लखनऊ: उत्तर प्रदेश में होने वाले विधान सभा चुनाव (UP Assembly Election) के लिए चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है और पहले चरण की वोटिंग के लिए अब अब एक महीने से भी कम समय बचा है. इस बीच यूपी की ऐसी सीट है, जहां से भारतीय जनता पार्टी (BJP) का हर नेता चुनाव लड़ना चाहता है.


जीत की गारंटी है ये विधान सभा सीट?


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यूपी चुनाव में यह विधान सभा सीट जीत की गारंटी है और शायद यही वजह है कि बीजेपी के बड़े से बड़े नेता इस सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं. यही नहीं विपक्ष के नेता भी इस सीट से टिकट मिलने की गारंटी पर बीजेपी का दामन थामने को तैयार हैं. इस विधान सभा सीट का नाम है लखनऊ कैंट. तो चलिए आपको इस सीट का पूरा समीकरण बताते हैं.


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यूपी सरकार के कई मंत्री हैं दावेदार


यूपी विधान सभा चुनाव में लखनऊ कैंट सीट (Lucknow Cantt Seat) सबसे ज्यादा चर्चा में है. चर्चा ये है कि यूपी के डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा इस सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं. यूपी सरकार में कानून मंत्री ब्रजेश पाठक भी अपनी सीट छोड़कर इस सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं.


कुर्बानी देने को तैयार रीता बहुगुणा जोशी


बीजेपी सांसद और यहां से पूर्व विधायक रहीं रीता बहुगुणा जोशी (Rita Bahuguna Joshi) इस सीट से अपने बेटे मयंक जोशी के लिए टिकट मांग रही हैं और इसके लिए वो अपनी लोक सभा की सदस्यता की कुर्बानी देने को भी तैयार हैं. ऐसा इसीलिए, क्योंकि बीजेपी ने एक परिवार में दो लोगों को टिकट देने से मना कर दिया है, लेकिन बेटे को टिकट मांगने के पीछे रीता बहुगुणा जोशी का अपना तर्क है और वो कह रही हैं कि उनके बेटे ने एक कार्यकर्ता के रूप में काम किया है.


सिटिंग एमएलए भी ताल ठोकने को तैयार


वैसे तो ये सीट बीजेपी की सिटिंग सीट है और इस सीट से सुरेश तिवारी विधायक हैं. सुरेश तिवारी इस सीट से 4 बार जीत चुके हैं और इस बार भी मैदान में ताल ठोकने को तैयार हैं. उनका दावा है कि डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने तो उन्हें भरोसा दिलाया है कि वो यहां से चुनाव नहीं लड़ेंगे. जहां तक रीता बहुगुणा जोशी के बेटे की दावेदारी की बात है तो उनपर वो अपने अंदाज में तंज कस रहे हैं.


अपर्णा यादव को लेकर भी चर्चा बड़ी तेज


लखनऊ में ये चर्चा भी बहुत तेज है कि मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव (Aparna Yadav) इस सीट से टिकट मिलने की गारंटी पर बीजेपी में शामिल होने को तैयार हैं।.अपर्णा यादव को रीता बहुगुणा जोशी ने 2017 में चुनाव हराया था. इस सीट से जुड़ी सबसे दिलचस्प बात ये है कि अपर्णा यादव इस सीट से हारकर भी बीजेपी से टिकट चाहती हैं और 2012 चुनाव में बीजेपी को हराने के बाद भी 2017 में रीता बहुगुणा जोशी बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ी और जीती भी.


वोटर्स को लुभाने में लगे रीता बहुगुणा जोशी के बेटे


अब रीता बहुगुणा जोशी (Rita Bahuguna Joshi) के बेटे ने इस विधान सभा सीट में परशुराम की मूर्ति के जरिए ब्राह्मण वोटरों को लुभाने में लगे हैं. इस सीट पर मतदाताओं की उम्मीदवारों के नाम को लेकर अलग-अलग राय है, लेकिन सब ये मानते हैं कि बीजेपी से जो भी लड़ेगा उसकी जीत तय है. 


7 बार इस सीट से चुनाव जीत चुकी है बीजेपी


2012 को छोड़ दें तो बीजेपी 1991 से लगातार इस सीट से चुनाव जीत रही है. इस सीट से बीजेपी 7 चुनाव जीत चुकी है और 1991 से पहले कांग्रेस भी 7 बार यहां से चुनाव जीत चुकी है. करीब 3 लाख 65 हजार मतदाताओं वाले से सीट पर करीब 1.5 लाख मतदाता ब्राह्मण हैं, जो कुल मतदाताओं के करीब 45 फीसदी हैं. ब्राह्मण मतदाता अबतक बीजेपी का साथ देता आया है, इसीलिए चाहे, दिनेश शर्मा हों, ब्रजेश पाठक हो या फिर रीता बहुगुणा जोशी सबकी पसंद ये सीट है.


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