दिल्ली हिंसा को लेकर लगातार दूसरे दिन संसद में हंगामा हुआ. इस कारण कल की तरह आज भी दोनों सदनों को दिन भर के लिये स्थगित करना पड़ा.
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नई दिल्ली: दिल्ली हिंसा को लेकर लगातार दूसरे दिन संसद में हंगामा हुआ. दोनों सदनों के चेयर के लगातार आग्रह और चर्चा कराने के आश्वासन के बावजूद हंगामा होता रहा. इस कारण कल की तरह आज भी दोनों सदनों को दिन भर के लिये स्थगित करना पड़ा. वैसे सरकार की तरफ से होली बाद 11 मार्च को इस पर चर्चा कराये जाने की बात कही गई लेकिन विपक्ष इसके लिये भी राजी नहीं हुआ. दोनों पक्षों के तरफ से आरोप-प्रत्यारोप लगते रहे. विपक्ष की तरफ से आज लोकसभा में कागज के टुकड़े उड़ाए गए. इससे नाराज सत्ता पक्ष ने विपक्ष खासकर कांग्रेस पर राजनीतिक रोटी सेंकने का आरोप लगाया.
सरकार की तरफ से मोर्चा संभालते हुए केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा "सरकार चाहती है कि सदन चले. सरकार ये भी चाहती है कि सदन में दिल्ली दंगों पर चर्चा खुलकर हो. बहस के लिए सरकार ने 11 मार्च की तारीख सोच समझकर तय किया है. इधर दिल्ली में हालात अभी सामान्य हो रही है. हमें ये भी चिंता रहती है कि संसद की चर्चा दिल्ली का माहौल शांत करेगी या बढ़ाएगी. इसलिये सरकार की ये सोच है होली के बाद चर्चा करवाएंगे. तब तक दिल्ली पूरी तरह शांत हो जाएगी."
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आज सुबह लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला की सर्वदलीय मीटिंग में जब ये तय हो गया कि कोई भी ट्रेजरी बेंच की तरफ जाकर डिस्टर्ब या हंगामा नहीं करेगा. फिर भी विपक्ष की तरफ से आज कई सीनियर नेता वहां पहुंचे. आखिर क्यों? फिर हंगामा क्यों किया जा रहा है. स्पीकर पर कागज के टुकड़े उछाले जा रहे."
हंगामे के बीच बिल पास कराने के विपक्ष के आरोप का भी रविशंकर ने जवाब देते हुए कहा कि "अब कहा जा रहा कि हल्ला में बिल क्यों पास करवाया जा रहा है. वो भूल गए कि 2014 से पहले कितने बिल हंगामा के बीच में पास करवाया गया. जबकि संसदीय कार्यमंत्री ने खुद ही सदन में कहा कि हम 11 मार्च को दिल्ली दंगों पर बहस करेंगे.
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हम बताना चाहते हैं कि संसद सिर्फ चर्चा का ही जगह नही है बल्कि सदभाव का भी है. कांग्रेस और विपक्ष के रवैया से हमें बहुत पीड़ा है. हम अपील करेंगे विपक्ष से संसद चलने दें. हम हर चीज पर चर्चा को तैयार है. विवाद से विश्वास बिल को आज हंगामे के बीच इसलिए पास करना पड़ा क्योंकि 31 मार्च तक 4 लाख केस और उसमें जुड़े 9 लाख करोड़ रुपये के मामले का निस्तारण आवश्यक है. उसे लागू करना आवश्यक है" अब जिस तरह से विपक्ष अपनी बात पर अड़ा हुआ है, संभावना है कि कल भी दोनों सदनों में जमकर हंगामा होगा.