चिदंबरम की तरफ से पेश कपिल सिब्बल ने दलील देते हुए कहा कि हमने एक अर्जी फ़ाइल की है जिसमें ट्रांसक्रिप्ट की जानकारी मांगी है.
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नई दिल्ली: ईडी मामले में पी चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है. चिदंबरम की तरफ से पेश कपिल सिब्बल ने दलील देते हुए कहा कि हमने एक अर्जी फ़ाइल की है जिसमें ट्रांसक्रिप्ट की जानकारी मांगी है. PMLA के कानून के तहत अगर कोई सबूत मेरे खिलाफ लिया जाता है तो वो ट्रायल में मेरे खिलाफ काम आएगा, इसलिए मुझे उस सबूत की जानकारी होनी चाहिये.
चिदंबरम के वकील ने कहा- अगर ED मेरे खिलाफ आरोपों को लाती है, मुझसे सवाल करती है, मेरे जवाब रिकॉर्ड पर लेती है, तो ये आरोपी का अधिकार हो जाता है कि उन जवाब को भी कोर्ट के सामने रख सके. अभिषेक मनु सिंघवी ने आपातकाल के समय के एक फैसले का जिक्र किया जिसमें आरोपी के अधिकारों का जिक्र किया गया है. उन्होंने कहा कि चिदंबरम के खिलाफ जो भी आरोप PMLA के अंतर्गत लगाए गए वो 2009 में PMLA में जोड़े गए, जबकि भ्रष्टाचार का मामला 2007 का था, कानून में जोड़े गए प्रावधान retrospective नहीं apply किए जा सकते.
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पी चिदंबरम के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि जिस PMLA के तमाम धारा के तहत चिदंबरम को आरोपी बनाया गया वो धाराएं पैसों के लेन-देन के समय मौजूद ही नहीं थीं. आप एक शख्स को ऐसे अपराध के लिये मुख्य आरोपी (Kingpin) सिद्ध करने में लगे हैं, जो अपराध उस वक़्त पर मौजूद ही नहीं था.
चिदंबरम के वकील ने कहा- दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा कि चिदंबरम सवालों का घुमा फिरा के जवाब दे रहे थे, इसी आरोप के चलते मेरी रिमांड मांगी गई और अंतरिम राहत ख़त्म करने की मांग जांच एजेंसी ने की. क्या किसी व्यक्ति को जांच एजेंसी के अनुसार जवाब देने के लिए बाध्य किया जा सकता है, ये क्या अनुच्छेद 21 के खिलाफ नहीं होगा.
चिंदबरम के वकील सिंघवी ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट का फैसले का आधार था कि मैं जांच में सहयोग नहीं कर रहा और कानून से भाग सकता हूं लेकिन चिंदबरम तो हमेशा पूछताछ के हाजिर होता रहे हैं, जब भी उन्हें बुलाया जाता है. अगर CBI के मनमुताबिक वो जवाब नहीं दे रहे तो इसका मतलब ये नहीं कि वो जांच से बच रहे है. इस केस में अपराध की गंभीरता का हवाला दिया जा रहा है. हाईकोर्ट के जज ने भी अपने फैसले में इसका बार-बार जिक्र किया है. लेकिन गंभीरता बड़ा "सब्जेक्टिव टर्म" है. CRPC में 7 साल तक की सज़ा को कम गंभीरता वाला अपराध माना जाता है.
इसके साथ ही ED केस में पी चिदंबरम की गिरफ्तारी पर कल तक रोक जारी रहेगी. कल 2 बजे फिर सुनवाई होगी. चिदंबरम की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी और कपिल सिब्बल ने पूरी की बहस. कल ED की ओर से सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता पक्ष रखेंगे.
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दरअसल, चिदंबरम ने ईडी की गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट में लगाई हुई है जिस पर सुनवाई हो रही है. कपिल सिब्बल का आरोप है कि ईडी ने जांच को कानूनी प्रकिया से नहीं किया, न तो केस डायरी बनाई और न ही किसी ऐसे दस्तावेज को साझा किया जो आरोपी को दिया जाना था. कपिल सिब्बल ने आरोप लगाया था कि ईडी ने जो हलफनामा फ़ाइल किया उसे पहले ही मीडिया में रिलीज कर दिया गया, ईडी के वकील से सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने विरोध किया.
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ED ने चिदंबरम से ट्विटर अकाउंट के बारे में पूछा लेकिन प्रॉपर्टी पर कभी सवाल नहीं किए: सिब्बल
कपिल सिब्बल ने कहा था कि 2017 में एफआई होने के बाद से जांच में कुछ नहीं हुआ, ये मीडिया ट्रायल हो रहा है. चिदंबरम पर आरोप लगाए जा रहा हैं कि उनकी बहुत सारी प्रॉपर्टी हैं, अगर एक भी गलत प्रॉपर्टी मिल जाये तो मैं ये याचिका वापस ले लूंगा. सिब्बल ने कहा था कि 6 जून 2018 को केवल एक बार सीबीआई ने बुलाया. पूरी जांच ही संविधान के आर्टिकल 21 के खिलाफ है. जोकि मुझे फेयर जांच और फेयर ट्रायल का अधिकार देते हैं. कपिल ने कहा था कि ईडी ने चिदंबरम से पूछा कि क्या आपका ट्विटर एकाउंट है. जब ईडी ने तीन बार चिदंबरम को बुलाया तो चिदंबरम पर प्रॉपर्टी और फर्जी एकाउंट के बारे में कभी नहीं पूछा.
ईडी की पूरी जांच को गैर कानूनी बताते हुए कपिल सिब्बल ने कहा था कि जांच कभी कानूनी प्रक्रिया के हिसाब से की ही गई. अगर प्रॉपर्टी के चिदंबरम की पोती के पक्ष में विल करने का आरोप ED ने लगाया तो उसके बारे में जब चिदंबरम को बुलाया गया तो पूछा क्यों नहीं गया. अगर प्रॉपर्टी और एकाउंट के आरोप के डॉक्यूमेंट ED के पास हैं तो आरोपी चिदंबरम से ED को हिरासत में लेकर पूछना क्या बचा है.