CG: ग्रामीण अंचलों में ’रोका-छेका’ परंपरा को प्रभावी बनाएगी सरकार, जारी किया विस्तृत रोडमैप
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CG: ग्रामीण अंचलों में ’रोका-छेका’ परंपरा को प्रभावी बनाएगी सरकार, जारी किया विस्तृत रोडमैप

राज्य सरकार की तरफ से जारी दिशा निर्देश के मुताबिक गौठान प्रबंधन समितियों को शेड निर्माण के लिए अधिकतम 3 लाख रुपए, उपकरणों और मशीनों के खरीदने के लिए  2 लाख रुपए और स्वयं सहायता समूहों को आर्थिक गतिविधियों के लिए 20 हजार रुपए दिए जाएंगे. 

सांकेतिक तस्वीर

रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार ने ग्रामीण अंचलों में ’रोका-छेका’ परंपरा को प्रभावी बनाने के लिए विस्तृत रोडमैप तैयार किया है. इस रोडमैप के तहत ग्रामीण अंचलों में चरणबद्ध तरीके से विकास किया जाएगा. इसके लिए राज्य सरकार गौठान प्रबंधन समितियों को अनुदान राशि भी देगी और खुले में घुमने वाले मवेशियों के नियंत्रण और रखरखाव के लिए कार्य करवाएगी. इस संबंध में राज्य सरकार ने व्यय राशि को लेकर दिशा निर्देश भी जारी कर दिया है.

राज्य सरकार की तरफ से जारी दिशा निर्देश के मुताबिक गौठान प्रबंधन समितियों को शेड निर्माण के लिए अधिकतम 3 लाख रुपए, उपकरणों और मशीनों के खरीदने के लिए  2 लाख रुपए और स्वयं सहायता समूहों को आर्थिक गतिविधियों के लिए 20 हजार रुपए दिए जाएंगे. साथ ही राज्य सरकार ने गौठानों की बिजली और पानी के बिलों के भुगतान अलग से राशि का प्रावधान किया है.

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क्या है ’रोका-छेका’ परंपरा
छत्तीसगढ़ राज्य में ’रोका-छेका’ की परंपरा बहुत पुरानी है. इस परंपरा के तहत मवेशी खेत में न घुस पाए इसको लेकर ग्रामीण बैठक करते हैं और आपस में रणनीतियां बनाते हैं. इस परंपरा के तहत खुले में घुमने वाले पशुओं को गौठानों में डाल दिया जाता है. इससे मवेशियों की भी सुरक्षा रहती और किसानों की फसल भी नुकसान नहीं होता.

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