सुरक्षा क्षेत्र में राष्ट्र सेवा के लिए याद किए जाएंगे गिल : मोदी
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सुरक्षा क्षेत्र में राष्ट्र सेवा के लिए याद किए जाएंगे गिल : मोदी

सुरक्षा क्षेत्र में राष्ट्र सेवा के लिए याद किए जाएंगे गिल : मोदी

नई दिल्लीः  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के सबसे लोकप्रिय पुलिस अधिकारियों में से एक के. पी. एस. गिल के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए शुक्रवार (26 मई) को कहा कि पुलिसिंग और सुरक्षा के क्षेत्रों में उनकी देश सेवा को हमेशा याद किया जाएगा. पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक गिल का आज दोपहर निधन को गया. 82 वर्षीय पुलिस अफसर को पंजाब से उग्रवाद खत्म करने का श्रेय जाता है.

असम की एक दिवसीय यात्रा पर गये मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘केपीएस गिल को पुलिसिंग और सुरक्षा क्षेत्र में उनकी देश सेवा के लिए याद किया जाएगा. उनके निधन से बहुत दुख हुआ. मेरी संवेदनाएं.’’ 

बेहद कड़ाई के साथ पंजाब से उग्रवाद का खात्मा करने वाले चर्चित पुलिस अधिकारी केपीएस गिल का शुक्रवार (26 मई) को निधन हो गया. 82 वर्षीय गिल को गुर्दा संबंधी बीमारी थी. पंजाब में जब उग्रवाद अपने चरम पर था, उस दौरान दो बार प्रदेश के पुलिस महानिदेशक रहे गिल को सुरक्षा मामलों में बेहद अनुभवी माना जाता था. यहां तक कि उनकी सेवानिवृत्ति के बाद भी छत्तीसगढ़ और गुजरात सरकारों ने उनकी सेवा ली थी.

गिल असम के भी पुलिस महानिदेशक रहे हैं. पुलिस सेवा से अवकाश ग्रहण करने के बाद श्रीलंका ने वर्ष 2000 में लिट्टे के खिलाफ जंग के दौरान उनके अनुभवों का लाभ लिया था. सुरक्षा मामलों में महारत रखने वाले इस पुलिस अफसर ने आज (शुक्रवार, 26 मई) दोपहर दो बजकर पचपन मिनट पर सर गंगा राम अस्पताल में अंतिम सांस ली. गुर्दा संबंधी परेशानी के कारण वह 18 मई से अस्पताल में भर्ती थे.

स्पष्टवादी और आगे बढ़कर नेतृत्व करने वाले साहसी पुलिस अफसर गिल 1988 से 1990 तक और फिर 1991 से 1995 में अपनी सेवानिवृति तक पंजाब के पुलिस प्रमुख रहे. उन्हें पंजाब में खालिस्तानी आतंकवाद की कमर तोड़ने और अंतत: उसे जड़ से उखाड़ने का श्रेय जाता है.

गिल की सबसे बड़ी उपलब्धि मई 1988 में उनके नेतृत्व में हुए ‘ऑपरेशन ब्लैक थंडर’ को माना जाता है. इस अभियान के तहत अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में छुपे उग्रवादियों पर कार्रवाई की गयी थी. यह अभियान बेहद सफल रहा था, क्योंकि इस अभियान के दौरान 1984 के सैन्य अभियान ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ के मुकाबले गुरुद्वारे को बहुत कम नुकसान पहुंचा था. ऑपरेशन ब्लैक थंडर में करीब 67 सिख आतंकवादियों ने आत्मसमर्पण किया था और 43 मारे गये थे. गिल के नेतृत्व में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के दौरान पंजाब पुलिस पर मानवाधिकार उल्लंघनों के कई आरोप लगे.

वहीं गुजरात के 2002 दंगों के बाद केपीएस गिल को तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी का सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया गया था. दंगों के करीब दो महीने बाद नियुक्त हुए गिल ने पंजाब से विशेष रूप से प्रशिक्षित दंगा-निरोधी 1,000 अतिरिक्त पुलिसकर्मियों की तैनाती का अनुरोध किया था. उन्हें हिंसा पर काबू पाने का श्रेय दिया जाता है. नक्सलवादियों से निपटने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने 2006 में उन्हें अपना सलाहकार नियुक्त किया. हालांकि उनका यह कार्यकाल पंजाब जैसा सफल नहीं रहा क्योंकि 2007 में नक्सल हमले में 55 पुलिसकर्मी शहीद हो गये थे.

गिल कई वर्षों तक भारतीय हॉकी फेडरेशन के प्रमुख भी रहे. हालांकि उनका यह कार्यकाल विवादों से घिरा रहा. इस दौरान 2008 में फेडरेशन में भ्रष्टाचार के आरोप लगे जिसके बाद इंडियन ओलिंपिंक एसोसिएशन ने फेडरेशन को निलंबित कर दिया था. इस चर्चित पुलिस अफसर के करियर पर यौन उत्पीड़न का भी दाग है. उन पर 1988 में एक पार्टी के दौरान महिला के यौन उत्पीड़न का आरोप लगा और 1996 में उन्हें दोषी करार दिया गया.

गिल भारतीय पुलिस सेवा के 1957 बैच के असम कैडर के अधिकारी थे. उन्हें प्रतिनियुक्ति पर पंजाब भेजा गया था.

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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