कि पहले मुझे बुरा लगता था लेकिन अब तो आदत सी हो गई है. 

कौन हैं शारदा मुरलीधरन
1990 बैच की आईएएस अधिकारी मुरलीधरन ने सितंबर 2024 में अपने पति डॉ. वी. वेणु से केरल के मुख्य सचिव का पद संभाला था. बता दें कि उन्होंने 2006 से 2012 तक छह साल तक केरल सरकार के कुदुम्बश्री मिशन का नेतृत्व करके अपनी यात्रा शुरू की. इस मिशन का उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाना, गरीबी कम करना और मानवाधिकारों के दृष्टिकोण पर जोर देना था. इसके बाद उन्होंने दिसंबर 2013 तक भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में मुख्य परिचालन अधिकारी के रूप में कार्य किया.

2014 से 2016 तक मुरलीधरन ने पंचायती राज मंत्रालय में संयुक्त सचिव के रूप में कार्य किया, जिसमें उन्हें ग्राम पंचायत विकास योजनाओं (जीपीडीपी) की अवधारणा बनाने और उन्हें बढ़ावा देने का काम सौंपा गया था, जिसमें ग्राम सभा के माध्यम से नागरिक भागीदारी पर जोर दिया गया था. एक तरफ जहां वो अपने कामों की वजह से चर्चित रहती हैं वहीं दूसरी तरफ रंगभेद को लेकर चर्चाओं में आ गईं हैं.

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