केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि भले ही पूरी दुनिया में कोरोना कहर मचा रहा हो लेकिन पीएम मोदी के हाथों में देश सुरक्षित है
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नई दिल्ली: Zee News के इंडिया का DNA E-Conclave में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि भले ही पूरी दुनिया में कोरोना कहर मचा रहा हो लेकिन पीएम मोदी के हाथों में देश सुरक्षित है. ऐसा इसलिए क्योंकि पीएम मोदी आपदा में भी अवसर देखते हैं. उन्होंने कहा कि जल का विषय दुनिया के लिए चुनौती है. हर घर नल से जल के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार आगे बढ़ रही है. जल जीवन मिशन से बड़ा परिवर्तन लाएं. जल का प्रबंधन हमारी प्राथमिकता है. जल आंदोलन को जन का आंदोलन बनाएंगे. सभी लोग जल के स्रोतों का संरक्षण करें.
उन्होंने कहा कि जल संरक्षण की दिशा में मोदी सरकार की प्राथमिकता को इस लिहाज से भी समझा जा सकता है क्योंकि पहली बार देश में पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद ही जल शक्ति मंत्रालय बनाया गया. शहरी क्षेत्रों में पेयजल की समस्या का दबाव जरूर बढ़ा है लेकिन इससे चिंतित होने की जरूरत नहीं है. इसी तरह गांवों में महिलाओं को पानी लाने के लिए कई-कई किमी दूर तक जाना पड़ता था. लेकिन सरकार ठोस योजना के साथ हर घर, नल से जल के लक्ष्य को ध्यान में रखकर आगे बढ़ रही है. सभी को स्वच्छ पेयज मिले. ये सरकार की प्राथमिकता है.
इसके साथ ही कहा कि पहले की सरकारों के दौर में ऐसी योजनाएं बनीं कि पानी की चिंता सामाजिक सरोकार से दूर हो गई. ये केवल सरकार की चिंता बनकर रह गई. जबकि वास्तव में यदि पुराने दौर को देखा जाए तो पाएंगे कि हमारे देश में कुएं, तालाब बनाने की परंपरा रही है. लेकिन बाद के वर्षो में ऐसी योजनाएं बनीं जिनमें जनता का जुड़ाव कट से गया. इसको फिर से जोड़ने की जरूरत है. जल आंदोलन को जन का आंदोलन बनाने की जरूरत है. सभी लोग जल के स्रोतों का संरक्षण करें.
नितिन गडकरी
Zee News के इंडिया का DNA E-Conclave में बोलते हुए केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि एमएसएमई का अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान है. लेकिन कोरोना संकट के कारण इस क्षेत्र को बड़ी मार पड़ी है. केंद्र सरकार ने सभी क्षेत्रों को उबारने के लिए 20 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज दिया है. इसमें से तीन लाख करोड़ एमएसएमई क्षेत्र को मिला है. नितिन गडकरी ने कहा कि कोरोना की वजह से निश्चित रूप से एमएसएमई समेत पूरे उद्योग जगत को नुकसान हुआ है लेकिन इसका एक सकारात्मक पहलू भी है. मसलन अभी दो महीने हम लोग पीपीई किट नहीं बनाते थे. चीन से इसको मंगाया था लेकिन अब एक दिन में देश के भीतर 3 लाख पीपीई किट बन रहे हैं. अब इसको एक्सपोर्ट करने की योजना बना रहे हैं.
उन्होंने कहा कि स्वदेशी को आत्मनिर्भर भारत के साथ नहीं जोड़ सकते. भारत आत्मनिर्भर बनने की कोशिश कर रहा है. हम आयात कम करेंगे. निर्यात को बढ़ावा देंगे. कोरोना संकट में निराशा नहीं होनी चाहिए. सकारात्मक सोच से आगे बढ़ना चाहिए. विपक्ष को ऐसे कोरोना काल में मजदूरों को लेकर सियासत नहीं करनी चाहिए.
