आस्था या अंधविश्वासः यहां बच्चों को गर्म लोहे से जलाकर किया जाता है बीमारियों का इलाज
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आस्था या अंधविश्वासः यहां बच्चों को गर्म लोहे से जलाकर किया जाता है बीमारियों का इलाज

छत्तीसगढ़ के कोंडागाव में लोग आस्था के नाम पर अजीबो-गरीब कारनामें करते हैं. यहां आमावस्या की पहली रात गर्म लोहे से बच्चों और बुजुर्गों को जलाया जाता है, जिससे उनकी बीमारी दूर हो सके.

अंधविश्वास

चंपेश जोशी/कोंडागाव:आज सावन के महीने में पढ़ने वाली हरियाली अमावस्या है. इस दिन पवित्र नदी में स्नान और दान का बड़ा महत्व होता है. कहा जाता है कि आज के दिन अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान, तर्पण आदि किया जाता है. लेकिन छत्तीसगढ़ के कोंडागाव में लोग आस्था के नाम पर अजीबो-गरीब कारनामें करते हैं. यहां आमावस्या की पहली रात गर्म लोहे से बच्चों और बुजुर्गों को जलाया जाता है, जिससे उनकी बीमारी दूर हो सके.

ये मामला कोंडागांव जिले के मसौरा गांव का है. जहां लोग 21 वीं सदी में आस्था के नाम पर लोगों की जान को जोखिम में डाल रहे हैं. अंधविश्वास में डूबे यह लोग सुबह अंधेरे ही 4 बजे बच्चों को बुजुर्गो को लेकर पहुंचते हैं और गांव के एक व्यक्ति के पास लाकर उन्हें गर्म लोहे से जलाते हैं. यह व्यक्ति लोहे को जलते हुए अंगार में गर्म करता है और छोटे-छोटे बच्चों के गले, हाथों और पैरों में दागता है.

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यही नहीं बुजुर्ग भी पीछे नहीं हटते. अपनी बीमारी से मुक्ति पाने के लिए बुजुर्ग लोग अपने अंगों पर गर्म लोहा रखवाकर अपनी बीमारी दूर करने का दावा करते हैं. खास बात यह है कि यह लोहा गांव में केवल एक के पास होता है.

जब जी मीडिया के रिपोर्टर ने उनसे पूछा तो उन्होंने बताया कि, यह लोहे का टुकड़ा उन्हें आसमानी बिजली गिरने के बाद मिला है, जिससे पूरे गांव के लोगों को आका (जलाया) जाता है. जिससे जलाने पर सारी बीमारियां दूर हो जाती हैं.

सदियों पुरानी है यह परंपरा
कुछ महिलाएं खुद लोहा गर्म कर खुद को जलाती हैं. हालांकि उनका कहना है कि उन्हें ऐसा करने में दर्द तो होता है मगर यह परंपरा है. महिलाएं बताती है ये सिलसिला आज से नहीं बल्कि कई पीढ़ियों से चली आ रही है.

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