इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है. जो बच्चों की कस्टडी को लेकर है. जिसमें कहा गया है कि अगर किसी पिता पर आपराधिक मामला दर्ज है. तो वह उसके बच्चे की कस्टडी नहीं मांग सकता है.
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प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नाबालिग बच्चों की कस्टडी को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है. हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि अगर पिता पर आपराधिक केस दर्ज है तो उसे नाबालिग बच्चे की कस्टडी मांगने का हक नहीं है. केस से बरी होने के बाद ही पिता बच्चों की कस्टडी की मांग कर सकता है. जस्टिस जेजे मुनीर की एकल पीठ ने अपने फैसले में कहा कि नाबालिग बच्चे की कस्टडी नानी के पास होने को अवैध नहीं कहा जा सकता.
दरअसल, पत्नी की हत्या के आरोपी हाथरस के अवधेश गौतम की ओर से इलाहाबाद हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की गई थी. इसमें गौतम ने अपने दो नाबालिग बच्चों की कस्टडी की मांग की थी. बच्चे फिलहाल अपनी नानी के पास रह रहे थे, जिसे कोर्ट ने अवैध मानने से इनकार कर दिया. अवधेश गौतम की याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि पिता के आपराधिक केस से बरी होने के बाद बच्चे नाबालिग हैं तो वह नैसर्गिक संरक्षक के नाते कस्टडी की मांग कर सकता है.
आपराधिक मामले में नहीं मिलेगी कस्टडी
हाईकोर्ट का मानना है कि अगर किसी पिता पर आपराधिक मामला दर्ज है तो फिर वह बच्चे की कस्टडी लेने का अधिकार नहीं रखता. अगर उसके नाना-नानी, दादा-दादी बच्चे की कस्टडी लेते हैं.तो उसे अवैध नहीं माना जा सकता.
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