सतीश तंबोली/रजनी ठाकुरः छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के कवर्धा यानी कि कबीरधाम जिले में झंडा लगाने को लेकर हुए विवाद ने सांप्रदायिक (Kawardha Communal Tension) रंग ले लिया है. ऐसे में स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए प्रशासन ने कवर्धा में कर्फ्यू लगा दिया है. सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट ना किया जा सके, इसलिए जिले में इंटरनेट सेवाओं को अगले आदेश तक बंद कर दिया गया है. 


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कैसे हुई विवाद की शुरुआत
दरअसल बीती 3 अक्टूबर को कवर्धा के लोहारा नाका चौक पर दोनों समुदाय को युवक अपना-अपना धार्मिक झंडा लगाने के मुद्दे पर भिड़ गए. बात इतनी बढ़ी की एक पक्ष के लोगों ने दूसरे पक्ष के युवक को बुरी तरह से पीट दिया. बाद में यह मामला दो समुदायों के बीच झड़प में बदल गया और इसने हिंसक रूप ले लिया. इसके बाद दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर पत्थरबाजी कर दी. हालात बिगड़ते देख प्रशासन ने जिले में धारा 144 लागू कर दी. बीती 5 अक्टूबर को कवर्धा बंद का ऐलान किया गया. इस दौरान भी पथराव और जमकर तोड़फोड़ हुई. 


इस दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज कर हालात को कंट्रोल किया. पुलिस ने इस मामले में 7 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है और 92 लोगों को हिरासत में लिया है. पुलिस वीडियो फुटेज के आधार पर उपद्रवियों की पहचान करने में जुटी है. सर्वधर्म समाज प्रमुखों और प्रशासन द्वारा हालात को सामान्य करने के लिए शांति मार्च भी निकाला गया. इस दौरान लोगों से आपसी भाईचारा बनाए रखने की अपील की गई. 


कर्फ्यू के दौरान प्रशासन द्वारा दूध, फल सब्जी और किराना सामानों की होम डिलीवरी की छूट दी गई है. फिलहाल स्थिति नियंत्रण में लग रही है. हालांकि पुलिस द्वारा पूरी मुस्तैदी बरती जा रही है. वहीं इस मामले पर सरकार और विपक्षी पार्टी आमने सामने हैं और एक दूसरे की आलोचना कर रहे हैं. 


अल्पसंख्यक आयोग ने लिया संज्ञान
कवर्धा की सांप्रदायिक तनाव की खबर पर अल्पसंख्यक आयोग ने संज्ञान लिया है. आयोग ने कलेक्टर से जवाब मांगे हैं. आयोग ने कलेक्टर को लिख पत्र में पूछा है कि क्या सीसीटी की मदद से दंगाइयों की पहचान की गई है? दंगा पीड़ितों को क्या तत्काल सहायता पहुंचाई गई. जिले में धारा 144 लागू होने के बाद अन्य लोगों को जिले में प्रवेश क्यों दिया गया?


आयोग ने ये भी पूछा है कि दंगे में अभी तक हुई संपत्ति के नुकसान का आकलन किया गया है? तनाव की स्थिति में एक पक्ष द्वारा रैली निकालने की अनुमति मांगी गई, वह अनुमति किसने दी. आयोग ने ये भी पूछा है कि क्या वर्तमान में जिले में व्यवस्था नियंत्रण में है और प्रशासन द्वारा अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?