देवदूत बने डॉक्टरों का कमाल, 3D तकनीक से बना दिया बच्चे का मलद्वार
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देवदूत बने डॉक्टरों का कमाल, 3D तकनीक से बना दिया बच्चे का मलद्वार

दो माह के बच्चे में जन्म से मलद्वार न होने और मूत्रनलिका से जुड़ाव के चलते उसका स्वस्थ रहना मुश्किल हो गया था.

नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में ऑपरेशन के क्षेत्र में इतिहास रचा गया. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

जबलपुर: मध्यप्रदेश के जबलपुर में स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में ऑपरेशन के क्षेत्र में इतिहास रचा गया. यहां दो माह के मासूम की थ्री-डी लेप्रोस्कोपिक शल्यक्रिया के जरिए मलद्वार बना गया. राज्य में हुई यह पहली थ्री-डी लेप्रोस्कोपिक शल्यक्रिया है. खबरों के अनुसार, कटनी निवासी दो माह के बच्चे में जन्म से मलद्वार न होने और उसके मूत्रनलिका से जुड़ाव के चलते बच्चे का स्वस्थ रहना मुश्किल हो गया था. इस स्थिति में शल्यक्रिया के जरिए बच्चे का मलद्वार बनाना चुनौतीपूर्ण था.

शल्यक्रिया विभाग के अध्यक्ष डॉ. विकेश अग्रवाल ने कहा, "बच्चे के शरीर में थ्री-डी लेप्रोस्कोपिक सर्जरी' कर नया मलद्वार बनाया गया. राज्य में होने वाली बच्चे की यह पहली थ्री-डी लेप्रोस्कोपिक सर्जरी है."

बच्चों में रोबोटिक सर्जरी का रास्ता साफ
अभी तक मेडिकल कॉलेज में लेप्रोस्कोपिक की सुविधा जरूर उपलब्ध थी, लेकिन थ्री-डी सर्जरी आने से बच्चों में रोबोटिक सर्जरी का रास्ता साफ हो गया है.

रिकवरी जल्दी होती है
थ्री-डी सर्जरी के बारे में उन्होंने कहा, "इस तरह की सर्जरी थ्री-डी एनिमेशन की तरह होती है, जिसमें शरीर के आंतरिक अंगों को तीन आयामों में देखा जाता है और सर्जन कहीं ज्यादा कुशलता से लेप्रोस्कोपिक की-होल सर्जरी को अंजाम दे सकता है. इस थ्री-डी तकनीक से लक्ष्य को भेदने में आसानी होती है एवं रिकवरी जल्दी होती है."

थ्री-डी चश्मे का सहारा
उन्होंने कहा, "छोटे बच्चे में सर्जरी के लिए छोटी जगह होने के कारण थ्री-डी तकनीक से कुशलता बढ़ जाती है. इसके लिए थ्री-डी आधुनिक मशीन और थ्री-डी चश्मे का सहारा लिया जाता है."

इस सर्जरी में डॉ. विकेश अग्रवाल के साथ डॉ. आचार्य, डॉ. तिवारी, डॉ. राजेश मिश्रा, डॉ. दिनेश, डॉ. कोल एवं डॉ. देवेश ने सहयोग दिया. मेडिकल के डीन डॉ. पी.के. कसार ने मध्यप्रदेश के लिए इस शल्यक्रिया को बड़ी उपलब्धि करार दिया.

 

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