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शिक्षकों की ई-अटेंडेंस पर MP हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, जानिए क्या लिया गया निर्णय

E-Attendance in MP: ई-अटेंडेंस को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट में लगाई गई शिक्षकों की याचिका पर फैसला आ गया है. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इस मामले में बड़ा फैसला सुनाया है.

ई-अटेंडेंस पर एमपी हाईकोर्ट का फैसला
ई-अटेंडेंस पर एमपी हाईकोर्ट का फैसला

MP News: मध्य प्रदेश के शिक्षकों की तरफ से ई-अटेंडेंस व्यवस्था के खिलाफ लगाई गई जनहित याचिका पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. मध्य प्रदेश में लागू की गई ई-अटेंडेंस की व्यवस्था पर रोक नहीं लगाई जाएगी. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकारी शिक्षकों के लिए ई-अटेंडेंस को अनिवार्य करने के सरकारी आदेश को सही माना है, वहीं कोर्ट ने खराब नेटवर्क और स्मार्टफोन की दलीलें देने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया. ऐसे में अब एमपी में सभी शिक्षकों को ई-अटेंडेंस लगाना अनिर्वाय करना जारी रहेगा. 

सरकारी स्कूलों में लागू है व्यवस्था 

एमपी हाईकोर्ट ने साफ किया कि इस व्यवस्था को लागू करने में कोई कानूनी बाधा नहीं है और यह सरकार का प्रशासनिक निर्णय है, जिसमें न्यायालय का हस्तक्षेप करना उचित नहीं है. चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि ई-अटेंडेंस प्रणाली पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम है. अब प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को अपनी उपस्थिति केवल ई-अटेंडेंस पोर्टल या ऐप के माध्यम से ही दर्ज करनी होगी. यानि सरकारी स्कूलों के सभी शिक्षकों को अपनी नियमित उपस्थिति अब ई-अटेंडेंस के हिसाब से ही दर्ज करानी होगी. 

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याचिकाकर्ता ने दी थी यह दलील 

दरअसल, ई-अटेंडेंस के खिलाफ दायर की यह याचिका गेस्ट टीचर को-ऑर्डिनेशन कमेटी अशोकनगर के अध्यक्ष सुनील कुमार सिंह की तरफ से लगाई गई थी. जिसमें उन्होंने राज्य सरकार के 20 जून 2025 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसके तहत 1 जुलाई 2025 से सभी सरकारी शिक्षकों के लिए ई-अटेंडेंस अनिवार्य कर दिया गया था. याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि ग्रामीण और दूरस्थ इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी और मोबाइल नेटवर्क की गंभीर समस्याएं हैं, ऐसे क्षेत्रों में कार्यरत शिक्षक स्मार्टफोन न होने या नेटवर्क की कमी के कारण समय पर उपस्थिति दर्ज नहीं कर पाते. इसलिए, ई-अटेंडेंस को अनिवार्य करना व्यवहारिक रूप से कठिन है. 

जिस पर राज्य सरकार की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता निलेश यादव ने कोर्ट में पक्ष रखते हुए कहा कि ई-अटेंडेंस प्रणाली का उद्देश्य शिक्षकों की उपस्थिति में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करना है. उन्होंने बताया कि यह व्यवस्था शिक्षा व्यवस्था को अधिक प्रभावी बनाने के लिए लागू की गई है और इसमें किसी प्रकार की कानूनी अड़चन नहीं है. ऐसे में कोर्ट ने राज्य सरकार की दलीलों को सही मानते हुए याचिका को खारिज कर दिया है.

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