जब पूछा गया कि मुंबई में एक्टर सोनू सूद जो प्रवासी मजदूरों की मदद कर रहे हैं, उनको शिवसेना ने बीजेपी का प्यादा कहकर आरोप लगाए हैं. इस पर नितिन गडकरी ने कहा कि सोनू सूद ने नागपुर से इंजीनियरिंग की है लेकिन उनका बीजेपी से कोई लेना-देना नहीं है.
अहम बातें
मोदी सरकार के फैसलों से 45 लाख एमएसएमई को लाभ मिलेगा
कोरोना वायरस से पूरी दुनिया को नुकसान, एमएसएमई सेक्टर को बहुत नुकसान
कोरोना संकट में व्यापारियों को छूट दी, पीएम जनधन योजना से गरीबों को मदद
MSME की परिभाषा बदली, 5 साल में 5 करोड़ जॉब्स का लक्ष्य
प्रहलाद सिंह पटेल
इससे पहले Zee News के इंडिया का DNA E-Conclave में बोलते हुए केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा कि कोरोना काल को देखते हुए धार्मिक स्थलों पर गाइडलाइन का पालन जरूरी है.कल से देश भर के धार्मिक स्थल खुल रहे हैं. इसके माध्यम से पर्यटन को भी बल मिलेगा. लेकिन कोरोना काल को देखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग का विशेष रूप से पालन किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से भले ही दुनिया में पर्यटन पर सबसे बुरा असर पड़ा हो लेकिन अब विदेशी पर्यटकों का भारत में रुझान बढ़ा है. पर्यटन के क्षेत्र में भारत आगे बढ़ेगा. विदेशी पर्यटक भारत को सुरक्षित मानते हैं. पर्यटन के क्षेत्र में हम तेज गति पकड़ेंगे. इसके पीछे एक बड़ी वजह ये है कि कोरोना का वैसा असर भारत में नहीं हुआ जैसा अमेरिका, यूरोप जैसे दुनिया के अन्य देशों में हुआ. इसलिए पर्यटन के क्षेत्र में हम तेज गति पकड़ेंगे.
उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने कोरोना काल में दूरदर्शी फैसले लिए. देश में लॉकडाउन सही समय पर किया गया. कोरोना काल में सावधानी ही सुरक्षा है. संस्कृति मंत्री के लिहाज से कहें तो धारा-370, राम मंदिर और तीन तलाक पर निर्णायक फैसले हुए. देश में घरेलू और धार्मिक पर्यटन की गति में आने वाले दिनों में बढ़ावा देखने को मिलेगा. विदेशी पर्यटक भी घूमने के लिए भारत का रुख इसलिए कर रहे हैं क्योंकि मौजूदा दौर में भारत में पर्यटन सुरक्षित माना जा रहा है. इसलिए सरकार को उम्मीद है कि भले ही ये क्षेत्र कोरोना काल की वजह से ठप पड़ गया हो लेकिन आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में तेजी से गति देखने को मिलेगी.
पीयूष गोयल
कोरोना काल में ट्रेनों को चलाने के मसले पर रेल मंत्री पीयूष गोयल ने Zee News के एडिटर-इन-चीफ सुधीर चौधरी से बातचीत करते हुए कहा कि लॉकडाउन के दौरान जितनी ट्रेंने राज्यों ने केंद्र से मांगी, उतनी दी गईं. यूपी, बिहार के लिए विशेष रूप से श्रमिक ट्रेनें चलाई गईं. कुछ ट्रेनें जरूर डायवर्ट की गईं लेकिन आंकड़ों के लिहाज से देखें तो ऐसी ट्रेनों की संख्या दो प्रतिशत से भी कम थी. इसका एक बड़ा कारण रूटों का कंजेशन रहा. लेकिन इस मामले में झूठी खबरें ज्यादा चलाई गईं. इस बात की खुशी है कि ZEE NEWS ने इस मामले में कोई गलत खबर नहीं दिखाई.
