MP News: मध्य प्रदेश सरकार लाडली बहना योजना के अलावा एमपी की कई योजनाओं का सोशल ऑडिट बनाने जा रही है. इस ऑडिट के तहत अधिकारी लाभार्थी के घर जाकर उन्हें इन योजनाओं से क्या लाभ मिला या नहीं और योजना की कमियों से लेकर खूबियों तक की एक रिपोर्ट तैयार करेंगे.
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MP Government Ladli Behna Yojana: मध्य प्रदेश सरकार की बहुचर्चित लाडली बहना योजना को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है. इस अपडेट के तहत मध्य प्रेदश में लाडली बहना जैसी कई प्रमुख योजनाओं का सोशल ऑडिट करवाया जाएगा. यानी की लाड़ली बहना जैसी प्रमुख योजनाओं से कसे कितना क्या लाभ मिला, इन योजनाओं से उनके जीवन में क्या बदलाव आया. इन सारी जानकारियों को इकट्ठा कर कमियों से लेकर खूबियों तक की रिपोर्ट बनाई जाएगी. ये रिपोर्ट एमपी सरकार को भेजी जाएगी.
योजनाओं का सोशल ऑडिट
बता दें कि मध्य प्रेदश सराकर हर वर्ग के लोगों को सशक्त करने के लिए कई योजनाएं चलाती है, जिससे एमपी के लोग लाभान्वित हो रहे हैं. मध्य प्रदेश का गरीब वर्ग हो या फिर बुजुर्ग, बच्चे और महिलाएं, हर कोई एमपी सरकार की योजनाओं से अपने आप को जोड़ के रखता है. इसी को देखते हुए एमपी सरकार ने भी इन योजनाओं का सोशल ऑडिट करने का फैसला लिया है. इस निर्णय के तहत सरकार योजनाओं में सुधार और परिवर्तन जैसे निर्णय लेगी. इसके लिए शासन स्तर पर सोशल ऑडिट के लिए योजना तैयार की जा रही है. इसका प्रस्ताव सीएम मोहन यादव के सामने रखा जाएगा. सीएम से मंजूरी मिलने के बाद विभागों में ऑडिट की प्रोसेस को शुरु किया जाएगा. ये ऑडिट सिर्फ कागजों पर नहीं बल्कि अधिकारी और कर्मचारी घर-घर जाकर योजना के लाभार्थियों से संपर्क करेंगे.
लाड़ली बहना पर खर्च होते हैं इतने रुपए
आपको बता दें कि लाड़ली बहना योजना के तहत वर्तमान में एक करोड़ 17 लाख पात्र महिलाओं को हर महीने 1250 रुपये दिया जाते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार इस योजना पर हर महीने करीब 1550 करोड़ रुपये खर्च कर रही है. एमपी के बजट 2025-26 आवंटन के वक्त भी इस योजना पर 18,669 करोड़ रुपये बजट का प्रविधान किया गया है. लाडली बहना एमपी में इतनी सफल साबित हुई कि महाराष्ट्र में भी लाडली बहना योजना को लागू किया गया है.
ऑडिट में कौन-कौन सी योजनाएं शामिल
बता दें कि लाडली बहना के अलावा प्रधानमंत्री मातृवंदना, पीएम आवास, निश्शुल्क खाद्यान्न वितरण, पथ विक्रेता योजना, लाड़ली लक्ष्मी योजना, सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना जैसे तमाम योजनाओं के लाभार्थियों से संपर्क किया जाएगा. CAG की तरह एक रिपोर्ट तैयार की जाएगी जिसमें फाइनेंस ऑडिट की जगह सोशल आडिट होगा यानी की इन योजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना.