MP: प्रथा पर कानून बनाकर लगाई गई पाबंदी, फिर भी बना सती मंदिर
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MP: प्रथा पर कानून बनाकर लगाई गई पाबंदी, फिर भी बना सती मंदिर

इस संबंध में समिति की संस्‍थापिका रेखा गर्ग का कहना है कि राजस्थान के झुंझुनू में माता के भव्य मंदिर से प्रेरणा लेकर यहां मंदिर की स्थापना की जा रही है.

सती मंदिर

भोपाल: मध्‍य प्रदेश के बड़वानी जिले स्थित सेंधवा किले में सती मंदिर का निर्माण हुआ है. सेंधवा के दादी परिवार द्वारा इसका निर्माण कराया गया है. इसके साथ ही इसकी स्‍थापना पर विवाद शुरू हो गया है. दरअसल सती प्रथा को कानूनी रूप से गलत बता कर अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित 12 अन्य जगह शिकायत की है. हालांकि मंदिर निर्माण समिति ने आरोपों से इनकार कर खुद को सती प्रथा का विरोधी बताया है.

  1. मध्‍य प्रदेश के बड़वानी में बना सती मंदिर
  2. इसके निर्माण का हो रहा विरोध
  3. मंगलवार को मंदिर की प्राण-प्रतिष्‍ठा की गई

मंगलवार को सेंधवा किले के अंदर सती माता मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए भव्‍य आयोजन किया गया. निर्माण करने वाली समिति दादी परिवार द्वारा इसका निर्माण किया जा रहा है. इस संबंध में समिति की संस्‍थापिका रेखा गर्ग का कहना है कि राजस्थान के झुंझुनू में माता के भव्य मंदिर से प्रेरणा लेकर यहां मंदिर की स्थापना की जा रही है.

उन्‍होंने कहा कि सात साल पहले हमने जब उस मंदिर को देखा था तो वहीं से जोत जगी थी और यह प्रेरणा मिली थी कि सेंधवा को भी दादी धाम बनाना है. संस्थाओं द्वारा सती प्रथा को बढ़ावा देने की बात पर उनका कहना है कि गया वह जमाना जब माता सती होती थी. हम सती प्रथा को बढ़ावा नहीं दे सकते, हम तो इस कलयुग में माता सती की धर्म के प्रति आस्था को हिंदू धर्म में बढ़ावा दे रहे हैं. घर-घर में हिंदू धर्म की ज्‍योति जगा रहे हैं.

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वहीं राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित 12 अन्य जगहों पर शिकायत करने वाले अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति के संयोजक अजय मित्तल का कहना है कि इस तरह के मंदिर बनने से सती कु-प्रथा को बढ़ावा मिलेगा जिसको कानून बनाकर दो साल पहले ही अवैध घोषित कर दिया गया है. हमारे क्षेत्र में इसका प्रचार-प्रसार न हो, इसलिए मैंने मंदिर चालू होने से पहले ही इसको रोकने के लिए शिकायत दर्ज कराई थी लेकिन चार दिन बीत जाने के बाद भी किसी प्रशासनिक अधिकारी या अमले द्वारा कोई कार्रवाई अब तक नहीं की गई.

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इस बीच मध्‍य प्रदेश से एक बड़ी खबर यह आ रही है कि संजय लीला भंसाली की 'पद्मावत' के जिस विलेन अलाउद्दीन खिलजी की करणी सेना विरोध कर रही है उसी को मध्य प्रदेश के पाठ्यक्रम में हीरो के तौर पर पेश किया गया है. एक तरफ फिल्म के विरोध में करणी सेना ने देश की कानून व्यवस्था को ताक पर रख दिया वहीं दूसरी तरफ मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 12वीं की किताबों में छात्रों को खिलजी की शौर्य गाथा पढ़ाई जा रही है. पाठ्यक्रम में खिलती की युद्धनीति और बाजार नियंत्रण नीति की तारीफ की गई है. पाठ्यक्रर्म के 334 पन्ने पर खिलजी को वीर बताते हुए लिखा गया है कि अपने समक्ष विषम कठिनाइयों को देखकर भी अलाउद्दीन खिलजी विचलित नहीं हुआ. उसने अत्यंत धैर्य कूटनीति एंव शक्ति से कठिनाइयों का सामना किया. छात्रों को पढ़ाया जा रहा है कि अलाउद्दीन खिलजी ने चितौड़ पर आक्रमण किया था और खिलजी ने शीशे में रानी पद्मिनी की झलक देखी थी.

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