भविष्य के रेल यातायात के संबंध में पीयूष गोयल ने कहा कि हम लोगों ने सुरक्षा पर बहुत जोर दिया है. बजट में रेलवे सेफ्टी के मद में एक लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया. इसका असर ये हुआ कि 2019-20 में एक भी रेल दुर्घटना नहीं हुई. इस वजह से किसी भी व्यक्ति की इस अवधि में मृत्यु नहीं हुई. पिछले 20 वर्षों के आंकड़ों पर यदि नजर डालें तो ये अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है. इसके साथ ही भविष्य का ऐसा खाका खींचा जा रहा है कि अगले 10 सालों के भीतर सेमी स्पीड, हाई स्पीड ट्रेनें दिखाई देंगी. रेलवे स्टेशनों का पूरी तरह कायाकल्प हो चुका होगा. रेलवे कोचों को बेहतर डिजाइन किया जाएगा ताकि लोगों की यात्राएं सुगम, सुविधाजनक हो सकें.
पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना पर पीयूष गोयल ने कहा कि दरअसल इसकी विकृति व्याख्या नहीं होनी चाहिए. लोकल को बढ़ावा देने का मकसद ग्लोबल से खुद को काटना नहीं है बल्कि भारत को मजबूत करना है. इसका आशय भारत की अन्य देशों पर निर्भरता को कम करना है. पीएम मोदी की कल्पना सशक्त भारत है. भारत की अर्थव्यवस्था सुरक्षित है. भारत की क्षमता, उत्पादन को बढ़ाना है.
कोरोना ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया है. भारत में यूरोप, अमेरिका की तुलना में बहुत कम मौतें हुई हैं. पीएम मोदी के नेतृत्व में देश सुरक्षित है.
धर्मेंद्र प्रधान
इससे पहले Zee News के इंडिया का DNA E-Conclave में बोलते हुए केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि कोरोना काल में लॉकडाउन के बावजूद एलपीजी सिलेंडर की सप्लाई में सरकार ने बाधा नहीं आने दी. इस दौरान एलपीजी डिलिवरी ब्वॉय कोरोना योद्धा बने. लोगों के चूल्हे जलते रहे, इसके लिए डिलिवरी ब्वाॅय लगातार काम करते रहे. सरकार लगातार काम करती रही. इसलिए समाज के सबसे निचले स्तर तक हम एलपीजी सिलेंडर लगातार पहुंचाते रहे जबकि लॉकडाउन के बावजूद सारा जन-जीवन ठप हो गया था.
पूरी दुनिया में तेल के दाम घटने के बावजूद भारत में ऐसा नहीं होने के मसले पर पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि दरअसल इससे जो पैसा बचाया जा रहा है वह गरीबों के लिए योजनाओं यानी जन-कल्याण में खर्च किया जाएगा.
पेट्रोलियम मंत्रालय के भविष्य की योजनाओं के संबंध में उन्होंने कहा कि वह दिन जब दूर नहीं जब भविष्य में पेट्रोल-डीजल की होम डिलिवरी होगी.
कोरोना काल के बाद अनलॉक-1 शुरू होने पर उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में जहां महामारी ने तांडव मचाया लेकिन भारत अन्य मुल्कों के मुकाबले सुरक्षित रहा. उसका एक बड़ा कारण ये रहा क्योंकि यहां वक्त रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन की घोषणा की. इस कारण जहां दुनियाभर में इस बीमारी की वजह से बहुत मौतें हुईं लेकिन भारत की स्थिति नियंत्रित बनी रही.
आठ जून से मॉल से लेकर धार्मिक स्थल तक सभी कुछ खुलने जा रहा है. यानी कि कंटेनमेंट जोन को छोड़कर एक तरह से सभी चीजें खुल जाएंगी. इसके संभावित असर के बारे में धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि कोविड-19 से निपटने का एकमात्र जरिया सोशल डिस्टेंसिंग ही है.
किरण रिजिजू
इससे पहले इसी कार्यक्रम में शिरकत करते हुए केंद्रीय खेल मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि कोरोना की वजह से भले ही इस वक्त पूरी तरह से खेल गतिविधियां ठप हुईं लेकिन अब अनलॉक-1 शुरू होने के बाद कुछ अभ्यास कार्यक्रम शुरू हुए हैं. आशा करते हैं कि आने वाले दिनों में कुछ खेल इवेंट होंगे. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से ओलंपिक कार्यक्रम एक साल के लिए टल गया है. इसको देखते हुए ओलंपिक की तैयारी पर हम विचार कर रहे हैं. खेल क्षेत्र एक बहुत बड़ी इंडस्ट्री है. इसमें पैशन से लेकर कमर्शियल हित तक जुड़े हैं. इसलिए यदि खेल की गतिविधियों में इजाफा होगा तो रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे. लेकिन कोरोना की वजह से इस वक्त देश में स्वास्थ्य और सुरक्षा प्राथमिकता है.
किरण रिजिजू ने अपनी प्राथमिकताओं के बारे में कहा कि हमारे देश में खेलों की परंपरा रही है. अब वो जमाना नहीं रहा कि खेलोगे-कूदोगे तो होगे खराब की बात कही जाती है. अब कहा जाता है कि खेलोगे-कूदोगे तो बनोगे लाजवाब का नारा दिया जा रहा है. इसीलिए सरकार ने खेलो इंडिया और फिट इंडिया जैसे कार्यक्रम शुरू किए हैं. लोगों में इसके प्रति जागरुकता आई है. इन कार्यक्रमों को इसलिए ही अपार सफलता मिली है. सरकार इस मंशा के साथ आगे बढ़ रही है कि हर नागरिक को फिट रहना चाहिए.
नॉर्थ-ईस्ट के मसले पर उन्होंने कहा कि उस क्षेत्र में पहले भी सरकारों ने काम किए लेकिन जिस तरह से पूर्वोत्तर के लोगों के साथ मोदी सरकार ने कनेक्ट किया है, वैसा पहले कभी नहीं हुआ. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने हमको लक्ष्य दिया है कि 2028 तक भारत को खेलों के लिहाज से टॉप 10 देशों की श्रेणी में शुमार करना है. हम लोग उसी लक्ष्य को ध्यान में रखकर आगे बढ़ रहे हैं. इस बार ओलंपिक में पहले की तुलना में अधिक स्पर्द्धाओं में हम शिरकत कर रहे हैं.
अर्जुन मुंडा
Zee News के इंडिया का DNA E-Conclave में बोलते हुए केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि छह साल में मोदी सरकार के आने के बाद से आदिवासियों के लिए ढेर सारी योजनाएं प्रांरभ हुई हैं. अर्जुन मुंडा ने कहा कि आजादी के बाद से 70 वर्षों तक आदिवासियों के कल्याण के लिए ठोस योजनाएं नहीं बनाई गईं. इसका नतीजा ये हुआ कि ये समाज पिछड़ा रह गया. लेकिन 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद आदिवासियों के कल्याण के लिए ऐतिहासिक योजनाएं प्रारंभ की गई हैं.
उन्होंने कहा कि इससे पहले आदिवासियों के नाम पर केवल सियासत हुई. उनका इस्तेमाल केवल वोट बैंक के रूप में हुआ. कोई काम जमीनी स्तर नहीं हुआ. इसका नतीजा ये निकला कि आदिवासियों का अन्य राज्यों की ओर पलायन यानी माइग्रेशन हुआ. अब कोरोना काल में मजदूरों का माइग्रेशन एक बड़ी समस्या के रूप में उभरा. लिहाजा केंद्र सरकार अब ऐसी योजनाएं बना रही है जिससे स्थानीय लोगों को राज्य स्तर पर ही काम-धंधे मिलें. लोगों को पलायन नहीं करना पड़े.
