सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद अभी तक यूनियन कार्बाइड कारखाने में दफन जहरीले कचरे का निपटान नहीं हो पाया है. बताया जाता है कि कारखाने में दफन 350 टन जहरीले कचरे में से 2015 तक केवल एक टन कचरे को हटाया जा सका है.
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भोपाल: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की राजधानी भोपाल (Bhopal) में घटित हुए गैस त्रासदी (Bhopal Gas Tragedy) को 35 साल हो चुके हैं. लेकिन, गैस त्रासदी से मिले जख्म आज भी पीड़ितों के जहन और जिस्म में ताजा हैं. साढ़े तीन दशकों में कई सरकारें आई और गई, लेकिन त्रासदी के पीड़ितों का दर्द कम नहीं हो रहा है. एक रिपोर्ट से सामने आया कि जहरीली गैस का शिकार बने परिवारों की दूसरी और तीसरी पीढ़ी तक विकलांग पैदा हो रही हैं. बताया जाता है कि गैस त्रासदी से सबसे ज्यादा बस स्टैंड, जेपी नगर, छोला, इब्राहिम गंज, नारियल खेड़ा, जहांगीराबाद जैसे इलाके प्रभावित हुए. कई इलाकों में आज भी बच्चे बीमार या शारीरिक और मानसिक रूप से अक्षम पैदा हो रहे हैं.
हैरान करने वाली बात है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद अभी तक यूनियन कार्बाइड कारखाने में दफन जहरीले कचरे का निपटान नहीं हो पाया है. सुप्रीम कोर्ट का आदेश था कि वैज्ञानिक तरीके से कचरे का निपटारा किया जाए. लेकिन, बताया जाता है कि कारखाने में दफन 350 टन जहरीले कचरे में से 2015 तक केवल एक टन कचरे को हटाया जा सका है. कचरा अभी तक क्यों नहीं हटाया जा सका, इसका जवाब किसी के पास नहीं है. एक रिपोर्ट में सामने आया कि इस कचरे की वजह से आसपास की 42 से ज्यादा बस्तियों का भूजल जहरीला हो चुका है. पानी पीने लायक नहीं है.
1984 की उस रात को याद कर पीड़ित आज भी सिहर जाते हैं. पीड़ित बताते हैं कि 2-3 दिसंबर, 1984 की वो रात जब यूनियन कार्बाइड संयंत्र से रिसी जहरीली गैस 'मिथाइल आइसो साइनाइड (मिक)' ने हजारों लोगों को एक ही रात में मौत की नींद सुला दिया था. जहरीली गैस से महज 24 घंटों में हजार लोगों की जान चली गई और कई अलग-अलग तरह की शारीरिक विसंगतियों का शिकार हो गए. पीड़ित बताते हैं कि उस रात चारों तरफ चीख-पुखार और बदहवासी थी. सड़कों पर लोग दौड़ते दिखाई दे रहे थे. लोग आंखों और सीने में जलन सहते हुए अपनी जान बचाने के लिए दौड़ रहे थे.
वहीं आज, भोपाल गैस त्रासदी की 35वीं बरसी पर बरकतउल्ला भवन, सेंट्रल लायब्रेरी में सर्वधर्म प्रार्थना-सभा का आयोजन किया गया. जहां राज्यपाल लालजी टंडन समेत कई मंत्री पहुंचे. प्रार्थना सभा में मंत्री गोविंद सिंह, मंत्री पीसी शर्मा और मंत्री आरिफ अकील मौजूद रहे. इस दौरान विभिन्न धर्मों के धर्मगुरुओं द्वारा धर्मग्रंथों का पाठ किया गया.
भोपाल गैस त्रासदी की 35वीं बरसी पर सीएम कमलनाथ, पूर्व सीएम शिवराज सिंह समेत कई नेताओं ने भी ट्वीट कर श्रद्धांजलि दी. मुख्यमंत्री कमल नाथ ने गैस त्रासदी के शिकार निर्दोष नागरिकों को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा कि ''विश्व की सबसे भीषणतम औद्योगिक त्रासदी में हमने जो भयानक दुष्परिणाम देखे हैं वह सभी के लिए एक सबक है, पर्यावरण की अनदेखी से आगे ऐसी कोई दुर्घटना न हो जो निर्दोष लोगों के लिए जानलेवा बने. मुख्यमंत्री ने लिखा कि गैस हादसे ने भोपाल के रहवासियों को गहरे जख्म दिए हैं. राहत-पुनर्वास के साथ बेहतर इलाज प्रभावितों को मिले यह सरकार की जिम्मेदारी है''. मुख्यमंत्री ने गैस त्रासदी की बरसी पर भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन के संयोजक अब्दुल जब्बार का उल्लेख करते हुए लिखा कि उन्होंने गैस पीड़ितों, विशेषकर महिलाओं के राहत-पुनर्वास और इलाज के लिए जीवन पर्यन्त संघर्ष किया. आज के दिन बरबस ही उनकी याद आती है. हादसे में अपना जीवन गंवाने वाले सभी लोगों और जब्बार भाई को श्रद्धांजलि.
पूर्व सीएम शिवराज चौहान ने लिखा ''भोपाल गैस त्रासदी की 35वीं बरसी पर मैं इस हादसे में जान गंवाने वाले सभी नागरिकों को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. हजारों सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी प्रणाम करता हूं. जिन्होंने पीड़ितों के अधिकारों हेतु जीवनपर्यंत लड़ाई लड़ी और उन्हें न्याय दिलाया''. वहीं कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी ट्वीट किया, उन्होंने लिखा- ''भोपाल गैस त्रासदी में दिवंगत हुए पीड़ितों के प्रति आत्मीय संवेदनाएं, प्रदेश सरकार पीड़ितों की हरसंभव मदद के लिए कृत संकल्पित है''.