छत्तीसगढ़ के इस जिले में है एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च, यहां 7 नंबर का है खास महत्व
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छत्तीसगढ़ के इस जिले में है एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च, यहां 7 नंबर का है खास महत्व

छत्तीसगढ़ के जशपुर में विशाल चर्च है, जिसे महागिरजाघर के नाम से भी जाना जाता है. यह चर्च जिले के कुनकुरी में स्थित है. इस चर्च की नीव सन् 1962 में रखी गई थी. उस वक्त यह चर्च केवल जंगल और पहाड़ों से घिरा हुआ था

एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च

जशपुर: आज 25 दिसंबर को लोग चर्च में जाकर कैंडल जलाते हैं और अपने लिए मनोकामना मांगते हैं, लेकिन कम ही लोगों को इस बात की जानकारी होगी कि एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च कहा हैं. छत्तीसगढ़ के जशपुर में विशाल चर्च है, जिसे महागिरजाघर के नाम से भी जाना जाता है. यह चर्च जिले के कुनकुरी में स्थित है. इस चर्च की नीव सन् 1962 में रखी गई थी. उस वक्त यह चर्च केवल जंगल और पहाड़ों से घिरा हुआ था, लेकिन वर्तमान समय में यह एक शहर के रूप में जाना जाता है. 

यहां ज्यादातर ईसाई समुदाय के लोग रहते हैं. इन लोगों में क्रिसमस के मौके पर अलग ही उत्साह देखने को मिलता है. क्रिसमस के मौके पर यहां प्रभु का चिंतन व मेल-मिलाप संस्कार में भाग लिया जाता है. क्रिसमस कैरोल का गायन होता है. 

यहां हर साल बेहद खास तरीके से क्रिसमस डे मनाया जाता है, लेकिन पिछले साल से कोरोना के कारण बड़ी ही सादगी से यहां सेलिब्रेशन किया जा रहा है. कैथोलिक सभा प्रतिनिधियों की बैठक में निर्णय लिया गया कि लोगों से सार्वजनिक धार्मिक गतिविधियों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाए, इसके साथ ही लोगों से पटाखे न जलाने की अपील की गई है.

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गौरतलब है कि जब कुनकुरी में इस चर्च को बनाया गया था, उस समय कुनकुरी धर्मप्रांत के बिशप स्टानिसलास लकड़ा थे. इस विशालकाय भवन को एक ही बीम के सहारे खड़ा करने के लिए नींव को विशेष रूप से डिजाइन किया गया. सिर्फ इस काम में दो साल लग गए. नींव तैयार होने के बाद भवन का निर्माण 13 सालों में पूरा हुआ था.

सात अंक का विशेष महत्व
आपको बता दें कि इस महागिरजाघर में सात अंक का विशेष महत्व है. इस चर्च में सात छत और सात दरवाजे हैं. जिन्हें जीवन के सात संस्कारों का प्रतीक माना जाता है.कैथोलिक वर्ग में 7 नंबर को खास माना गया है, हफ्ते में दिन भी 7 होते हैं, 7वां दिन भगवान का दिन होता है. इस चर्च की 7 छतें एक ही बीम पर टिकी हैं.

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