छगः पंचायत ने किया नाबालिग की इज्ज्त का सौदा, जुर्माने के पैसों से उड़ाई दावत
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छगः पंचायत ने किया नाबालिग की इज्ज्त का सौदा, जुर्माने के पैसों से उड़ाई दावत

सौदा भी मात्र 30 हजार में किया गया. इस तीस हजार में 8 हजार रुपयों का बकरा भात बना कर पंचायत की अदालत में उपस्थित ग्रामीणों को खिलाया गया और सौदे के बचत 22 हजार रुपयों को 485 रुपये के हिसाब से ग्रामीणों को बांट दिया गया.

फाइल फोटो (फोटो साभारः DNA न्यूज)

संजीत कुमारः नई दिल्ली/जशपुरः जशपुर जैसे आदिवासी जिले में एक सामाजिक पंचायत की अदालत में लिए गए अजीबो-गरीब फैसले ने मानवता को शर्मशार कर दिया है. मामला था तीन लड़कियों का जिसमे दो नाबालिग है जिन्हें भरी सामाजिक अदालत में खड़े कर उनकी इज्जत का सौदा किया गया. सौदा भी मात्र 30 हजार में किया गया. इस तीस हजार में 8 हजार रुपयों का बकरा भात बना कर पंचायत की अदालत में उपस्थित ग्रामीणों को खिलाया गया और सौदे के बचत 22 हजार रुपयों को 485 रुपये के हिसाब से ग्रामीणों को बांट दिया गया. मीडिया में इस खबर के वायरल होने के बाद पुलिस हरकत में आई और इस मामले की जांच कर दुष्कर्म की घटना से बालिकाओं के इनकार करने की बात बताई, लेकिन साथ मे ही पुलिस ने इस बात को स्वीकार किया कि सामाजिक पंचायत हुई है और लड़के पक्ष से मिले जुर्माने के पैसे से पंचायत ने दावत उड़ाई.
 
मामले का फैसला पंचायत की अदालत में करने का निर्णय लिया
दरअसल, मामला सन्ना थाना क्षेत्र के एक पंचायत का है. जंहा न्याय के नाम पर एक गम्भीर मामले को दबाने का काम किया गया है. बीते 28 जून को घर से गायब तीन लड़कियों को ढूंढ रहे परिजनों को तीनों लड़कियां गांव के ही तीन गैर आदिवासी लड़कों के साथ आपत्तिजनक स्थिति में दिखीं. नाराज परिजनों ने युवकों के खिलाफ थाने में रिपोर्ट लिखाने का फैसला लिया ही था कि यह बात गांव के लोगों में फैलती चली गयी. गांव के बड़े-बुजुर्गों ने मामले का फैसला पंचायत की अदालत में करने का निर्णय लिया. जिसमें 1 जुलाई को तीनों लड़कियों, उन्हें भगाने वाले तीन लड़कों को परिवार के साथ पंचायत में बुलाया गया.

 तीनों लड़कों पर लगाया 10-10 हजार का जुर्माना
1 जुलाई दिन रविवार को पंचायत की अदालत में लड़के व नाबालिग लड़कियों से पूरी कहानी पूछी गई और तीन लड़कों पर लड़कियों को भगाकर ले जाने व 2 दिनों तक बाहर रखने का दोषी माना गया और  भविष्य में दुबारा ऐसी गलती न किये जाने की शर्त पर उनपर 10-10 हजार का जुर्माना लगा दिया गया. तीनों लड़कों के परिवार वालों ने सामाजिक अदालत को "भातभीतर" के नाम पर 30 हजार रुपये दिया और मामले में समझौता हो गया. जिसके बाद बकराभात की पार्टी हुई और मामला रफा दफा कर दिया गया.

भात खिलाकर मामला रफा-दफा
बता दें की भातभीतर आदिवासी अंचलों में ग्रामीणों की वह प्रथा है जिसमें किसी बड़े दोष का निराकरण पंचों की सहमती से निर्णय के बाद सजा स्वरुप भात खिलाकर और शराब पिलाकर की जाती है. इसी कड़ी में समाज के लोगों ने 8 हजार रुपये बकरा मटन की पार्टी के लिए और बाकी बचे पैसे 485 रुपये के हिसाब से सभी ग्रामीणों को बांट दिया गया.

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