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नई दिल्ली. कोरोना के प्रहार से पूरा देश उबर तक नहीं पाया था, तब तक डेंगू ने उत्तर भारत के इलाकों में त्राहिमाम मचा दिया. डेंगू के जितने केस पिछले साल में नहीं आए थे उतने पिछले एक महीने में आ गए हैं. उत्तर प्रदेश, बिहार दिल्ली समेत उत्तर भारत में लगातार डेंगू के मामले बढ़ रहे हैं. ऐसे में बकरी के दूध की डिमांड काफी ज्यादा बढ़ गई है. आलम ये है कि मार्केट में बकरी का दूध 1500 रुपये लीटर तक बिक रहा है.
आपको बता दें, ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है. जब भी डेंगू के केस बढ़ते हैं बकरी के दूध की डिमांड काफी बढ़ जाती है. लेकिन क्या वाकई में बकरी के दूध को पीने से डेंगू सही हो जाता है? इसका पूरा सच क्या है? आखिर क्यों डॉक्टर्स डेंगू में बकरी के दूध पीने की सलाह देते हैं? इन सवालों के जवाब हम आपको बताने जा रहे हैं.
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बकरी के दूध में विटामिन बी 6, बी 12, सी एवं डी की मात्रा कम पाई जाती है. इसमें फोलेट बाइंड करने वाले अवयव की मात्रा ज्यादा होने से फोलिक एसिड नामक आवश्यक विटामिन होता है. बकरी के दूध में मौजूद प्रोटीन गाय, भैंस की तरह जटिल नहीं होत, इसी वजह से इसे पचाना ज्यादा मुश्किल नहीं होता और यह आसानी से पच जाता है. साथ ही यह रक्त कणिकाओं की संख्या में बढ़ाने का काम भी करता है.
कुछ रिपोर्ट्स में सामने आया है कि बकरी के दूध में अहम चीज होती है, जिसका नाम है सेलेनियम. दरअसल, डेंगू में अहम खतरा सेलेनियम और प्लेटलेट काउंट का होता है. इससे बकरी के दूध से सेलेनियम शरीर को सेलेनियम मिलता है और इससे डेंगू से लड़ने में मदद मिलती है. यह गाय के दूध में भी होता है, लेकिन बकरी के दूध में मात्रा ज्यादा होती है. साथ ही बकरी का दूध अलग अलग मिनरल के पाचन में उपयोगी भी होता है.
दैनिक भास्कर में छपी एक खबर के मुताबिक अतिरिक्त निदेशक (स्वास्थ्य) एके सिंह का मानना है कि डेंगू पीड़ित मरीज को बकरी का दूध अथवा पपीता का जूस पिलाना ठीक नहीं है. इस पर अब तक कोई स्टडी नहीं की गई है. ऐसे में मरीज को बकरी का दूध पिलाना उचित नहीं है. डॉक्टर्स का यह भी कहना है कि यदि 10 में से 2 मरीज दूध पीने से ठीक हो गए तो इसे सही नहीं माना जाएगा, जब तक की सभी मरीजों पर यह प्रयोग सफल हो जाए.
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एसकेशर्मा के अनुसार डेंगू पीड़ित मरीजों को प्लेटलेट्स को लेकर ज्यादा चिंतित होने की जरूरत नहीं है, बल्कि उन्हें ब्लड की थिकनेस (रक्त का गाढ़ापन) पर ध्यान देना चाहिए. रक्त के गाढ़ापन में वृद्धि से मरीज को डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) की समस्या हो सकती है, जोकि जानलेवा साबित हो सकती है. इसलिए मरीज को लिक्विड भोजन (तरल खाद्य पदार्थ) ओआरएस युक्त पानी पीना चाहिए. बकरी के दूध से प्लेटलेट्स बढ़ते हैं इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इस तरह की भ्रांतियां झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा फैलाई जाती हैं. डेंगू जैसे लक्षणों वाले लोगों को योग्य डॉक्टरों से परामर्श लेना चाहिए और दवाओं के निर्धारित पाठ्यक्रम का पालन करना चाहिए.
गाजियाबाद के सीएमओ डॉ. भवतोष शंखधर ने मीडिया को बताया कि बकरी के दूध में गेस्ट्राइटिस होती है. इसे पीने के बाद उल्टी आ सकती है. इसलिए डेंगू के मरीज को बकरी का दूध नहीं देना चाहिए. प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए उचित खानपान और डॉक्टर्स की सलाह के अनुसार इलाज कराना चाहिए.
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