शिकायत को सुनने के बाद सीएम भूपेश ने मजकिया लहजे मे कहा कि बढिया सवाल किया. शराब बंद हो जाएगी तो नहीं जाएंगे, लेकिन अभी कौन लोग जाकर शराब पीते हैं. सीएम ने कहा कि शासन प्रशासन की सख्ती से कुछ दिनों के लिए कोपेडीह मे शराब बंद हो सकती है, लेकिन हमेशा के लिए नहीं.
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(देवेंद्र मिश्रा)/रायपुरः छत्तीसगढ के धमतरी जिले के कोपेडीह गांव शराब के नाम से बदनाम हो गया है. यहां अवैध शराब का खेल काफी लंबे अर्से से चल रहा है, फिर भी जिला प्रशासन खामोश बैठा हुआ है. जिसके चलते गांव मे शहनाईयां नहीं बजती और न ही कोई लड़के लडकियों की शादी हो पाती है. शुक्रवार को छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल हंचलपुर में जब चौपाल लगाकर ग्रमीणों की समस्या सुन रहे थी, तभी ग्रमीण इसकी शिकायत की कि कोपेडीह मे शराब बनती है. रिपोर्ट करने पर पुलिस आठ दस आदमी को पकड़ लेती है और दो तीन लाख रू लेकर छोड देती है. यह शिकायत आम ग्रमीण ने ग्राम हंचलपुर के चौपाल में सीएम भूपेश बघेल से की. शुक्रवार को कुरूद इलाके के ग्राम हंचलपुर मे आर्दश गोठान का लोकापर्ण करने के बाद नीम पेड के नीचे चौपाल लगाई और लोगों की समस्या सुनी.
हंचलपुर के ताजी साहू ने कहा कि ग्रमीण क्षेत्र के लोग रोज 100 रुपए कमाते हैं उसमे से कोपेडीह जाकर 80 रू की शराब पी जाते हैं और 20 रुपए घर ले जाते हैं. थाने मे रिर्पोट करते हैं तो पुलिस आठ दस आदमी पकड लेती है और दो तीन लाख रू लेकर छोड देती है. कोपडीह में शराब बननी और बिकनी बंद हो जाएगी तो हचंलपुर और आसपास गांवो मे सारे विकास हो जाएंगे. इसकी शिकायत को सुनने के बाद सीएम भूपेश ने मजकिया लहजे मे कहा कि बढिया सवाल किया. शराब बंद हो जाएगी तो नहीं जाएंगे, लेकिन अभी कौन लोग जाकर शराब पीते हैं. सीएम ने कहा कि शासन प्रशासन की सख्ती से कुछ दिनों के लिए कोपेडीह मे शराब बंद हो सकती है, लेकिन हमेशा के लिए नहीं.
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उन्होने ने कलेक्टर को निर्देश दिया कि उस गांव में जाकर बैठक करें और लोगों को पूछे कि कौन सा काम करना चाहते हैं. शराब बनाने वाले लोगों को रोजगार देकर उन्हें समझाया जाए, ताकि वे मुख्य धारा से जुड़ सकें. दरअसल, भखारा थाने के अंर्तगत आने वाले कोपेडीह की पहचान नशे के अवैध कारोबार के लिए बन रही है. आसपास के शराब कोचिए गांव के सरहद में आते हैं और मोटी रकम कमाकर अपने तिजोरी भर रहे हैं. इससे न केवल गांव का अमल चैन खत्म हो रहा है बल्कि विवाह योग्य लडकी और उसके परिजनो को भी भुगतना पड़ रहा है. बताया जा रहा है कि साल के केलेंडर बदलते तो देखा है, लेकिन गांव में शहनाईयां भी नही बजती थी.
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हालांकि पिछले दो सालो से गांव मे थोड़ी सुधार आया है और शादियों की शहनाईया बजने लगी हैं, लेकिन अवैध शराब बनाना खत्म नहीं हो रहा है. पूरा गांव ही नशे की गिरफ्त में है और कोई इसे खत्म करने राजी नहीं है. गांव के नौजवानों ने कुछ वरिष्ठ लोगों के साथ मिलकर शराब के खिलाफ जंग का ऐलान किया, लेकिन प्रशासनिक अमले और पुलिस की मदद नहीं मिलने से उनके हौसले पस्त को गए. दिलचस्प बात तो ये है कि आस-पास के हर गांव मे नशेड़ियों से निपटने के लिए महिलाओं का गुलाबी गैग बना हुआ है, लेकिन इस गांव में नहीं, क्योंकि शराब के अवैध करोबार में कुछ दंबग महिलाओं का कब्जा है.