जमीन खरीद मामला: NCP नेता धनंजय मुंडे को SC से राहत, FIR दर्ज करने के बॉम्बे HC के आदेश पर रोक
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि FIR दर्ज होने के बाद ही जांच होती है, जबकि महाराष्ट्र सरकार की तरफ से कहा गया कि शुरूआती जांच दर्ज होने के बाद जांच शुरू हो गई थी.
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नई दिल्ली: जमीन खरीद के एक मामले में महाराष्ट्र विधान परिषद में नेता विपक्ष और एनसीपी नेता धनंजय मुंडे को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट की ग्रीष्मकालीन पीठ ने FIR दर्ज करने के बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच के आदेश पर रोक लगा दी है. साथ ही महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किया है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि FIR दर्ज होने के बाद ही जांच होती है, जबकि महाराष्ट्र सरकार की तरफ से कहा गया कि शुरूआती जांच दर्ज होने के बाद जांच शुरू हो गई थी.
कोर्ट ने कहा कि हम इस बात को लेकर चिंतित है कि हाई कोर्ट 226 का इस्तेमाल करते हुए FIR दर्ज करने के आदेश दे दिए. वहीं महाराष्ट्र सरकार की तरफ से कहा गया कि धनंजय मुंडे के खिलाफ केस गंभीर और मजबूत है. धनंजय मुंडे प्रभावशाली व्यक्ति है और इसलिए पहले FIR दर्ज नहीं हो पाई थी.
दरअसल, बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच के आदेश खिलाफ धनंजय मुंडे ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी. याचिका में हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग की गई थी.इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने जमीन खरीद मामले में उनके खिलाफ FIR दर्ज करने के आदेश दिया था.NCP के धनंजय मुंडे ने सुप्रीम कोर्ट से हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग की है.यह जमीन अंबोजागाई तहसील के पूस स्थित बेलखंडी देवस्थान पर स्थित है। यह सरकारी जमीन बेलखंडी मठ को गिफ्ट के तौर पर दी गई थी। आरोप है कि यह जमीन धनंजय मुंडे ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए काफी कम दाम पर सहकारी शक्कर कारखाने के लिए खरीदी थी.
यह जमीन कृषि योग्य थी लेकिन दस्तावेजों में इसे अकृषि योग्य भूमि करार दिया गया और मामूली दाम लगाए गए.यही नहीं मामले की जानकारी सामने आने के बाद भी जांच अधिकारियों ने कार्रवाई नहीं की.इसलिए उन अधिकारियों के खिलाफ भी अब गाज गिर सकती है. उपहार में मिली किसी भी जमीन की खरीदी बिक्री नहीं की जा सकती है, लेकिन इस प्रकरण में दबाव तंत्र का इस्तेमाल किया गया.मुंडे ने 1991 में जगमित्र शुगर फैक्ट्री के लिए 24 एकड़ जमीन खरीदी की थी.गैर कानूनी तरीके से हुए इस सौदे के विरोध में राजाभाउ फड नाम की संस्था ने पहले पुलिस थाने में शिकायत की.जब पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की तो उन्होंने अदालत की शरण ली थी.