Chhattisgarh Red Ant Chutney: आपने चीन और थाईलैंड के बारे में तो सुना ही होगा कि कैसे वहां के लोग किसी भी जानवर को कच्चा या पकाकर खा जाते हैं. सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो भी वायरल होते हैं, जिन्हें देखकर लोग तरह-तरह के कमेंट करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में एक ऐसा राज्य भी है जहां लाल चींटी की चटनी बड़े चाव से खाई जाती है? जी हां, वहीं चींटी जिसके काट लेने से अच्छे-अच्छो की हालात खराब हो जाती है. आज हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ में खाई जाने वाली चींटी की चटनी और उसके फायदों के बारे में....
ये बात 100 फीसदी सच है कि छत्तीसगढ़ में लाल चीटियों की चटनी खाई जाती है. जी हां, ये वहीं चीटियां है जो एक बार काट ले तो अच्छे-अच्छों की हेकड़ी निकल जाए.
अपने ही देश में चीटियों की चटनी खाने के बारे में सुनकर यकीनन बहुत अजीब लगेगा लेकिन छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के आदिवासी किसी न किसी फायदे की वजह से ही इस पुदीना और इमली छोड़ लाल चीटियों से बनी चटनी का सेवन करते हैं.
अगर आप बस्तर के साप्ताहिक बाजारों में घूमने निकलेंगे तो वहां भी कई लोग आपको इस चटनी को हर पत्तों में बेचते मिल जाएंगे.
हैरानी की बात ये है कि जिस चटनी को हम अजीब समझ रहें उसने विदेशी मेन्यू में भी जगह बनाई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह चटनी ब्रिटिश शेफ बॉर्डन रामसे की फेवरेट लिस्ट में भी शामिल है.
अब आप ये सोच रहे होंगे कि इस चटनी के सेवन से क्या फायदा है जिसकी वजह से इसे इतनी ख्याती मिल रही है, तो आपको बता दें कि लाल चींटी की चटनी से फॉर्मिक एसिड, आयरन, कैल्शियम, जिंक, विटामिन बी-12 जैसे पोषक तत्व मिलते हैं जिनसे हमारी हार्ट और आखों को फायदा होता है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कई एक्सपर्ट बताते हैं कि इस चटनी में इतनी ताकत होती है कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों में रहने वाले बूढ़े भी उसी फूर्ती से काम करते दिखाई देते हैं जैसे उनकी उम्र 20-25 साल की हो.
दूसरी वजह ये भी है कि इन लाल चीटियों को बस्तर के जंगलों में अधिक मात्रा में पाया जाता है जिसकी वजह से इनके फायदों को ध्यान में रखते हुए यहां के आदिवासी इनकी चटनी बनाकर खाते हैं.
लाल चीटियों की चटनी बनाने के लिए लाल चीटियों को उनके अंडों के साथ इकट्ठा किय जाता है जिसे फिर कूचलकर सुखाया जाता है. इनकी चटनी बनाने के लिए स्वाद अनुसार इसमें टमाटर, लहसुन, अदरक, मिर्च, पुदीना और नमक मिलाकर चटनी तैयार कर ली जाती है.
अगली बार अगर आप छत्तीसगढ़ की यात्रा पर जाएं तो आदिवासियों की इस पारंपरिक डिश का स्वाद जरूर लें. बाजारों में आपको ये फ्री में भी खाने को मिल जाएंगी.
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