ZEE24 घाटे द्वारा इस साल पूजा में कुछ ऐसा ही कदम उठाया, जनता के अंदर नेताओं की जो छवि बनी हुई है वह अपने जीवन में कैसे दोस्तों के साथ मिलते हैं. अड्डा द्वारा इसको दिखने की प्रयास किया गया.
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कोलकाता: दूर्गा पूजा की अगर बात करें तो जेहन में पश्चिम बंगाल और कोलकाता का चित्र आंखें के सामने याद आने लगता है. साथ ही वहां के पूजा पंडाल, अड्ड़ा कल्चर और अलग-अलग थीम पर बने पूजा पंडाल, जो आम लोगों को "सामाजिक संदेश" देती हैं. पूजा पंडाल के कलाकार समाज को और भी अच्छा और बेहतर बनाने के लिए प्रेरित करते हैं. अगर आपने कोलकाता की दुर्गा पूजा नहीं देखी तो आप इसकी अनुभूति को महसूस नहीं कर पाएंगे. इन सभी के बीच "अड्डा कल्चर" जिसमें बड़े, बूढ़े और बच्चे सब एक सूत्र में बंध जाते हैं और झूम उठते हैं, "अड्डा कल्चर ", तो बंगाल की लाइफ लाइन मानी जाती है.
इन सभी के बीच अगर राजनीति की बात करें तो मानो, "सहद में नीम" मिलाना जैसे होता है. लेकिन "राजनितिक पार्टियों और उनके प्रतिनिधि इन पांच दिनों एक दूसरे के प्रति वही भावना रखते हैं जो पुरे साल रखते हैं या सच में वह भी मां दुर्गा द्वारा दिए गए आशीर्वाद और प्रेम से एक दूसरे से गले मिलते हैं.
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तो है आप सच सोच रहे हैं दुर्गा पूजा की इन पांच दिनों में सभी राजनीतिक दलों के लोग एक सूत्र में बंधकर, प्रेम के फव्वारे बन कर अड्डा, गाना और अपने जीवन में प्रेम के प्रतिभाओं को एक दूसरे के साथ बांटना, राजनीतिक तौर पर यही बंगाल को सभी राज्यों से अलग करते हैं.
ZEE24 घाटे द्वारा इस साल पूजा में कुछ ऐसा ही कदम उठाया, जनता के अंदर नेताओं की जो छवि बनी हुई है वह अपने जीवन में कैसे दोस्तों के साथ मिलते हैं. अड्डा द्वारा इसको दिखने की प्रयास किया गया. सभी एक दूसरे के गानों में साथ देते हुए प्रेम को अपने अंदर मसहूसू करते हुए, उन घटनाओं को बताते हुए अपने बचपन से तरुण अवस्था में घर के आंगन से खेलते-खेलते, पाड़ा (महौली) और स्कूल के दोस्तों के साथ दुर्गा पूजा घूमना और परिवार की साथ उन हसीन लम्हे एक साथ बिताए हुए उन यादगार लम्हे को याद किया.
मां दुर्गा जो ब्रह्मागुण की प्रतीक है, उनका वाहन शेर रजोगुण का प्रतीक है और महिसासुर जो तमो गुण से नस्वर है. मां दुर्गा अपने साथ रजोगुण को साथ लेकर तमोगुण का वध करती है. बड़ी ही खूबसूरती से बीजेपी प्रवक्ता स्वरूप प्रसाद घोष ने समझाया की मां दुर्गा पुरे साल हमें ब्रह्मा गुण प्रदान करें और हमारे अंदर जो तमोगुण हैं हम उसका नास कर सकें.
सभी ने अपने कॉलेज और युवा अवस्था के उन दिनों को याद करते हुए एक सूर में गाना गाया, जिससे बंगाल के हर पीढ़ी के युवा वर्ग सुनकर आज भी अंदर से मचल उठते हैं, 1992 में अंजान दत्त का गाया हुआ ये गाना, "चाकरी टा आमी पेए गेछी बेला सुनछो, ए खून आर केऊ अटकते पारबे ना, एटा की.' इस गाने में सभी नेता के ख़ुशी चेहरे पर झलक उठी.
हुगली के सांसद लॉकेट चटर्जी अपने आप को भी नहीं रोक सकी गुरु देव रविंद्रनाथ टैगोर की लिखी हुई रविंद्र संगीत "प्राणो बोरिय त्रिसा होरिए, मोरा आरो आरो आरो दाओ प्राण" गया.
अंत में तृणमूल के काउंसलर अनन्य बनर्जी ने अपने संस्कृत नित्य से पूजा के इस प्रेम भरी राजनीतिक अड्डे का समापन किया. सभी नेताओं ने ZEE मीडिया को धन्यबाद किया इस बेहतरीन पूजा के अड्डे में सभी को एक मंच में लाने के लिए. बंगाल की दुर्गा पूजा की यही खूबी है, की सभी वर्ग के लोग अपने अंदर की ईर्ष्या को खत्म करके दुश्मन भी दोस्त बन जाते हैं.
इस अड्डे में ब्रात्य बासु तृणमूल बिधायक, बीजेपी संसद लॉकेट चटर्जी, सीपीएम शतरूप घोष, कांग्रेस के रिजु घोषाल, स्वरूप प्रसाद घोष बीजेपी के प्रवक्ता, राहुल चक्रवर्ती तृणमूल प्रवक्ता, अनन्य बंद्योपाध्याय तृणमूल काउंसलर और जयप्रकाश मजूमदार बीजेपी सहित अन्य नेताओं ने मंच साझा किया.