Sports Players of MP: मध्य प्रदेश के टॉप प्लेयर्स अपने ही राज्य के खिलाफ दूसरे स्टेट की ओर से खेल रहे हैं और उनके लिए मेडल ला रहे हैं. जो मेडल मध्य प्रदेश के खाते में आने चाहिए, वो दूसरे राज्यों के खाते में जा रही है. इसकी वजह एमपी सरकार द्वारा इन खिलाड़ियों को जॉब की गारंटी नहीं देना है.
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Sports Players of MP: मध्य प्रदेश के खिलाड़ी अब दूसरे राज्यों की ओर पलायन कर रहे है. एमपी के प्लेयर्स नौकीर की गारंटी नहीं मिलने की वजह से दूसरे राज्यों में जाकर खेल रहे हैं. यही नहीं ये खिलाड़ी अपने ही राज्य के खिलाफ भी खेल रहे हैं. आलम यह है कि जो मेडल एमपी के खाते में आने चाहिए वो दूसरे प्रदेश के खाते में जा रहे हैं. ऐसे में खेल मंत्रालय को भी इस ओर ध्यान देने की जरुरत है कि आखिर कब तक प्रदेश में आने वाले मेडल दूसरे स्टेट को मिलते रहेंगे.
दरअसल, हाल ही में हुए उत्तराखंड नेशनल्स गेम्स में भी ऐसा ही देखने को मिला है. जहां मध्य प्रदेश के ने 331 खिलाड़ी उतारे थे. लेकिन इसमें 120 खिलाड़ी ऐसे थे जो रहने वाले तो मध्य प्रदेश के हैं. लेकिन वो खेल दूसरे राज्यों के लिए रहे थे. इनमें 68 खिलाड़ियों ने मेडल पाया. वाटर स्पोर्टस के लिए कुल 58 खिलाड़ी पानी में उतरे थे. 58 खिलाड़ियों में 25 खिलाड़ी मध्य प्रदेश के थे, जो दूसरे राज्यों के लिए खेल रहे थे. यही वजह रहा कि मध्य प्रदेश चौथे नंबर पर रहा.
25 खिलाड़ी दूसरे राज्यों में
अगर बात करें सिर्फ कयाकिंग-केनोइंग की तो साल 2023 में एमपी के 25 ऐसे खिलाड़ी हैं, जो दूसरे राज्यों में चले गए. वहीं, बॉक्सिंग के 62 खिलाड़ी पिछले करीब 10 सालों से दूसरे राज्यों में नौकरी कर रहे हैं. वहीं, सेलिंग के चार खिलाड़ी नेवी ज्वाइन कर प्रदेश से चले गए. इससे एमपी का सेलिंग परफॉर्मेंस शून्य पर चला गया है. यही हाल फेंसिंग, जुडो, कुश्ती, एथलेटिक्स के खिलाड़ियों का भी है. जो लगातार दूसरे राज्यों की ओर पलायन कर रहे हैं.
जानिए क्यों कर रहे दूसरे राज्यों में पलायन
गौरतलब है कि खेल में अव्वल खिलाड़ियों को विशेष आरक्षण के तहत नौकरी दी जाती है. हरियाणा, केरल, कर्नाटक, मणिपुर, तमिलनाडु, उड़ीसा और बिहार समेत कई राज्यों में मेडल जितने वाले खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी में वरीयता दी जाती है. बिहार, हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र में नेशनल गेम्स मेडलिस्ट को तो जॉब की भी गारंटी है. वहीं, मध्य प्रदेश में सिर्फ विक्रम अवार्ड वालों को ही जॉब दी जाती है. वह भी क्लर्क की जॉब दी जाती है. एक रिपोर्ट के मतुबाकि, सरकार साल में दस खिलाड़ियों को विक्रम अवॉर्ड देती है. जिसमें से आधे या ओवरऐज होते हैं या शैक्षणिक रूप से योग्य नहीं होते हैं. ऐसे में इस अवार्ड के तहत भी सालभर में सिर्फ 5 ही खिलाड़ी नौकरी पाते हैं.
इनाम देकर हो जाता है काम
एक तरफ जहां दूसरे में हरियाणा, पंजाब और महाराष्ट्र में भी नेशनल गेम्स में मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को नौकरी और इनाम दिया जा रहा है, तो वहीं, मध्य प्रदेश में सिर्फ शनल गेम्स में गोल्ड जीतने पर 6 लाख, सिल्वर पर 4 लाख और ब्रॉन्ज पर 3 लाख रुपए देकर इतिश्री कर लेते हैं. यह राशि में इस साल से मिलनी शुरू होगी.
वहीं, इसको लेकर मध्य प्रदेश सरकार के खेल एवं युवा कल्याण डायरेक्टर रवि कुमार गुप्ता ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि खेल कोटे से पुलिस भर्ती की योजना में जुटे हैं. उन्होंने बताया एमपी में खेल कोटा से सलाना 60 खिलाड़ियों को भर्ती करने की योजना है. एक साल इस प्रकिया के तहत भर्ती भी हुई है. फिर से यह शुरू हो, इसके लिए हम लगातार पुलिस अधिकारियों से संपर्क में हैं.
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