एंबुलेंस का दरवाजा लॉक होने पर मासूम की मौत, दम घुटने से हुआ हादसा
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एंबुलेंस का दरवाजा लॉक होने पर मासूम की मौत, दम घुटने से हुआ हादसा

एंबुलेंस सर्विस के अधिकारियों ने देर तक दरवाजा नहीं खुलने और इस वजह से शिशु की मृत्यु की घटना से इंकार किया है.

एंबुलेंस में 40 मिनट फंसे होने के कारण ढाई महीने की बच्ची की मौत हो गई

सत्य प्रकाश, रायपुर : वैसे तो एंबुलेंस किसी मरीज की जान बचाने के काम आती है, लेकिन छत्तीसगढ़ में एंबुलेंस एक बच्ची की मौत का कारण बन गई. रायपुर में अस्पताल ले जाते समय ​एंबुलेंस का दरवाजा नहीं खुलने से ढाई महीने के एक शिशु की मृत्यु हो गई है. बिहार के गया जिला निवासी अंबिका सिंह ने बताया कि ​उनकी ढाई महीने की बच्ची को दिल की बीमारी होने के कारण वह अपनी पत्नी के साथ नया रायपुर के सत्य साई अस्पताल के लिए यहां आए थे. आज वह ट्रेन से दिल्ली से रायपुर पहुंचे.

अंबिका सिंह ने बताया कि जब वह रायपुर पहुंचे तब उन्हें महसूस हुआ कि बच्ची की हालत बिगड़ रही है. बच्ची की हालत को देखते हुए उन्होंने मुफ्त एंबुलेंस सेवा संजीवनी एक्सप्रेस 108 से संपर्क किया. संपर्क करने के बाद एंबुलेंस रेलवे स्टेशन पर पहुंच गई. उन्होंने बताया कि जब ​बच्चे को लेकर पास के डाक्टर भीमराव अंबेडकर अस्पताल पहुंचे तब एंबुलेस का दरवाजा नहीं खुला और वह भीतर ही फंस गए. जब उन्हें भीतर फंसे 40 मिनट हो गया तब उन्होंने एंबुलेंस की खिड़की तोड़ने की कोशिश की. लेकिन इस दौरान वहां मौजूद कर्मचारियों ने ऐसा करने से मना कर दिया.

जब काफी मशक्कत के बाद एंबुलेंस का दरवाजा नहीं खुला तब वह खिड़की से बाहर निकले. बाद में चिकित्सकों ने शिशु को मृत घोषित कर दिया.

इधर, एंबुलेंस सर्विस के अधिकारियों ने देर तक दरवाजा नहीं खुलने और इस वजह से शिशु की मृत्यु की घटना से इंकार किया है.

राज्य में संजीवनी एक्सप्रेस सुविधा को संचालित करने वाली कंपनी जीवीके ईएमआरआई के अधिकारी सीबु कुमार ने यहां बताया कि मंगलवार की सुबह 10.15 बजे 108 में फोन आया कि एक बच्चे को सांस लेने में तकलीफ है. सूचना के बाद 10.18 बजे संजीवनी एक्सप्रेस एंबुलेंस रेलवे स्टेशन पहुंच गया था.

कुमार ने बताया कि एंबुलेंस में मौजूद स्टाफ ने बच्चे का वाईटल्स चेक किया लेकिन किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं मिली. इसके बाद बच्चे को अंबेडकर अस्पताल लाया गया. लेकिन अस्पताल पहुंचने पर कुछ तकनीकी समस्या के कारण एंबुलेंस का दरवाजा नहीं खुला. तब बगैर देरी किए बच्ची और परिजन को खिड़की से निकालकर अस्पताल में भर्ती कराया गया. लेकिन मृतक बच्चे के परिजनों ने एंबुलेंस को बच्ची की मौत का जिम्मेदार ठहराया है.

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