Bhind News: कई वर्षों से कायाकल्प पुरस्कार जीत रहा भिंड जिला अस्पताल अब गंदगी और बदहाली में डूबा हुआ है. ज़िम्मेदार लोग अपनी ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं.
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Bhind District Hospital: मध्य प्रदेश का भिंड जिला अस्पताल जो लगातार कई वर्षों से "कायाकल्प पुरस्कार" जीत रहा है अब साफ़-सफ़ाई और बुनियादी ढांचे के मामले में पूरी तरह से बदहाल है. सबसे ज़्यादा ख़राब हालात इसके आईसीयू (इंटेंसिव केयर यूनिट) वार्ड में हैं जो सबसे ज़्यादा संवेदनशील क्षेत्र है. हालात ऐसे हैं कि जब अस्पताल ही बीमार हो तो इलाज कैसे होगा?
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भिंड जिला अस्पताल की हालत खराब
दरअसल, भिंड जिला अस्पताल जो लंबे समय तक कयाकल्प अवार्ड जीतता रहा है अब साफ-सफाई और बेहतर व्यवस्थाओं के मामले में बदहाल स्थिति में है. अस्पताल के आईसीयू वार्ड में बेड सीटों की गंभीर कमी है, जिससे मरीज अपने घर से बिस्तर लाकर अस्पताल के पलंग पर बिछाते हैं. इस स्थिति में मरीज और उनके अटेंडर अस्पताल के पलंगों पर बैठकर ही भोजन करते नजर आते हैं, जो संक्रमण फैलने का बड़ा खतरा है. आईसीयू वार्ड में अटेंडर का प्रवेश प्रतिबंधित है, लेकिन मरीज और उनके अटेंडर जमीन पर लेटे हुए पाए गए.
मरीजों को घर से लाने पड़ रहे बिस्तर
जानकारी के मुताबिक जिला अस्पताल के आईसीयू वार्ड में मरीजों के लिए चादरें नहीं हैं और मरीज घर से लाए गए बिस्तर को अस्पताल के बेड पर बिछाते देखे जा सकते हैं. मरीज और उनके तीमारदार बेड पर बैठकर खाना खाते नजर आते हैं, जिससे मरीजों को और भी बीमारी का खतरा बना रहता है. आईसीयू वार्ड (इंटेंसिव केयर यूनिट) में, जहां अटेंडर को भी जाने की अनुमति नहीं है, मरीज और उनके तीमारदार बेड और फर्श पर लेटे नजर आते हैं.
जिम्मेदारों ने झाड़ा पल्ला
इतना ही नहीं आईसीयू वार्ड के बाहर रखे कूड़ेदान में गुटखा खाने के बाद निकली गंदगी साफ दर्शाती है कि जिला अस्पताल अब पूरी तरह से गंदगी और बदहाली की चपेट में है. जब इस संबंध में जिम्मेदार अधिकारी सिविल सर्जन से सवाल पूछा गया तो उन्होंने इसके लिए आम जनता को जिम्मेदार ठहराकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया. (रिपोर्ट- प्रदीप शर्मा)