Trending Photos
नई दिल्ली. कोरोना महामारी के बाद भारत में लोगों की जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy) यानी जीने की औसत उम्र दो साल कम हो गई है. ये बात मुंबई के इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर पॉपुलेशन स्टडीज (IIPS) के वैज्ञानिकों ने एक स्टेटिकल एनलाइसेस के आधार पर बताई. IIPS के अनुसार भारत के महिलाओं और पुरुषों की लाइफ एक्स्पेक्टेंसी 2019 की तुलना में 2 साल घट गई है.
IIPS के असिस्टेंट प्रोफेसर सूर्यकांत यादव ने कहा कि पुरुषों की लाइफ एक्स्पेक्टेंसी 67.5 साल हो गई है, ये 2019 में 69.5 साल थी. वहीं महिलाओं की लाइफ एक्स्पेक्टेंसी 72 साल हो गई है पिछले साल ये 69.8 हो गई है. इस स्टडी में ‘length of life inequality’ यानी आबादी के भीतर जीवन की अवधि में भिन्नता पर भी गौर किया गया और पाया गया कि 35-69 साल के पुरुषों पर कोविड का प्रभाव सबसे अधिक था. इस स्टडी में कहा गया कि 35-79 साल के लोगों में सामान्य वर्षों की तुलना में 2020 में कोविड संक्रमण की वजह से अधिक मौतें हुईं और 35-69 आयु वर्ग का इसमें सबसे ज्यादा हिस्सा रहा.
ये भी पढ़ें: वैक्सीन निर्माताओं से आज PM मोदी करेंगे चर्चा, 100 करोड़ डोज देने के बाद पहली बैठक
IIPS की ये स्टडी देश में कोरोना से होने वाली मृत्यु दर (Covid Deaths) के पैटर्न को देखने के लिए कंडक्ट किया गया था. दुनिया भर में कोविड-19 के चलते पिछले साल की तुलना में इस साल सबसे ज्यादा मौतें हुईं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, मार्च 2020 से अब तक कोविड-19 के कारण 4.5 लाख लोगों की मौत हुई है. हालांकि डेटा एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह आंकड़ा सिर्फ 4.5 लाख नहीं है, बल्कि इससे कहीं ज्यादा है.
IIPS के वैज्ञानिकों ने विश्लेषण के लिए '145-nation Global Burden of Disease' (GBD) स्टडी के साथ-साथ ‘कोविड इंडिया एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (API) पोर्टल’ द्वारा जुटाए डेटा का भी इस्तेमाल किया. इस स्टडी में पाया गया कि भारत में 2 साल लाइफ एक्स्पेक्टेंसी रेट में गिरावट हुई है. ये आंकड़ें चौंकाने वाले हैं.
ये भी पढ़ें: बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए हमले को लेकर शिवसेना का केंद्र पर निशाना, सामना में कह दी ये बात
IIPS की स्टडी के अनुसार भारत की तुलना में अमेरिका, इंग्लैंड और वेल्स में लाइफ एक्स्पेक्टेंसी रेट में 1 साल से ज्यादा की गिरावट हुई है. जबकि स्पेस में इसमें 2.28 साल की गिरावट देखने को मिली. यादव ने कहा, ‘लाइफ एक्स्पेक्टेंसी के आंकड़े को बढ़ाने के लिए पिछले दशक में जो भी प्रयास किए गए, कोविड-19 के प्रभाव से वे सभी बेकार हो गए हैं. हमें नए फेज में वापस आने में अब सालों लग जाएंगे.’
LIVE TV