घोटाले पर घोटाला; चावल, गेहूं और ट्रैक्टर के बाद अब सत्तू का पैसा डकार गए अधिकारी
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घोटाले पर घोटाला; चावल, गेहूं और ट्रैक्टर के बाद अब सत्तू का पैसा डकार गए अधिकारी

मध्य प्रदेश में घोटाले पर घोटाले हुए हैं, इसका खुलासा अब हो रहा है. पहले चावल, गेहूं बांटने और ट्रैक्टर के पार्ट्स खरीदने में घोटाला किया गया अब सत्तू घोटाले ने शिवराज सरकार की चिंता बढ़ा दी है. महीने भर में यह चौथा घोटाला है.

घोटाले पर घोटाला; चावल, गेहूं और ट्रैक्टर के बाद अब सत्तू का पैसा डकार गए अधिकारी

नीमच/भोपालः मध्य प्रदेश के नेता अपने उपचुनाव के प्रचार में व्यस्त है, क्योंकि प्रदेश में 27 सीटों पर उपचुनाव होना है. इसी से तय होगा कि प्रदेश में सत्ता की चाबी किसके पास होगी. लेकिन इन सबके बीच प्रदेश की जनता जागरूक हो रही है प्रशासन की खामियों को एक-एक कर के सामने ला रही है. प्रदेश में चावल, गेहूं और किसान ट्रैक्टर पार्ट्स खरीदी  घोटाले के बाद नीमच में आंगनबाड़ी केन्द्र से सत्तू घोटाला उजागर हुआ है.

मामला नीमच जिले के मनासा तहसील का है. जहां ब्लॉक की 247 आंगनबाड़ी केन्द्रों में से 84 केन्द्रों को कम सत्तू देने के मामले में नोटिस थमाए गए हैं. यहां आंगनबाड़ियों को 2 से 20 किलो सत्तू वितरित किया गया, लेकिन प्रशासन ने 51 किलो से लेकर 800 किलो के सत्तू वितरण करने का बिल बनाया है. मामले की जांच एसडीएम लेवल के अधिकारी कर रहे हैं. नीमच कलेक्टर का कहना है कि एसडीएम की जांच रिपोर्ट आने के बाद मामले में आगे कार्रवाई की जाएगी. 

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एक महीने में तीन और घोटाले आ चुके हैं सामने 

1. चावल घोटाला
मंडला और बालाघाट में राशन पाने वाले हितग्राहियों ने चावल की गुणवत्ता को लेकर शिकायत की थी. भारत सरकार के फूड एवं सिविल सप्लाई मिनिस्ट्री की टीम ने इन दोनों जिलों में गरीबों को वितरित किए गए चावल की गुणवत्ता की जांच की तो यह पोल्ट्री क्वॉलिटी (मुर्गे-मुर्गियों को चारे के रूप में दिए जाने योग्य) का निकला. चावल की गुणवत्ता परखने के लिए अभी तक 1021 सेम्पल लिए गए थे जिसमें 57 सैंपल अमानक पाए गए थे.घोटाला सामने आने के सरकार ने बालाघाट और मंडला के जिम्मेदार अधिकारियों को तत्काल सस्पेंड कर दिया था. इसके बाद शिवराज सरकार ने EOW को जांच का जिम्मा सौंपा था. जिसमें टीम ने 22 मील मालिकों और 9 अफसरों पर कार्रवाई की थी. टीम की जांच अभी भी पूरे प्रदेश में चल रही है. 

2. गेहूं घोटाला

चावल घोटाले का मुद्दा शांत भी नहीं हुआ था कि शाजापुर में गेहूं में हेराफेरी सामने आ गई थी. यहां गरीबों को कीड़े लगा गेहूं बांट दिया गया था. जिले में पीडीएस की 348 दुकानें हैं, जिनके माध्यम से 16149 परिवारों को राशन दिया जाता था. लेकिन दो बरसों से गेहूं वेयरहाउस में रखे-रखे खराब हो गया. बावजूद उसके जिम्मेदार अधिकारी अपनी गलती छुपाने के लिए इसे पीडीएस की 115 दुकानों पर वितरण करने के लिए भेजते थे. शाजापुर के साथ ही छिंदवाड़ा में भी कुछ ऐसा ही मामला सामने आया था. राशन दुकानों पर सड़ा गेहूं वितरित किया गया था. 

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व्यापारी अपने बाकी साथियों के साथ गोदाम में रखे राशन को बाजार में ऊंचे दामों पर बेच दिया करते थे. बालाघाट और मंडला की मीलों में जो राशन दिया गया, उस पर व्यापारियों ने 50 करोड़ का फर्जी बिल बनाया था. मोहन अग्रवाल पिछले 20 सालों से गरीबों के राशन पर हाथ साफ कर रहे थे. EOW ने कुछ दिनों पहले ही इंदौर से अपराधियों का पता लगाया है. यहां तक की मोहन अग्रवाल पर पुलिस ने पांच हजार का ईनाम भी रखा है. 

3. ट्रैक्टर घोटाला
यह स्कैम प्रदेश के उज्जैन जिले के उद्यानिकी विभाग में हुआ है. किसानों को कृषि यंत्र देने के नाम पर निजी एजेंसियों के खाते में पैसे डाले गए. जब मध्य प्रदेश सरकार की एक योजना के तहत किसानों को खेती में सहायता के लिए ट्रैक्टर के पार्ट्स का वितरण होना था. लेकिन किसानों को चाइना मेड घटिया उपकरणों की सप्लाई की गई. जांच अधिकारी ने बताया था कि यह मामला चार साल से चल रहा है. गड़बड़ी 2017-18 की हो या 2019-20 की, जांच रिपोर्ट आ गई है. 

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