24 घंटे में 22 मौत; फिर भी सोता रहा प्रशासन, डीन-अपर कलेक्टर के बयानों में विरोधाभास
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24 घंटे में 22 मौत; फिर भी सोता रहा प्रशासन, डीन-अपर कलेक्टर के बयानों में विरोधाभास

प्रदेश में यह कोई पहला मामला नहीं है. तीन दिन पहले ऐसा ही एक हादसा जबलपुर में हुआ था. जहां 5 लोग ने ऑक्सीजन की कमी के कारण घुट-घुटकर मर गए थे. तब प्रदेश सरकार के एक मंत्री का गैरजिम्मेदाराना बयान आया था. वे सभी वेंटिलेटर पर थे.

शहडोल मेडिकल कॉलेज के बाहर बिलखते मृतकों के परिजन

शहडोल: शहडोल के मेडिकल कॉलेज में 12 मरीजों ने ऑक्सीजन की कमी से दम तोड़ दिया. शनिवार रात से ही ऑक्सीजन का प्रेशर कम होने लगा था. ये सभी मरीज वेंटिलेटर पर थे. रात 12 बजे तक स्थिति गंभीर होती चली गई. स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया. ऑक्सीजन का प्रेशर कम हुआ तो कई मरीजों को ऑक्सीजन मास्क हाथ से दबाना पड़ा, उन्हें लग रहा था कि शायद सही तरह से दबाने से ऑक्सीजन आ जाए. लेकिन 12 लोगों का दम घुट गया. 24 घंटे में कुल 22 मरीजों की मौत यहां हो चुकी है. मेडिकल डीन का बयान कुछ और कहानी कह रहा है, जबकि अपर कलेक्टर कुछ कह रहे हैं. विपक्ष ने भी सरकार को घेरने में देरी नहीं की. 

  1. ऑक्सीजन की कमी से 12 मरीजों ने तोड़ा दम
  2. शनिवार को भी यहां 10 कोविड मरीजों को हुई थी मौत
  3. लापरवाही या कुछ और, सरकार बचा रही अफसरों को
  4. कमलनाथ ने साधा शिवराज सरकार पर निशाना
  5.  

प्रदेश में यह कोई पहला मामला नहीं है. तीन दिन पहले ऐसा ही एक हादसा जबलपुर में हुआ था. जहां 5 लोग ने ऑक्सीजन की कमी के कारण घुट-घुटकर मर गए थे. तब प्रदेश सरकार के एक मंत्री का गैरजिम्मेदाराना बयान आया था. वे सभी वेंटिलेटर पर थे.

परिजन क्या बोले?
मरीजों के परिजन ने स्वास्थ्य महकमे पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि रात तक सब ठीक थी. हम लोग मरीजों को खाना खिलाकर बाहर चले गए थे. अचानक सुबह बताया जाता है कि उनके मरीजों की मौत हो गई. कॉलेज प्रशासन झूठ बोल रहा है. लापरवाही छुपा रहा है.

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पहले भी हो चुकी हैं कई मरीजों की मौत
इस मेडिकल कॉलेज में इससे पहले भी कोरोना के 10 और मरीजों की मौत हो चुकी है. तब कमिश्नर राजीव शर्मा के दौरे पर आए थे. वे शनिवार को ही कोविड-19 सेंटर का निरीक्षण करने पहुंचे थे. हालांकि उन्होंने साफ-सफाई और बाकी व्यवस्थाओं को चाक-चौबंद करने की बात कही थी. निरीक्षण के दौरान उनके साथ मेडिकल के डीन के अलावा कलेक्टर डॉ. सतेन्द्र सिंह, अपर कलेक्टर अर्पित वर्मा समेत कई अधिकारी और चिकित्सक मौजूद थे. लेकिन उस वक्त किसी ने उन्हें ऑक्सीजन लिक्विड की कमी के बारे में नहीं बताया था शायद. वह भी औचक निरीक्षण के नाम पर खानापूर्ति कर चले गए थे. शहडोल मेडिकल कॉलेज में अब तक कुल 22 मरीजों की जान जा चुकी है. शनिवार को 10 कोरोना पेशंट की मौत हुई थी.

