बिलासपुरः तखतपुर में बंद पड़ी है धागे की सप्लाई, आर्थिक संकट में घिर सकते हैं 40 से अधिक परिवार
Advertisement
trendingNow1/india/madhya-pradesh-chhattisgarh/madhyapradesh560775

बिलासपुरः तखतपुर में बंद पड़ी है धागे की सप्लाई, आर्थिक संकट में घिर सकते हैं 40 से अधिक परिवार

जिले के तखतपुर के बुनकरों को धागे की कमी के चलते काम नहीं होने के कारण गंभीर आर्थिक संकट की की स्थिति आ रही है. अभी पूर्व में उपलब्ध कराए गए धागे से हफ्ते भर का काम बचा है, लेकिन इसके बाद धागा नहीं होने के कारण बुनाई का काम रुक जाएगा.

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

बिलासपुरः बुनकर संघ की दो समितियों से जुड़कर काम करने वाले 40 बुनकर परिवारों के सामने बड़े आर्थिक संकट की नौबत आने वाली है. इसका कारण बुनाई के लिए मिलने वाले धागे की सप्लाई नहीं होना है. इसके लिए बुनकरों ने मुख्यमंत्री के नाम तहसीलदार को ज्ञापन भी सौंपा है. दरअसल, जिले के तखतपुर के बुनकरों को धागे की कमी के चलते काम नहीं होने के कारण गंभीर आर्थिक संकट की की स्थिति आ रही है. अभी पूर्व में उपलब्ध कराए गए धागे से हफ्ते भर का काम बचा है, लेकिन इसके बाद धागा नहीं होने के कारण बुनाई का काम रुक जाएगा और इससे बुनाई के काम मे लगे 40 परिवार के लोग बेरोजगार हो जाएंगे. 

बुनाई एक मात्र काम है, जो ये परिवार पुश्तैनी रूप से करते आ रहे हैं, और यही घर खर्च चलाने का एक मात्र साधन है. पिछले चार महीने से धागे की सप्लाई नहीं हुई है. इसके कारण बुनाई का काम रुक जाने से इन्हें मिलने वाली रोजी रुक जाएगी तथा इनके सामने रोजी का संकट खड़ा हो जाएगा. इस कारण बुनकर परिवारों की माथे पर चिंता की लकीरें उभरने लगी हैं और धागे की सप्लाई करवाने के लिए बुनकरों ने पिछले दिनों मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भी सौंपा है. लेकिन अभी तक धागे की सप्लाई नहीं की गई है.

देखें लाइव टीवी

सक्षम डेयरीः कोर्ट ने दिए आदेश, संपत्ति बेचकर निवेशकों का पैसा लौटाए कंपनी

बता दें कि तखतपुर में दो बुनकर समितियां हैं. जिसमे लगभग 40 बुनकर काम करते है. बुनकरों को समिति के माध्यम से धागा मिलता है. जिससे बुनाई का काम होता है. यह धागा छत्तीसगढ़ राज्य हथकरघा बुनकर विकास वितरण संघ मर्यादित रायपुर से आता है. लेकिन पिछले चार महीनों से रायपुर से ही धागे की सप्लाई नहीं हुई है. इससे तखतपुर सहित जिले के लोफन्दी, गनियारी, रानीगांव, लखराम, बिलासपुर के बुनकरों के पास भी काम नहीं रहेगा. वहीं हथकरघा उद्योग को जिंदा रखने के लिए शासन की स्पष्ट नीति है कि सभी शासकीय संस्थानों में कपड़ों की खरीदी खाड़ी ग्रामोद्योग से ही की जाए.

नक्सल ऑपरेशन में तैनात जवानों को मिलेगी एयर एंबुलेंस की सुविधा, 24X7 मिलेगी सेवा

गौरतलब है कि बुनाई के काम मे लगे बुनकरों को बुनाई करते समय किसी प्रकार के सुरक्षा उपकरण नहीं दिए जाते और न ही उनका नियमित स्वास्थ्य परीक्षण कराया जाता है. सभी बुनकरों के सामने बुनाई करते समय उड़ने वाले धागे के रेशों के सांस के साथ फेफड़ों में जाकर अस्थमा और अन्य श्वास संबंधी बीमारियों के उत्पन्न होने का खतरा रहता है. इससे बचने के लिए न तो उन्हें मास्क दिया जाता है और न ही बुनाई केंद्रों में एग्जास्ट फैन लगाए गए हैं. जिससे रेशे और गर्द फेफड़ों में न जाये. बुनाई के काम मे लगे बुनकरों का पूरा परिवार इस काम मे लगा रहता है. यद्यपि होने वाली कमाई किसी अकेले देहाड़ी मजदूर के दिन भर की कमाई से भी कम होती है. दिनभर में होने वाली कमाई बुने गए कपड़ों की लंबाई पर निर्भर करती है. 

आयुष्मान भारत की रिपोर्ट में हुआ खुलासा, छत्तीसगढ़ में 3 हजार से ज्यादा महिलाओं ने निकलवाए गर्भाशय

ज्यादा से ज्यादा बुनाई हो सके, इसके लिए परिवार के बाकी सदस्य भी बुनाई के लिए तैयारी में लगे रहते हैं. लेकिन उनकी मेहनत को कभी काम मे गिना नहीं जाता है, और मिलने वाली राशि एक बुनकर के मेहनत के लिए भी कम लगता है. एक बुनकर परिवार को एक दिन में 250 से 300 सौ रुपए बुनाई के लिए मिलते हैं.

Trending news