उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि बंबई उच्च न्यायालय में सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में सुनवाई करने वाले न्यायाधीश को बदलने पर सवाल खड़े नहीं होने चाहिए क्योंकि रोस्टर में बदलाव‘‘ नियमित’’ प्रक्रिया है जो वहां स्थापित परंपरा के अनुरूप है।
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नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि बंबई उच्च न्यायालय में सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में सुनवाई करने वाले न्यायाधीश को बदलने पर सवाल खड़े नहीं होने चाहिए क्योंकि रोस्टर में बदलाव‘‘ नियमित’’ प्रक्रिया है जो वहां स्थापित परंपरा के अनुरूप है.
क्या हुआ कोर्ट में?
शीर्ष अदालत ने यह उस समय कहा जब विशेष सीबीआई न्यायाधीश बी एच लोया की कथित रहस्यमयी मौत की स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिका दायर करने वाले बंबई लॉयर्स एसोसिएशन ने दलील दी कि सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में अपीलें सुनने से बंबई उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे को हटाने के प्रयास हुए हैं.
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प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा, ‘‘ आपकी दलील संभवत: सही नहीं है. बंबई उच्च न्यायालय में यह नियमित प्रक्रिया है जो वहां स्थापित परंपरा का हिस्सा है. हर आठ दस सप्ताह में रोस्टर बदलता है और किसी न्यायाधीश को आधा सुना गया मामला सुनने की अनुमति नहीं है.’’
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि वह बंबई उच्च न्यायालय में सेवाएं दे चुके हैं और वहां रोस्टर में बदलाव की परंपरा जानते हैं, यह देश की अन्य उच्च न्यायालयों के लिए सामान्य बात नहीं है.
(इनपुट - भाषा)