क्या कहते हैं जिम्मेदार?
1.  डॉ. मिलिंद शिरोलकर, डीन, शहडोल मेडिकल कॉलेज
डीन का कहना है कि लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट का लिक्विड खत्म हो रहा था. यह मंगवाया गया था, पहले बताया गया कि दोपहर तक पहुंचेगा, दोपहर से शाम हुई, शाम से रात और अलसुबह तीन बजे तक लिक्विड नहीं आया. इसके बाद मरीजों को सिलेंडर के जरिए ऑक्सीजन दी जाने लगी, लेकिन प्रेशर कम था. जिससे मरीजों को बेचैनी होने लगी. 62 आईसीयू बेड पर ऑक्सीजन की सप्लाई हो रही थी, लेकिन लिक्विड की वजह से प्रेशर कम हो गया था.

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2. अर्पित वर्मा, अपर कलेक्टर
इस पर अपर कलेक्टर का कहना है कि 12 मरीजों की हालत क्रिटिकल थी. ऑक्सीजन की कमी से वह घबराने लगे थे. डॉक्टर पूरी तरह उनकी मदद में लगे थे लेकिन समय पर ऑक्सीजन का प्रेशर बढ़ पाया, जिससे उनकी मौत हो गई.

3. विश्वास सारंग, चिकित्सा शिक्षा मंत्री
इस मामले में लापरवाही सामने आने के बाद सरकार प्रशासनिक अधिकारियों के बचाव में आ गई. चिकित्सा शिक्षा मंत्री का कहना है कि डीन और प्रशासन ने बताया है कि मरीजों की मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई बल्कि वो क्रिटिकल हालत में थे. फिर भी अगर लगता है तो इसकी जांच कराएंगे.

क्या बोले कमलनाथ?
शहडोल मामले में पूर्व सीएम कमलनाथ ने सरकार पर जमकर निशाना साधा है. कमलनाथ ने ट्वीट कर शिवराज सरकार को आड़े हाथों लिया. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, 'अब शहडोल में ऑक्सीजन की कमी से मौतों की बेहद दुखद खबर? भोपाल, इंदौर, उज्जैन, सागर, जबलपुर, खंडवा, खरगोन में ऑक्सीजन की कमी से मौतें होने के बाद भी सरकार नहीं जागी? आखिर कब तक प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी से यूं ही मौतें होती रहेगी?

कमलनाथ ने कहा शिवराज जी आप कब तक ऑक्सीजन की आपूर्ति को लेकर झूठे आंकड़े परोसकर, झूठ बोलते रहेंगे, जनता रूपी भगवान रोज दम तोड़ रही है? प्रदेश भर की यही स्थिति है, अधिकांश जगह ऑक्सीजन का भीषण संकट है? रेमडेसिविर इंजेक्शन की भी यही स्थिति है। सिर्फ सरकार के बयानों और आंकड़ो में ही ऑक्सीजन और रेमउेसिविर उपलब्ध है, लेकिन यह अस्पतालों से गायब है? सरकार कागजी बैठकों से निकलकर मैदानी स्थिति सम्भाले, स्थिति बेहद विकट है.

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कांग्रेस प्रवक्ता ने क्या कहा?
कांग्रेस प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि सरकार मौत के आंकड़े छुपा रहा है. मौतों पर तमाशा कर रही है. डीन, अपर कलेक्टर के बयानों में विरोधाभास है. प्रदेश में चापलूस अधिकारी बैठे हुए हैं, इसी से प्रदेश का बंटाधार हो रहा है. अफसरों की नाकामी से सरकारी अस्पतालों में मरीजों के परिजन इंजेक्शन की कमी से जूझ रहे हैं. 

बीजेपी का क्या कहना है?
इतनी बड़ी घटना हो गई, लेकिन बीजेपी प्रवक्ता राजपाल सिसोदिया को लगता है कि यह आम घटना है. घरकार का फेलियर नहीं. विपक्ष के आरोप गलत हैं. प्रदेश के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी नहीं आएगी. संवाद की कोई कमी नहीं है. डिमांड की अपेक्षा कमी हो जाती है. 

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