छत्तीसगढ़ चुनाव: बेरोजगारी से परेशान 'लैलूंगा' की जनता का 2018 में क्या होगा फैसला?
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छत्तीसगढ़ चुनाव: बेरोजगारी से परेशान 'लैलूंगा' की जनता का 2018 में क्या होगा फैसला?

त्र के राजनीतिक इतिहास को देखें तो यहां की जनता किसी भी नेता को लगातार सत्ता की कुर्सी पर बैठाए रखने में हिचकिचाती ही नजर आई है. 

फाइल फोटो

रायगढ़ः छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले की लैलूंगा विधानसभा सीट चुनावों से पहले ही चर्चा का विषय बनी हुई है. पिछले तीन विधानसभा चुनावों पर नजर डाली जाए तो लैलूंगा की जनता हर विधानसभा चुनाव में अपना नेता बदलती रहती है. 2013 में सुनीती सत्यानंद राठिया की जीत के बाद भाजपा फिर से इस सीट को अपने कब्जे में करने की कोशिशों में जुटी है, लेकिन इस क्षेत्र के राजनीतिक इतिहास को देखें तो यहां की जनता किसी भी नेता को लगातार सत्ता की कुर्सी पर बैठाए रखने में हिचकिचाती ही नजर आई है. ऐसे में सवाल यह है कि इस लैलूंगा विधानसभा सीट की राजनीति किसके हाथ लगेगी.

2003 विधानसभा चुनाव नतीजे
बता दें एसटी आरक्षित इस सीट पर 2003 में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी के सत्यानंद राठिया ने जीत हासिल की थी. सत्यानंद राठिया को 2003 के विधानसभा चुनाव में 41,165 वोट मिले थे. जबकि उनकी तुलना में कांग्रेस उम्मीद्वार प्रें सिंह सिधर कुल 35,275 वोट ही हासिल कर पाए.

2008 विधानसभा चुनाव नतीजे
वहीं 2008 के चुनावों में कांग्रेस ने प्रत्याशी के तौर पर हृदय राम राठिया को अपना प्रत्याशी घोषित किया. 2008 में हुए चुनावों में लैलूंगा विधानसभा सीट पर काग्रेस के हृदय राम राठिया को कुल 62,105 वोट मिले जबकि सत्यानंद राठिया कुल 48,026 वोट ही हासिल कर पाए. 

2013 विधानसभा चुनाव नतीजे
वहीं 2013 के चुनावों में भाजपा ने सुमीति सत्यानंद राठिया को लैलूंगा में भाजपा उम्मीद्वार के तौर पर चुनावी रण में उतारा. इस बार जहां सुमीति सत्यानंद को कुल 75,095 वोट मिले तो वहीं कांग्रेस प्रत्याशी हृदय राठिया को 60,892 वोट ही मिल सके.

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