अपनी और परिवार की कोरोना रिपोर्ट लाने वाले सांसदों को ही मिलेगी एंट्री- केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल
केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री प्रहलाद ने कहा कि संसद सत्र में शामिल होने वाले सांसदों को कोरोना रिपोर्ट लानी होगी. उनके रिपोर्ट के आधार पर उनकी संसद भवन में एंट्री हो सकेगी. साथ ही ऐसा ही कर्मचारियों को भी करना होगा.
दमोह: संसद के आगामी सत्र में बिना कोरोना रिपोर्ट के सांसदों को प्रवेश नहीं मिलेगा. यह जानकारी केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री प्रहलाद पटेल ने दी है. उन्होंने कहा कि संसद सत्र में शामिल होने वाले सांसदों को कोरोना रिपोर्ट लानी होगी. साथ ही करीबी सम्पर्कों की कोविड-19 नेगेटिव रिपोर्ट भी जरूरी होगी. संसद का आगामी सत्र 14 सितंबर से शुरू हो रहा है. मानसून-सत्र 1 अक्टूबर तक चलेगा.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कुछ दिनों बाद शुरू होने वाले संसद के सत्र में सांसदों को अपनी और अपने परिवार की कोरोना टेस्ट रिपोर्ट पेश करनी होगी. इसके बाद ही उन्हें संसद में प्रवेश मिलेगा. इस बात की जानकारी केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री प्रहलाद पटेल ने दमोह में दी है.
लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय के विस्तृत दिशा-निर्देशों के अनुसार, सांसदों के करीबी संपर्कों में उनके निजी सहायक, निजी सचिव, ड्राइवर और घरेलू सहायिका शामिल होंगे. जांच सत्र शुरू होने से 72 घंटे पहले कराना जरूरी होगा और यह जांच उनके संसदीय क्षेत्र या संसद भवन परिसर में कराई जा सकती है.
चावल घोटाला मामला: EOW ने 22 के खिलाफ मामला दर्ज किया, 10 जिलों में 100 टीमें जांच में जुटीं
कोविड जांच जरूरी
इसके साथ ही संसद के अधिकारियों कर्मचारियों को भी यही सब करना होगा. दरअसल, देश में बढ़ रहे कोरोना पॉजीटिव मरीजों की तादाद के बाद चिंता के हालात हैं. इस पर मंत्री पटेल ने कहा है कि दुविधा के कारण लोग अपना कोरोना टेस्ट नहीं करा रहे हैं जिससे उन्हें मुक्त होना चाहिए और सभी को कोविड जांच कराना चाहिए.
स्वयंसेवक करेंगे सैनिटाइजेशन का काम
केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के मुताबिक अपने संसदीय क्षेत्र के मुख्यालय दमोह को सौ फीसदी सेनेटाइज्ड करने की मुहिम भी शुरू होगी और इसके लिए प्रशासनिक मशीनरी की जगह स्वयंसेवक जमीनी कार्य करेंगे.
72 घंटे पहले कराना होगा टेस्ट
लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय के विस्तृत दिशा-निर्देशों के अनुसार, सांसदों के करीबी संपर्कों में उनके निजी सहायक, निजी सचिव, ड्राइवर और घरेलू सहायिका शामिल होंगे. जांच सत्र शुरू होने से 72 घंटे पहले कराना जरूरी होगा और यह जांच उनके संसदीय क्षेत्र या संसद भवन परिसर में कराई जा सकती है. दोनों सदनों के सचिवालय ने मास्क पहनने, छह फुट की सामाजिक दूरी बनाए रखने, सत्र के दौरान हाथ साफ करते रहने आदि के निर्देश जारी किए हैं.
भोपाल: संडे लॉकडाउन खत्म, 5 महीने बाद आज से खुलेंगे बाजार
अब समझिए कैसे चलेगी संसद की कार्यवाही
आमतौर पर रोजाना छह घंटे से ज्यादा काम-काज करने वाले सदन में इस बार केवल चार घंटे का कामकाज ही होगा. इस कारण प्रश्नकाल को इस बार नहीं लिया जाएगा. हालांकि इस बार कुछ सांसदों इसका विरोध भी किया है.
शून्यकाल के दौरान प्रश्न पूछ सकेंगे सांसद
सांसदों को अपने क्षेत्र की मांग रखने और तात्कालिक मुद्दों को उठाने के लिए शून्यकाल रखा जाएगा. संसदीय कार्य मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक मानसून-सत्र में शून्यकाल रखा जाएगा, लेकिन उसकी अवधि कम होगी.
क्यों स्थगित हुआ प्रश्न काल?
राजनीति में समझ रखने वाले बताते हैं कि प्रश्नकाल की तुलना में शून्यकाल ज्यादा मुखर माना जाता है. इसमें विपक्ष और सांसद अपने-अपने मुद्दे खुलकर उठा सकते हैं. सरकार के लिए भी यह आसान होता है, क्योंकि वह किसी सवाल का जवाब देने के लिए बाध्य नहीं होती है. जबकि प्रश्नकाल में सरकार को पहले से पूरी तैयारी करनी होती है. शायद इसीलिए सरकार ने प्रश्नकाल को स्थगित करने का फैसला किया है.
एक हफ्ते में पूछे जाएंगे 1120 सवाल
मानसून सत्र के दौरान हर रोज 160 अतारांकित सवालों के लिखित जवाब दिए जाएंगे और यह संख्या हर सप्ताह 1120 सवालों की होगी. इसके साथ ही रोजाना 10 विशेष और 10 शून्यकाल के उल्लेख लिए जाएंगे. अल्पकालिक चर्चाएं और महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होगी. साथ ही विधेयक व विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष वोटिंग भी करा सकेगा.
एक पार्टी ने किया है प्रश्नकाल के स्थगन का विरोध
सूत्रों की माने तो सत्र के पूर्व रक्षामंत्री और संसदीय कार्यमंत्री ने सभी प्रमुख विपक्षी दलों से बात की है. इस चर्चा में केवल एक क्षेत्रीय पार्टी को छोड़कर अधिकांश दलों ने प्रश्नकाल स्थगन और सदस्यों के निजी विधेयक को स्थगित करने पर मोटी सहमति जताई है.
WATCH LIVE TV