अर्जुन मुंडा ने कहा कि आदिवासी समाज प्रकृति के बीच सरलता, सादगी से रहने वाला समाज है. सरकार उनकी जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए प्रयासरत है. आदिवासियों का पलायन एक बड़ा मुद्दा है. संबंधित राज्यों में ही उनको रोजगार कैसे मिले, केंद्र सरकार इसके लिए योजनाएं और स्कीम चला रही है. इसका असर ये हो रहा है कि उनकी जिंदगी में सुधार हो रहा है और उनको आने वाले दिनों में उनको गरीबी, बदहाली के चलते अन्य राज्यों में पलायन नहीं करना पड़ेगा.
नरेंद्र सिंह तोमर
इससे पहले कोरोना काल में किसान योद्धा बनकर उभरा है. इसकी बानगी इस बात से समझी जा सकती है कि पिछले साल की तुलना में इस बार फसल की पैदावार में बंपर बढ़ोतरी हुई है. इंडिया का DNA E-Conclave में ये बात केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कही. गेहूं का बंपर उत्पादन हुआ, इस साल गेहूं उत्पादन 357 मीट्रिक टन हुआ. सरकार के फैसलों के केंद्र में किसान है.किसानों ने गांवों को कोरोना मुक्त रखा.
कृषि मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के केंद्र में पूरी तरह से किसान है. इसीलिए ही जहां दुनिया में पूरी तरह से लॉकडाउन की वजह से जन-जीवन ठप हो गया लेकिन गांव बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं हुए. किसान की जिंदगी बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं हुई. एक तरफ जहां गांव कोरोना से मुक्त बने हुए हैं वहीं सरकार ने ऐसे उपाय और नीतियां बनाई हैं जिससे किसान की जिंदगी पहले की तुलना में ज्यादा आसान बनी है.
अहम बातें:
लॉकडाउन में किसानों को लाभ हुआ
ग्रीष्म ऋतु की बुआई पिछली साल की तुलना में 45 प्रतिशत अधिक हुई
सरकार ने किसानों को 72 हजार करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है
सरकार की कोशिश किसानों का उत्पादन बढ़ाने की है
किसान बीमा योजना के तहत किसानों को मदद दी गई
सरकार की कोशिश की किसानों को उत्पादन का सही मूल्य मिले
रामविलास पासवान
इससे पहले देश को दिशा देने वाले 'इंडिया का DNA E-Conclave में बातचीत के दौरान केंद्रीय खाद्य उपभोक्ता मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि वन नेशन, वन राशन कार्ड योजना पर काम जारी है. पासवान ने कहा कि मंत्रालय ने लक्ष्य से 200% ज्यादा काम किया. गरीबों को मुफ्त में अनाज दिया गया.
पासवान ने बातचीत के दौरान कहा, "मोदी सरकार ने ग्राहकों के लिए नया उपभोक्ता कानून बनाया, जिसका लाभ सबको मिलेगा. पुराने उपभोक्ता कानून में बदलाव किया गया. देश में अनाज की कोई कमी नहीं है. जमाखोरी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे.
मोदी सरकार के बड़े फैसलों की जानकारी देते हुए पासवान ने कहा, "किसान किसी भी राज्य में फसल बेच सकते हैं. 5 साल में चावल-गेहूं की कीमतें नहीं बढ़ी हैं. सरकार ने फसलों का समर्थन मूल्य बढ़ाया है. सोने पर हॉल मार्किंग जरूरी की गई है."
प्रवासी मजदूरों के सवाल पर उन्होंने कहा, "मसला केवल राज्य बनाम केंद्र का नहीं है. राज्यों की अपनी समस्याएं और क्षमताएं हैं. बाहर से आए मजदूरों के व्यवस्थाएं करना राज्य सरकारों के लिए इतना आसान नहीं था. कुछ राज्यों ने इस समस्या का बेहतर ढंग से प्रबंधन किया. इसमें यूपी की योगी सरकार ने अच्छा काम किया."