MP First Bulldozer Action: देश के अधिकांश राज्यों में इन दिनों अपराधियों और अतिक्रमण पर कार्रवाई करने के लिए बुलडोजर की कार्रवाई की जाती है. इस दौरान, दबंग और अपराधियों के अवैध संपत्तियों को तहस-नहस किया जाता है. वैसे तो बुलडोजर कार्रवाई को लेकर अक्सर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चर्चा में रहते हैं. इन्हें लोग बुलडोजर बाबा के नाम से भी जानते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं बुलडोजर एक्शन की शुरुआत यूपी नहीं बल्कि एमपी सबसे पहले हुई थी. अगर नहीं तो चलिए जानते हैं क्या है पूरा इतिहास...
वैसे तो भारत में बुलडोजर कार्रवाई सार्वजनिक चर्चा 2020 के बाद आया, जब कानपुर के बिकरू गांव में गैंगस्टर विकास दुबे और उसके साथियों द्वारा 8 पुलिसकर्मियों की हत्या की गई. इस दौरान योगी सरकार ने विकास दुबे की अवैध कोठी पर बुलडोजर चलाया था. यह घटना पूरे देश में सुर्खियों में रही और इसे अपराधियों पर सरकार की सख्त कार्रवाई के प्रतीक के रूप में देखा गया. इस घटना के बाद से ही यूपी में "बुलडोजर मॉडल" की चर्चा तेज़ हुई.
कानपुर में विकास दुबे के अवैध अतिक्रमण पर बुलडोजर एक्शन होने के बाद से पूरे देश में इसकी चर्चा तेज हो गई. अपराधियों पर अंकुश लगाने और अवैध कब्जे को हटाने के लिए बुलडोजर की कार्रवाई की जाती है. ऐसे में ज्यादात्तर लोग जानते हैं बुलडोजर कार्रवाई की शुरुआत यूपी से ही हुई थी. लेकिन हम आपको बता दें इससे पहले भी देश में अपराधियों और दबंगों के अवैध प्रापर्टी पर बुलडोजर कार्रवाई हुई है.
दरअसल मीडिया रिपोर्ट से मिली जानकारी के मुताबिक, उत्तर प्रदेश से पहले मध्य प्रदेश में बुलडोजर कार्रवाई हुई थी. बताया जाता है कि सबसे पहले बुलडोजर कार्रवाई मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने की थी. बाबूलाल गौर को मध्य प्रदेश में "बुलडोजर मंत्री" के नाम से जानते थे.
1990 के दशक में जब बाबूलाल गौर शहरी विकास मंत्री थे, तब उन्होंने भोपाल में अतिक्रमण हटाने के लिए बुलडोजर का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया था. यह मुख्य रूप से शहरी अतिक्रमण और सड़कों को चौड़ा करने के उद्देश्य से था. इस लिहाज से माना जाता है कि उत्तर प्रदेश से पहले मध्य प्रदेश में बुलडोजर एक्शन देखने को मिला था.
मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री रहते वक्त बाबू लाल गौर बुलडोजर एक्शन को लेकर काफी चर्चे में थे. बताया जाता है कि राजधानी भोपाल के गौतम नगर में अतिक्रमणकारियों को हटाने के लिए गौर ने सिर्फ बुलडोजर खड़ा कर इंजन चालू करा दिया था. जिसके बाद अतिक्रमणकारी अपने आप अतिक्रमण हटाने लगे थे.
वहीं भोपाल के बड़े तालाब के किनारे जब वीआईपी रोड का निर्माण हो रहा था. उस वक्त वहां कई झुग्गियां थी. जहां बुलडोजर चलाने के लिए बाबूलाल गौर ने आदेश दे दिया. लेकिन अधिकारी बुलडोजर चलवाले में डर रहे थे. यहां बुलडोजर कार्रवाई रोकने का कई बार दबाव भी आया, लेकिन वे नहीं रुके. इस दौरान बुलडोजर एक्शन के खौफ से अतिक्रमणकारियों ने खुद ही कब्जा हटाना शुरू कर दिया.
यह कहना मुश्किल है कि "सबसे पहले" बुलडोजर वाली कार्रवाई कहां हुई थी, क्योंकि बुलडोजर का इस्तेमाल निर्माण और तोड़फोड़ के कामों में लंबे समय से हो रहा है. स्वतंत्रता के बाद शहरी विकास और अवैध कब्ज़े हटाने के लिए बुलडोजर जैसी मशीनों का इस्तेमाल होता रहा है. दिल्ली में तुर्कमान गेट डिमोलिशन एक बड़ा उदाहरण है, जहां आपातकाल के दौरान बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ की गई थी.
नोट- यहां उपयोग में ली गईं कई तस्वीरें Meta AI द्वारा जनरेटेड हैं. (Disclaimer: यहां दिए गए आकड़े इंटरनेट पर मौजूद और gemini से मिली जानकारियों पर आधारित है. Zee News किसी भी सत्यता का पुष्टि नहीं करता है. मेरा मकसद सिर्फ सूचना पहुंचाना है.)
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