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नयी दिल्ली : बिहार विधानसभा के कुछ महीने बाद होने वाले चुनाव के लिए नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जदयू-राजद-कांग्रेस गठबंधन को भाजपा ने सत्ता के वास्ते बनाया गया 'भ्रष्टाचार का काफिला' बताया है तो जदयू का दावा है कि नीतीश और लालू के एकजुट होने से अमनपसंद ताकतों के रास्ते आसान हो गए हैं।
भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, नीतीश-लालू का गठबंधन कुशासन के क्रूज पर करप्शन का काफिला है। इस गठबंधन में न तो कोई सैद्धांतिक समानता है और न ही बिहार के विकास के लिए कोई लक्ष्य। यह गठबंधन केवल सत्ता हासिल करने के लिए किया गया है जिसमें जनता का कोई सरोकार नहीं है। जदयू नेता एवं राज्यसभा सदस्य अली अनवर अंसारी ने कहा कि नीतीश कुमार और लालू प्रसाद के एकजुट होकर चुनाव लड़ने से अमन पसंद ताकतों के लिए रास्ते काफी आसान हो गए हैं। हमारी लड़ाई शुरू से ही प्रतिक्रियावादी ताकतों के खिलाफ रही है। हम शांति पसंद लोग हैं लेकिन कोई नफरत, द्वेष और लोगों की एकता को तोड़ने एवं बनावटी विकास की बात करता है तो हम उनके मंसूबों को कभी सफल नहीं होने देंगे।
उन्होंने कहा कि भाजपा चाहती है कि हमारा गठबंधन मुस्लिमपरस्त होने और उसका हिमायती होने का बखान करे ताकि उसे बाकी जनता को लामबंद करने का मौका मिल जाए। हम उन्हें ऐसा कोई मौका नहीं देंगे। हम हर तरह की एहतियात बरत रहे हैं ताकि बांटने वाली ताकतें परास्त हों।
नीतीश कुमार को गठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश करने के विचार के खिलाफ रहे राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने इस विषय पर सिर्फ इतना ही कहा कि धर्मनिरपेक्ष मतों का विभाजन रोका जाना चाहिए साथ ही हाई टेक प्रचार की बजाए जनता एवं उनके सरोकारों पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि गांव में लोगों से सीधे संवाद स्थापित किये जाने की जरूरत है अन्यथा नतीजे ठीक नहीं होंगे।
सिंह का संकेत नीतीश कुमार के हाईटेक चुनाव प्रचार करने की खबर की ओर था जिसमें बताया गया है कि बिहार के मुख्यमंत्री ने उस प्रचार टीम को चुनाव प्रचार का काम दिया है जिसने मोदी के लोकसभा चुनाव प्रचार की रणनीति तैयार की थी।
उल्लेखनीय है कि बिहार में 2010 के विधानसभा चुनाव में राजद-लोजपा गठबंधन और भाजपा-जदयू गठबंधन के बीच मुकाबला था। इसमें राजद गठबंधन को 25 सीटें मिली थी जबकि जदयू-भाजपा गठबंधन को 206 सीटों पर सफलता मिली थी। उस चुनाव में लालू प्रसाद को राजद गठबंधन के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार और लोजपा अध्यक्ष राम विलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस को उपमुख्यमंत्री घोषित किया गया था।
साल 2013 में जदयू-भाजपा का गठबंधन टूट गया था। अब लोजपा, भाजपा के साथ है तो राजद, जदयू के साथ। 2014 के लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 लोकसभा सीटों में भाजपा, लोजपा और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने मिलकर चुनाव लडा था और इस गठबंधन को 31 सीटें मिलीं। जदयू को दो सीटों पर और राजद को चार सीटों पर सफलता मिली। कांग्रेस को दो और राकांपा को एक सीट मिली।
केंद्रीय मंत्री एवं बिहार में भाजपा के एक प्रमुख सहयोगी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि जदयू-राजद-कांग्रेस के बीच गठबंधन के चलते बिहार के आगामी विधानसभा चुनाव के लिए राजग को ध्यानपूर्वक अपनी रणनीति तैयार करनी होगी। हमें अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है। कुशवाहा ने कुछ ही दिन पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की थी। रामविलास पासवान की लोजपा बिहार में भाजपा की एक अन्य सहयोगी पार्टी है। पासवान का कहना है कि लालू और नीतीश ने लोगों को धोखा दिया है और लोग एक बार फिर जंगल राज स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं।
महादलित नेता एवं बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी भी राज्य में आसन्न विधानसभा चुनाव की रणनीति में एक महत्वपूर्ण कोण बन कर उभरे हैं। हाल ही में मांझी ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की और राजग में शामिल होने की बात कही। मांझी, नीतीश कुमार के कट्टर विरोधी हैं। राजद और जदयू द्वारा नीतीश कुमार को गठबंधन का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने के बीच बिहार विधानसभा चुनाव में मुकाबला काफी संघषर्पूर्ण बनता नजर आ रहा है।
इस चुनाव में राजद से निष्कासित सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव की भूमिका भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है जिन्होंने राजद से छह वर्ष के लिए निष्कासित होने के बाद जन अधिकार पार्टी बनाने की घोषणा की है।