कुपोषण और खर्च के आंकड़े पर प्रदेश के खाद्य मंत्री पिछली सरकार पर ठीकरा फोड़ रहें हैं तो, दावा भी कर रहे हैं कि हमारी सरकार कारगर कदम उठा रही है.
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सत्यप्रकाश/रायपुर: छत्तीसगढ़ में कुपोषण के आंकड़े सरकारी दावों को मुंह चिढाने वाले हैं. प्रदेश में करीब 5 लाख बच्चे कुपोषित हैं. सरकारी आंकड़ों में प्रदेश में 5 साल तक के 37 फीसदी से ज्यादा बच्चे कुपोषित हैं, वो भी तब जब प्रदेश सरकार ने वित्तीय वर्ष 2018-19 में कुपोषण से निपटने विभिन्न योजनाओं के मद से करीब 454 करोड़ रुपये खर्च कर दिए है. हाल ये है कि बिलासपुर जैसे शहरी क्षेत्र वाले जिले में सबसे ज्यादा करीब 35 हजार बच्चे कुपोषित हैं.
वहीं, दूसरे नम्बर पर पूर्व सीएम रमन सिंह के विधानसभा क्षेत्र वाला जिला राजनांदगांव है, जहां करीब 33 हजार बच्चे कुपोषित हैं. तीसरे नम्बर पर बलौदाबाजार है, जहां करीब 30 हजार बच्चे कुपोषण का शिकार हैं. चौथे नम्बर पर रायपुर हैं, जहां करीब 29 हजार बच्चे कुपोषित हैं. वहीं, आदिवासी बहुल जिलों में सुकमा में करीब 10 हजार और दंतेवाड़ा में करीब 8 हजार बच्चे कुपोषण के शिकार हैं.
कुपोषण और खर्च के आंकड़े पर प्रदेश के खाद्य मंत्री पिछली सरकार पर ठीकरा फोड़ रहें हैं तो, दावा भी कर रहे हैं कि हमारी सरकार कारगर कदम उठा रही है. वहीं, बीजेपी अपनी पिछ्ली सरकार की पीठ थपथपाते हुए कांग्रेस सरकार पर हमलावर है. कुपोषण के इन चौंकाने वाले आंकड़े आने के बाद छत्तीसगढ़ की नई सरकार ने भी इससे निपटने की कवायद शुरू की है, जिसके तहत कुपोषण से प्रभावित 10 आकांक्षी जिलों में पंचायतों के जरिये कुपोषित बच्चों को पौष्टिक आहार दिया जायेगा. लेकिन देखने वाली बात ये होगी की सरकार की ये कवायद कुपोषण रोकने में कारगर साबित होता है या नतीजा पिछ्ली सरकार की तरह ही रहता है.