झीरम घाटी हत्याकांड पर बिलासपुर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, कांग्रेस-बीजेपी में आरोप प्रत्यारोप
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झीरम घाटी हत्याकांड पर बिलासपुर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, कांग्रेस-बीजेपी में आरोप प्रत्यारोप

झीरम घाटी हत्याकांड पर बिलासपुर हाईकोर्ट से NIA की याचिका खारिज होने के बाद अब राज्य की एजेंसी जांच के लिए स्वतंत्र हो गई है. कोर्ट का ये फैसला आने के बाद अब प्रदेश में इसे लेकर सियासत शुरू हो गई है.

झीरम घाटी हत्याकांड पर बिलासपुर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, कांग्रेस-बीजेपी में आरोप प्रत्यारोप

चुन्नीलाल देवांगन/रायपुर: छत्तीसगढ़ की चर्चित झीरम घाटी हत्याकांड के मामले में बिलासपुर हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. एनआईए के अपील को कोर्ट ने ठुकरा दिया है. इससे अब राज्य सरकार की जांच एजेंसी जांच के लिए स्वतंत्र हो गई है. लंबे समय इस मामले की जांच को लेकर राज्य में राजनीति और बहस चल रही थी. वहीं कोर्ट के फैसले के बाद भी प्रदेश में सियासत भी शुरू हो गई है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही झीरम घाटी हत्याकांड को लेकर एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं.

कांग्रेस ने कहा सामने आएगा झीरम की सच
कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि झीरम के पीछे जो राजनीतिक षड्यंत्र था. उसकी जांच के लिए सरकार ने SIT का गठन किया था. भाजपा और केंद्र नहीं चाहती थी कि झीरम का सच सामने आए. इसलिए NIA के माध्यम से उसमे अवरोध पैदा किया गया था. उच्च न्यायालय के फैसले के बाद झीरम का सच सामने आएगा. जल्द ही दोषी सलाखों के पीछे होंगे.

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बीजेपी ने मुख्यमंत्री को दी चुनौती
कांग्रेस के बयान के बाद भाजपा नेता श्रीचंद सुंदरानी ने कहा कि कांग्रेस की स्मरण शक्ति कम हो गई है. मनमोहन सिंह की सरकार ने NIA जांच का आदेश दिया था. भाजपा न्यायपालिका का सम्मान करती है. भाजपा चाहती है कि झीरम घाटी की घटना से पर्दा उठे. वहीं उन्होंने सीएम बघेल को चुनौती देते हुए कहा कि भूपेश बघेल जब कांग्रेस अध्यक्ष थे को उन्होंने कहा था कि झीरम घाटी के तथ्य मेरे जेब में है. 3 घंटे में सारे तथ्य उजागर कर दूंगा, लेकिन दुर्भाग्य है कि खुद मुख्यमंत्री बनने के बाद भी झीरम घाटी की सच्चाई को सामने नहीं ला पाए.

क्या है झीरम घाटी हत्याकांड
25 मई 2013 को कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा के काफिले पर बस्तर की झीरम घाटी में नक्सलियों ने हमला कर दिया था. जिसमें वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं समेत कुल 27 लोगों की मौत हो गई थी. इस विभत्स हत्याकांड में कांग्रेस ने अपनी पहली पंक्ति के नेताओं विद्याचरण शुक्ल, नंद कुमार पटेल और महेंद्र कर्मा को खोया था.

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क्या है NIA और राज्य सरकार को विवाद
तत्कालीन केंद्र की यूपीए की सरकार मामले को एनआईए को सौंप दिया गया था. हालांकि कुछ समय के बाद केंद्र में सरकार बदल गई. घटना के बाद से ही राजनीतिक साजिश के आरोप लग रहे थे. हालांकि, एनआईए ने किसी भी राजनीतिक साजिश से इंकार किया है. 2013 से मामले की जांच कर रही NIA ने मामले में 39 लोगों को आरोपी बनाया है. उनके खिलाफ 2 चार्जशीट दाखिल हो चुकी हैं.

राज्य में 2018 में सत्ता में आने के बाद सीएम भूपेश बघेल ने इस मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित करने की घोषणा की थी. उसके बाद, उन्होंने पहले एनआईए से मामले वापस लेने की कोशिश की, फिर आगे बढ़े और एक नई एफआईआर दर्ज की, लेकिन एनआईए तब से केस को रिजेक्ट करने के अनुरोधों को बार-बार खारिज कर रहा है.

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