कमलनाथ की सत्ता जाते ही संवैधानिक नियुक्तियों को चुनौती, ताबड़तोड़ तबादलों पर HC करेगा सुनवाई
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कमलनाथ की सत्ता जाते ही संवैधानिक नियुक्तियों को चुनौती, ताबड़तोड़ तबादलों पर HC करेगा सुनवाई

 पूर्व सीएम कमलनाथ द्वारा की गई संवैधानिक नियुक्तियों को भी चुनौती दी गई है. जिसे मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच ने स्वीकार कर लिया है.

फाइल फोटो

जबलपुर: मध्य प्रदेश की सत्ता में 15 महीने राज करने के बाद अब कमलनाथ सरकार गिर चुकी है. इसी बीच पूर्व सीएम कमलनाथ द्वारा की गई संवैधानिक नियुक्तियों को भी चुनौती दी गई है. जिसे मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच ने स्वीकार कर लिया है.

याचिका में मुख्य दलील दी गई है कि अल्पमत की सरकार संवैधानिक पदों पर नियुक्ति नहीं कर सकती. बहुमत से आंकड़े कम होने के बावजूद अचानक एक के बाद एक संवैधानिक पदों पर नियुक्तियां की गई, जो गलत है. याचिका में राज्यपाल, प्रदेश सरकार, शोभा ओझा , राशिद सोहेल सिद्दीकी, अभय तिवारी, जे पी धनोपिया, महेंद्र सिंह धाकड़ समेत अन्य को पक्षकार बनाया गया है.

कोरोना वायरस संक्रमण के चलते इस याचिका पर फिलहाल तुरंत सुनवाई नहीं हो सकी. 27 अप्रैल को हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस की बेंच अब मामले की सुनवाई करेगी.

आपको बता दें कि पूर्व की कमलनाथ सरकार ने गुरुवार को प्रभांशु कमल को व्यापम का अध्यक्ष बनाया था. केके सिंह को कृषि उत्पादन आयुक्त और एसीएस सामान्य प्रशासन विभाग मिला था. आईसीपी केशरी को एसीएस वाणिज्यिक कर विभाग दिया गया था. विनोद कुमार नर्मदा घाटी विकास के  उपाध्यक्ष बने थे. इसी के साथ कुछ अन्य अफसरों के भी तबादले किए गए थे.

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गौरतलब है कि इससे पहले शनिवार को भी पूर्व सीएम कमलनाथ ने कई अधिकारियों के तबादले किए थे. राज्य शासन ने शहडोल कलेक्टर ललित दाहिमा को हटा दिया था. उन्हें मंत्रालय में उप सचिव सामान्य प्रशासन विभाग पदस्थ किया गया था. उनके स्थान पर पशुपालन विभाग के उप सचिव सतेंद्र सिंह को शहडोल कलेक्टर बनाया गया था.

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