एमपीः मंदसौर में हिंसक हुआ किसान आंदोलन, फायरिंग में 5 की मौत, लगा कर्फ्यू
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एमपीः मंदसौर में हिंसक हुआ किसान आंदोलन, फायरिंग में 5 की मौत, लगा कर्फ्यू

एमपीः मंदसौर में हिंसक हुआ किसान आंदोलन, फायरिंग में 5 की मौत. फोटो एएनआई

नई दिल्लीः मध्य प्रदेश में पिछले कई दिनों से जारी किसान आंदोलन ने आज हिंसक रूप ले लिया. आंदोलनकारियों ने आज राज्य के मंदसौर जिले में कई वाहनों तोड़फोड़ कर आग लगा दी. प्रदर्शनकारियों ने पुलिस और सीआरपीएफ पर पथराव भी किया. जवाब में सीआरपीएफ को गोली चलानी पड़ी और इसमें अब तक 5 लोगों के मारे जाने की खबर है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों की मौत की न्यायिक जांच के आदेश दिए है.

हालांकि राज्य के गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह ने गोलीबारी से इंकार किया है. हिंसक आंदोलन के बाद मंदसौर जिले के एक थाना क्षेत्र में कर्फ्यू लगा दिया गया. इसके साथ ही जिले के अन्य इलाकों में निषेधात्मक आदेश लागू किया गया है. मंदसौर में सोमवार से ही इंटरनेट पर रोक लगा दी गई है. फायरिंग के बाद जिला कलेक्टर ने पहले धारा 144 लगाई और इसके बाद कर्फ्यू लगा दिया. मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि एक पुलिस चौकी और बैंक में भी आग लगाई गई.  

उधर राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों को दिए जाने वाले मुआवजे की रकम को बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये कर दिया है.

कलेक्टर एस के सिंह ने इस घटना में पांच लोगों की मौत की पुष्टि करते हुए बताया कि इसकी न्यायिक जांच कराने के आदेश दिये गये हैं. उन्होंने बताया कि पुलिस को आंदोलन कर रहे किसानों पर किसी भी स्थिति में गोली नहीं चलाने के आदेश दिये गये थे.

उन्होंने बताया कि मरने वालों की पहचान मंदसौर के रहने वाले कन्हैयालाल पाटीदार, बबलू पाटीदार, चेन सिंह सिंह पाटीदार, अभिषेक पाटीदार और सत्यनारायण के तौर पर की गयी है. अभिषेक और सत्यनारायण ने इलाज के लिये इन्दौर ले जाते वक्त दम तोड़ दिया

पीड़ितों के परिजन को 1-1 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस घटना में पीड़ितों के परिजन को 1-1 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है. चौहान ने ट्वीट कर कहा, ‘मैं किसानों से संयम बरतने की अपील करता हूं तथा वे किसी के बहकावे में नहीं आये. प्रदेश सरकार उनके साथ है तथा उनकी समस्याओं को बातचीत के जरिये हल कर दिया जायेगा.’इसके साथ ही चौहान ने किसान आंदोलन में हिंसा के लिये कांग्रेस को जिम्मेदार बताया.

रतलाम के जिला कलेक्टर अशोक भार्गव ने पड़ोसी जिले मंदसौर में हिंसा की इस घटना को देखते हुए रतलाम जिले में निषेधाज्ञा लागू करने आदेश दिये हैं. अफवाहों पर रोक लगाने के लिये रतलाम, मंदसौर और नीमच जिले में आज सुबह से ही प्रशासन द्वारा इंटरनेट सुविधा पर रोक लगा दी है. रतलाम जिला पुलिस अधीक्षक अमित सिंह ने फरार हुए किसान नेता और कांग्रेस से सम्बद्ध डीपी धाकड़, राजेश भार्गव और भगवती पाटीदार की गिरफ्तारी पर 10,000 रुपये का इनाम घोषित किया है. इंदौर में आज किसानों द्वारा निकाले गये ‘शांति मार्च’ में शामिल लोगों ने पुलिस बल पर हल्का पथराव किया. पुलिस ने लाठीचार्ज कर इन लोगों को खदेड़ा.

इस बीच, मध्यप्रदेश पाटीदार समाज के अध्यक्ष महेन्द्र पाटीदार ने बताया कि इस घटना में पाटीदार समाज के मृतकों का अंतिम संस्कार मुख्यमंत्री चौहान की मौजूदगी में ही किया जायेगा. कांग्रेस से जुड़े राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ ने मंदसौर में आज हुई किसानों की मौत के विरोध में कल प्रदेशव्यापी बंद का आहवान किया है.

कांग्रेस ने शिवराज सिंह चौहान का इस्तीफा मांगा

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने बताया, ‘मंदसौर में किसानों की मौत के विरोध में हमने बुधवार को प्रदेशव्यापी बंद का आहवान किया है.’ मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक अजय सिंह ने इस घटना पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से इस्तीफे की मांग करते हुए कहा कि यह घटना मुख्यमंत्री के लिये शर्मनाक है क्योंकि वह स्वयं को किसान का बेटा होने का दावा करते हैं.

उन्होंने कहा, ‘किसानों के लिये किये जा रहे मुख्यमंत्री के सभी दावे झूठे हैं. प्रदेश सरकार अब किसानों की आवाज दबाने के लिये गोलियां का प्रयोग कर रही है. मुख्यमंत्री चौहान को तुरंत इस्तीफा देना चाहिये.’मंदसौर में लोगों की मौत की घटना की जांच के लिये कांग्रेस ने अपने विधायकों की एक जांच समिति गठित की है. सिंह के साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव कल मंदसौर में पीड़ितों के परिजन से मुलाकात करेंगे.

वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने घटना की तीव्र निंदा करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार ने किसानों की समस्याओं का बातचीत से हल निकालने के बजाय इससे निपटने के लिये गोलियों का रास्ता अपनाया. उन्होंने कहा, ‘प्रदेश के इतिहास में आज काला दिन है. यह शर्मनाक है कि प्रदेश सरकार किसानों आंदोलन का बलपूर्वक दमन कर रही है जबकि किसानों की मांगे जायज हैं.’

किसानों की सरकार से क्या मांगें

किसानों ने मप्र सरकार को 32 सूत्रीय मांग पत्र सौंपा था. उन्होंने इसमें से कुछ मांगे स्वीकार कर ली थीं. लेकिन प्रमुख मांगों को स्वीकार नहीं किया. मप्र सरकार ने एक कानून बनाकर किसानों की जमीन का अधिग्रहण करने पर मुआवजे की धारा 34 को हटा दिया था और भूअर्जन केस में किसानों ने कोर्ट जाने का अधिकार वापस ले लिया था. किसान विरोधी इस कानून को हटाना किसानों की पहली मांग है. स्वामिनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करना. किसानों ने ये सिफारिश की है कि किसी फसल पर जितना खर्च आता है. सरकार उसका डेढ़ गुना दाम दिलाना तय करे. एक जून से शुरू हुए आंदोलन में जिन किसानों के खिलाफ केस दर्ज किए गए हैं, उन्हें वापस लिया जाए. मप्र के किसानों की कर्जमाफी हो. सरकारी डेयरी द्वारा दूध खरीदी के दाम बढ़ाए जाएं.

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