28 अगस्त: आज ही के दिन कुछ यूं हुआ था Cold Drink का आविष्कार, जानें पूरी कहानी
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28 अगस्त: आज ही के दिन कुछ यूं हुआ था Cold Drink का आविष्कार, जानें पूरी कहानी

जानिए 28 अगस्त की उन कहानियों के बारे में जिन्होंने इतिहास के पन्नों में बनाई अपनी जगह

फोटो साभार-इंटरनेट

नई दिल्ली: वर्ष 1963 में आज ही के दिन सिविल राइट्स (Civil Rights) के महान अमेरिकी नेता मार्टिन लूथर किंग, जूनियर (Martin Luther King, Junior) ने 'आई हैव ए ड्रीम' नाम का मशहूर भाषण दिया था. वाशिंगटन डीसी के लिंकन मेमोरियल पर इस भाषण को सुनने के लिए 2 लाख लोग इकट्ठा हुए थे. इस भाषण में रंगभेद को मिटाकर एक स्वस्थ समाज बनाने का आह्वान किया गया था. नस्लीय भेदभाव (Racial Discrimination) के खिलाफ अहिंसक लड़ाई लड़ने के लिए वर्ष 1964 में मार्टिन लूथर किंग को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उन्हें अमेरिका का महात्मा गांधी भी कहते हैं. 1959 में मार्टिन लूथर किंग भारत भी आए थे. उन्होंने अपनी भारत यात्रा को 'अहिंसा-धाम की तीर्थयात्रा' कहा था.

भारतीय सेना ने आज ही के दिन हाजी पीर पोस्ट पर लहराया था तिरंगा
वर्ष 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के दौरान, आज ही के दिन भारतीय सेना ने हाजी पीर पोस्ट पर कब्जा किया था. ये एक बहुत बड़ी सफलता थी. भारत के लिए हाजी पीर पोस्ट बहुत महत्वपूर्ण था क्योंकि यहां कब्जे के बाद श्रीनगर और पुंछ की दूरी सिर्फ 50 किलोमीटर रह गई. इस पर कब्जा नहीं होने के चलते पहले पुंछ से श्रीनगर जाने के लिए सैनिकों को करीब 650 किलोमीटर का रास्ता तय करना पड़ता. हाजी पीर का इलाका करीब 1920 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. और सामरिक दृष्टि से ये भारत के लिए बेहद अहम है. लेकिन सबसे बड़ा दुर्भाग्य ये है कि बाद में हाजी पीर पोस्ट पाकिस्तान को सौंप दिया गया था.

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आज ही के दिन कुछ यूं हुआ था कोल्ड ड्रिंक का आविष्कार
अमेरिकी फार्मासिस्ट, केलब ब्राधम ने वर्ष 1898 में आज ही के दिन Soft Drinks का आविष्कार किया था. उन्होंने न्यू बर्न (New Bern) में एक ड्रग कंपनी खोली और कार्बोनेटेड वाटर (Carbonated Water), चीनी (Sugar), पेप्सिन (Pepsin) और कोला नट एक्सट्रेक्ट (Kola Nut Extract) को मिलाकर एक ड्रिंक बनाया, जिसका नाम दिया गया 'Brad's Drink'. तब इसका आविष्कार पाचन की एक दवा के तौर पर किया गया था, लेकिन बाद में लोग इसे Cold Drink की तरह पीने लगे.

आज के दिन को प्रसिद्ध उर्दू शायर फिराक गोरखपुरी का दिन भी कहा जाता है
प्रसिद्ध उर्दू शायर और लेखक फिराक गोरखपुरी का जन्म वर्ष 1896 में आज ही के दिन गोरखपुर में हुआ था. उनका असली नाम रघुपति सहाय था. अपनी युवा अवस्था में भारतीय सिविल सर्विस को छोड़कर, उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने का फैसला लिया था. फिराक गोरखपुरी महात्मा गांधी के साथ असहयोग आन्दोलन में शामिल हुए, जिसके बाद उन्हें 18 महीनों तक जेल में रहना पड़ा था. फिराक गोरखपुरी की रचना 'गुल-ए-नगमा' के लिए उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

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इन्हीं के बदौलत शास्त्रीय संगीत को विदेशों में मिली पहचान
वर्ष 1928 में आज ही के दिन मशहूर सितार वादक उस्ताद विलायत खान का जन्म अविभाजित पूर्वी बंगाल में हुआ था. आठ वर्ष की उम्र में पहली बार विलायत खान के सितार वादन की रिकॉर्डिंग हुई थी. उन्होंने पंडित रविशंकर और उस्ताद अली अकबर खान के साथ मिलकर भारतीय शास्त्रीय संगीत को विदेशों में पहचान दिलाई. उस्ताद विलायत खान ने ही सांझ सारावली, कलावती और राग मांड-भैरव की रचना की थी.

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