नक्सल आरोपी के लैपटॉप से मिली चिट्ठी, पीएम मोदी समेत कई बड़े नेता थेे इनके निशाने पर...
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नक्सल आरोपी के लैपटॉप से मिली चिट्ठी, पीएम मोदी समेत कई बड़े नेता थेे इनके निशाने पर...

लैपटॉप से एक ऐसी चिठ्ठी मिली है जिसमें राजीव गांधी हत्याकांड जैसी जघन्य घटना को फिर से दोहराने की बात कही गई है...

पुणे की अदालत में पेशी के दौरान पब्लिक प्रॉसिक्यूटर उज्ज्वला पवार ने इस बात का सनसनीखेज खुलासा किया (फोटो साभार: Video Grab)

नई दिल्ली: भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में 5 लोगों को गिरफ्तार करने के बाद एक आरोपी सुरेन्द्र गाड्लिंग जोकि नागपुर में इंडियन एसोशिएशन ऑफ पीपल्स लॉयर्स (IAPL) में वकील है, को गुरुवार की सुबह पुणे की एक अदालत में रिमांड के लिए पेश किया गया, जबकि बाकी चार आरोपियों (सुधीर धावले, रोना विल्सन, सोमा सेन और महेश राउत) को गुरुवार की दोपहर 3:00 बजे शिवाजी नगर कोर्ट में रिमांड के लिए पेश किया गया, जहां अदालत ने सभी आरोपियों को 14 जून तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया. इन आरोपियों में से एक के लैपटॉप से एक ऐसी चिठ्ठी (ई-मेल) मिली है, जिसमें राजीव गांधी हत्याकांड जैसी जघन्य घटना को फिर से दोहराने की बात कही गई है.

  1. पुणे के भीमा-कोरेगांव हिंसा में नक्सलियों के पैसे का इस्तेमाल किया गया था
  2. राजीव गांधी हत्याकांड जैसी घटना को फिर से दोहराने की बात आई सामने
  3. भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में 5 लोगों की गिरफ्तार के बाद सबसे बड़ा खुलासा

अदालत में पेश की गई नक्सली चिट्ठी
पुणे की अदालत में पेशी के दौरान पब्लिक प्रॉसिक्यूटर उज्ज्वला पवार ने एक सनसनीखेज खुलासा किया. उन्होंने अदालत को बताया कि जांच एजेंसी को गिरफ्तार किए गए एक आरोपी के लैपटॉप से एक लेटर बरामद हुआ है. यह लेटर एक कॉमरेड द्वारा दूसरे कॉमरेड को लिखा गया है. सरकारी वकील ने इस लेटर का एक हिस्सा अदालत को पढ़कर सुनाया, जिसमें राजीव गांधी जैसे हत्‍याकांड को अंजाम दिए जाने की साजिश का जिक्र है. इसके साथ ही कुछ हथियार उपलब्ध होने का भी जिक्र इस लेटर में किया गया है. हालांकि इस लेटर की और कोई जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है, लेकिन सरकारी वकील ने इस लेटर की कॉपी को कॉन्फिडेंशियल बताते हुए अदालत में सबमिट किया. 

चिठ्ठी में राजीव गांधी हत्याकांड जैसी घटना को अंजाम दिए जाने का जिक्र
सूत्रों के मुताबिक लेटर में कहीं भी मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम नहीं लिखा गया है, लेकिन जांच एजेंसियां को शक है कि माओवादी राजीव गांधी जैसे हत्याकांड को अंजाम देने की फिराक में थे. इसका मतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश के कुछ बड़े नेता इनके निशाने पर थे. इस चिट्ठी की कॉपी जी मीडिया के पास भी मौजूद है.

 

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रोना विल्सन के लैपटॉप से मिली नक्सली चिठ्ठी
पुणे पुलिस ने बुधवार को मुंबई के गोवंडी इलाके से सुधीर ढवले, नागपुर से वकील सुरेंद्र गडलिंग, महेश राउत और प्रो. सोमा सेन के अलावा दिल्ली से रोना विल्सन को गिरफ्तार किया था. कदम ने कहा कि रोना विल्सन के दिल्ली स्थित उनके फ्लैट से पेन ड्राइव, हार्ड डिस्क और कुछ आपत्तिजनक दस्तावेज मिले हैं. विल्सन के कंप्यूटर में पुलिस को एक पत्र मिला है जिसे फरार नक्सली नेता मिलिंद तलतुंबडे ने लिखा है. यह पत्र जनवरी महीने में भेजा गया था. इस पत्र में कांग्रेस के कुछ नेताओं और भारत रत्न डॉ.भीमराव अंबेडकर के नाती भारिप बहुजन महासंघ के अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर के नाम का उल्लेख है.

पुलिस ने कहा- जांच जारी है
इस चिट्ठी के बारे में गुरुवार को पुणे में हुई पुलिस की प्रेस कांफ्रेंस में पुणे के जॉइंट पुलिस कमिश्नर रवींद्र कदम ने कहा था कि बुधवार को अरेस्ट किए सभी लोग सीपीआई(एम) के सदस्य हैं. भीमा-कोरेगाव हिंसा से इन लोगों का संबंध है क्या यह अभी तक पता नहीं चला है. इन सभी के नक्सलियों से संबंध हैं. एक खुफिया लेटर पुलिस के हाथ लगा है जिसकी जांच हो रही है. यह लेटर दिल्ली से अरेस्ट किए गए रोना विल्सन के लैपटॉप में मिला है जो कि जनवरी की है. ये लेटर मिलिंद तेलतुंबडे ने रोना विल्सन को लिखा है. जिस पत्र में प्रकाश आंबेडकर और कांग्रेस नेताओं के नाम हैं. पुलिस अब इस लेटर की जांच करेगी. 

भीमा-कोरेगांव हिंसा में नक्सलियों के पैसे का इस्तेमाल
पुणे के भीमा-कोरेगांव हिंसा में नक्सलियों के पैसे का इस्तेमाल किया गया था. छापेमारी में जब्त किए गए कागजात इसके सबूत हैं. इसी सबूत के आधार पर पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है. बृहस्पतिवार को पुणे के संयुक्त पुलिस आयुक्त रवींद्र कदम ने यह जानकारी दी. संयुक्त पुलिस आयुक्त कदम ने कहा कि 1 जनवरी 2018 को भीमा-कोरेगांव में हुई जातीय हिंसा एलगार परिषद के प्रमुख आयोजक सुधीर ढवले सहित गिरफ्तार किए गए सभी पांचों आरोपियों के नक्सलियों से संबंध हैं. लेकिन, इस कार्यक्रम में शामिल हुए अन्य 250 संगठनों का नक्सलियों से कोई संबंध सामने नहीं आया है.

क्या है मामला
पिछले साल 31 दिसंबर को पुणे के शनिवार वाड़ा में ब्रिटिश सेना और पेशवा बाजीराव द्वितीय के बीच हुए ऐतिहासिक युद्ध की 200वीं वर्षगांठ पर एलगार परिषद आयोजित किया गया था. इस दिन दलित नेता ब्रिटिश फौज की जीत का जश्न मनाते हैं. उनका मानना है कि ब्रिटिश फौज में महार टुकड़ी ने यह जीत दर्ज की थी. इस परिषद के बाद झड़प में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. उसके बाद पूरा महाराष्ट्र जातीय हिंसा की चपेट में आ गया था.

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