#IndiaKaDNA: 6 साल में आदिवासी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर कार्य प्रारंभ हुए- अर्जुन मुंडा
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#IndiaKaDNA: 6 साल में आदिवासी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर कार्य प्रारंभ हुए- अर्जुन मुंडा

छह साल में मोदी सरकार के आने के बाद से आदिवासियों के लिए ढेर सारी योजनाएं प्रांरभ हुई हैं.

#IndiaKaDNA: 6 साल में आदिवासी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर कार्य प्रारंभ हुए- अर्जुन मुंडा

नई दिल्‍ली: Zee News के इंडिया का DNA E-Conclave में बोलते हुए केंद्रीय आदिवासी कल्‍याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि छह साल में मोदी सरकार के आने के बाद से आदिवासियों के लिए ढेर सारी योजनाएं प्रांरभ हुई हैं. अर्जुन मुंडा ने कहा कि आजादी के बाद से 70 वर्षों तक आदिवासियों के कल्‍याण के लिए ठोस योजनाएं नहीं बनाई गईं. इसका नतीजा ये हुआ कि ये समाज पिछड़ा रह गया. लेकिन 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के सत्‍ता में आने के बाद आदिवासियों के कल्‍याण के लिए ऐतिहासिक योजनाएं प्रारंभ की गई हैं.

उन्‍होंने कहा कि इससे पहले आदिवासियों के नाम पर केवल सियासत हुई. उनका इस्‍तेमाल केवल वोट बैंक के रूप में हुआ. कोई काम जमीनी स्‍तर नहीं हुआ. इसका नतीजा ये निकला कि आदिवासियों का अन्‍य राज्‍यों की ओर पलायन यानी माइग्रेशन हुआ. अब कोरोना काल में मजदूरों का माइग्रेशन एक बड़ी समस्‍या के रूप में उभरा. लिहाजा केंद्र सरकार अब ऐसी योजनाएं बना रही है जिससे स्‍थानीय लोगों को राज्‍य स्‍तर पर ही काम-धंधे मिलें. लोगों को पलायन नहीं करना पड़े.

अर्जुन मुंडा ने कहा कि आदिवासी समाज प्रकृति के बीच सरलता, सादगी से रहने वाला समाज है. सरकार उनकी जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए प्रयासरत है. आदिवासियों का पलायन एक बड़ा मुद्दा है. संबंधित राज्‍यों में ही उनको रोजगार कैसे मिले, केंद्र सरकार इसके लिए योजनाएं और स्‍कीम चला रही है. इसका असर ये हो रहा है कि उनकी जिंदगी में सुधार हो रहा है और उनको आने वाले दिनों में उनको गरीबी, बदहाली के चलते अन्‍य राज्‍यों में पलायन नहीं करना पड़ेगा.

नरेंद्र सिंह तोमर
इससे पहले कोरोना काल में किसान योद्धा बनकर उभरा है. इसकी बानगी इस बात से समझी जा सकती है कि पिछले साल की तुलना में इस बार फसल की पैदावार में बंपर बढ़ोतरी हुई है. इंडिया का DNA E-Conclave में ये बात केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कही. गेहूं का बंपर उत्‍पादन हुआ, इस साल गेहूं उत्‍पादन 357 मीट्रिक टन हुआ. सरकार के फैसलों के केंद्र में किसान है.किसानों ने गांवों को कोरोना मुक्‍त रखा.

कृषि मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के केंद्र में पूरी तरह से किसान है. इसीलिए ही जहां दुनिया में पूरी तरह से लॉकडाउन की वजह से जन-जीवन ठप हो गया लेकिन गांव बहुत ज्‍यादा प्रभावित नहीं हुए. किसान की जिंदगी बहुत ज्‍यादा प्रभावित नहीं हुई. एक तरफ जहां गांव कोरोना से मुक्‍त बने हुए हैं वहीं सरकार ने ऐसे उपाय और नीतियां बनाई हैं जिससे किसान की जिंदगी पहले की तुलना में ज्‍यादा आसान बनी है.

अहम बातें:
लॉकडाउन में किसानों को लाभ हुआ
ग्रीष्‍म ऋतु की बुआई पिछली साल की तुलना में 45 प्रतिशत अधिक हुई
सरकार ने किसानों को 72 हजार करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है
सरकार की कोशिश किसानों का उत्‍पादन बढ़ाने की है
किसान बीमा योजना के तहत किसानों को मदद दी गई
सरकार की कोशिश की किसानों को उत्‍पादन का सही मूल्‍य मिले

रामविलास पासवान
इससे पहले देश को दिशा देने वाले 'इंडिया का DNA E-Conclave में बातचीत के दौरान केंद्रीय खाद्य उपभोक्ता मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि वन नेशन, वन राशन कार्ड योजना पर काम जारी है. पासवान ने कहा कि मंत्रालय ने लक्ष्य से 200% ज्यादा काम किया. गरीबों को मुफ्त में अनाज दिया गया. 

पासवान ने बातचीत के दौरान कहा, "मोदी सरकार ने ग्राहकों के लिए नया उपभोक्ता कानून बनाया, जिसका लाभ सबको मिलेगा. पुराने उपभोक्ता कानून में बदलाव किया गया. देश में अनाज की कोई कमी नहीं है. जमाखोरी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे. 

मोदी सरकार के बड़े फैसलों की जानकारी देते हुए पासवान ने कहा, "किसान किसी भी राज्य में फसल बेच सकते हैं. 5 साल में चावल-गेहूं की कीमतें नहीं बढ़ी हैं. सरकार ने फसलों का समर्थन मूल्य बढ़ाया है. सोने पर हॉल मार्किंग जरूरी की गई है." 

प्रवासी मजदूरों के सवाल पर उन्होंने कहा, "मसला केवल राज्य बनाम केंद्र का नहीं है. राज्यों की अपनी समस्याएं और क्षमताएं हैं. बाहर से आए मजदूरों के व्यवस्थाएं करना राज्य सरकारों के लिए इतना आसान नहीं था. कुछ राज्यों ने इस समस्या का बेहतर ढंग से प्रबंधन किया. इसमें यूपी की योगी सरकार ने अच्छा काम किया."

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