मध्य प्रदेश में घटिया चावल देने का मामला अभी थमा भी नहीं कि शाजापुर जिले से सड़ा हुआ गेहूं पीडीएस की दुकानों में वितरण के लिए भेजा जा रहा है. जानकारी के मुताबिक गेहूं दो साल से गोदाम रखा सड़ रहा है. इसमें पानी भरने से कीड़े भी लग चुके हैं.
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शाजापुर: मध्य प्रदेश में घटिया चावल देने का मामला अभी थमा भी नहीं कि शाजापुर जिले से सड़ा हुआ गेहूं पीडीएस की दुकानों में वितरण के लिए भेजा जा रहा है. जानकारी के मुताबिक गेहूं दो साल से गोदाम रखा सड़ रहा है. इसमें पानी भी भर चुका है बावजूद इसके खराब गेहूं पीडीएस की दुकानों पर भेजा जा रहा है.
शाजापुर जिले में पीडीएस की 348 दुकाने हैं, जिनके माध्यम से 16149 परिवारों को राशन दिया जाता है. शाजापुर जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर दूर ग्राम भदौनी में स्थित चौधरी वेयरहाउस पर 2 साल पुराना 10 हजार क्विंटल गेहूं रखा हुआ था. यह गेहूं वेयरहाउस में रखे-रखे खराब हो गया, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी अपनी गलती को छुपाने के लिए इस गेहूं को पीडीएस की 115 दुकानों पर वितरण करने के लिए भेज रहे हैं.
ट्रांसपोर्टर शानू खान का कहना है कि सड़े गेहूं को देखने के बाद ट्रांसपोर्टर ने पीडीएस दुकानों तक परिवहन करने के लिए मना कर दिया, क्योंकि ट्रांसपोर्टर को राशन देख कर ले जाना होता है. इस इंकार के बावजूद अधिकारियों ने उसे ले जाने के निर्देश दे दिए. अधिकारियों के निर्देश के आगे बेबस ट्रांसपोर्टर ने उस सड़े गेहूं का परिवहन शुरू करवा दिया.
वहीं खाद्य विभाग के असिस्टेंट फूड अधिकारी महेंद्र भरकतिया का कहना है अगर इस तरह का मामला है तो दुकानों से गेहूं को वापस बुलवाया जाएगा.
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आपको बता दें कि पीडीएस के तहत नियम है कि नागरिक आपूर्ति निगम एवं खाद्य विभाग के अधिकारी पीडीएस की दुकानों पर माल भेजने से पहले उसकी गुणवत्ता को देखते हैं, साथ ही माल का परिवहन करने वाले ट्रांसपोर्टर की भी जिम्मेदारी है कि खराब माल होने पर वह उसका परिवहन ना करें.
क्या हुआ था पहले?
गौरतलब है कि लॉकडाउन के दौरान केंद्र सरकार ने राज्यों से गरीबों को राशन वितरण करने के आदेश दिए थे. इसी को लेकर प्रदेश के मंडला और बालाघाट समेत सभी जिलों के गरीबों को चावल बांटे गए थे. मंडला और बालाघाट में हितग्राहियों ने घटिया चावल मिलने की शिकायत की थी. जिस पर केंद्र सरकार की जांच एजेंसी ने चावलों की गुणवत्ता की जांच की थी. जांच में पाया गया कि जो चावल गरीबों में बांटे गए थे वो जानवरों के खिलाने लायक थे.
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