नए सांसदों के लिए लुटियन दिल्ली में इस चीज से बनेंगे खास फ्लैट, जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान
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नए सांसदों के लिए लुटियन दिल्ली में इस चीज से बनेंगे खास फ्लैट, जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान

सीपीडब्ल्यूडी के महानिदेशक प्रभाकर सिंह ने बताया, ‘‘नॉर्थ एवं साउथ एवेन्यू में आजादी के बाद निर्मित सांसदों के पुराने फ्लैटों को तोड़ा जाएगा.’’ 

लुटियन दिल्ली में स्थायी सरकारी आवास नहीं मिलने तक सरकार ने करीब 350 सांसदों के रहने के लिए अस्थायी व्यवस्था की है.

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने लुटियन दिल्ली में सांसदों के लिए बने 400 पुराने फ्लैटों को तोड़कर, मलबे से नए फ्लैट बनाने का निर्णय किया है. केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) ने बताया कि ये फ्लैट राष्ट्रपति भवन के दोनों और नॉर्थ एवेन्यू और साउथ एवेन्य में स्थित हैं. इनका निर्माण करीब 60 साल पहले हुआ था. इन्हें तोड़कर नए फ्लैट बनाए जाएंगे.

सीपीडब्ल्यूडी के महानिदेशक प्रभाकर सिंह ने बताया, ‘‘नॉर्थ एवं साउथ एवेन्यू में आजादी के बाद निर्मित सांसदों के पुराने फ्लैटों को तोड़ा जाएगा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ हम नॉर्थ एवं साउथ एवेन्यू में सांसदों के लिए नए फ्लैट बनाने के वास्ते मलबे का इस्तेमाल करेंगे.’’ इन स्थलों के मलबे का इस्तेमाल नए फ्लैट बनाने के लिए किया जा सकता है.

80 करोड़ की लागत से बने हैं फ्लैट्स
सीपीडब्ल्यूडी ने हाल में 80 करोड़ रुपये की लागत से 36 डुप्लेक्स फ्लैट्स बनाए हैं जो नव निर्वाचित सांसदों को आवंटित किए जाएंगे. सिंह ने कहा कि सांसदों के लिए नए फ्लैट चरणबद्ध तरीके से बनाए जाएंगे ताकि पुराने फ्लैट तोड़ने के बाद कोई अव्यवस्था नहीं हो. उन्होंने कहा कि कम ऊंची इमारतों में सौर ऊर्जा पैनल होंगे और कार पार्किंग का विशेष स्थान होगा. इसके अलावा अन्य सुविधाएं भी होंगी.

300 सदस्य पहली बार बनें हैं सांसद
गौरतलब है कि 17वीं लोकसभा में करीब 300 निर्वाचित सदस्य ऐसे हैं जो पहली बार सांसद बने हैं. पहली बार निचले सदन के सदस्य बनने वालों में पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर, केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और स्मृति ईरानी, सूफी गायक हंसराज हंस और बंगाली अभिनेत्री मिमी चक्रवर्ती एवं नुसरत जहां रूही प्रमुख हैं. लुटियन दिल्ली में स्थायी सरकारी आवास नहीं मिलने तक सरकार ने करीब 350 सांसदों के रहने के लिए अस्थायी व्यवस्था की है. पहले, नवनिर्वाचित सांसद पांच सितारा होटलों में रहते थे, लेकिन लोकसभा सचिवालय की खर्चों में कटौती की कवायद के तहत इस चलन को बंद कर दिया गया है.

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