Best Tourist Place in Bastar: अगर आप भी गर्मियों में घूमने का प्लान बना रहे हैं, लेकिन हर बार की तरह पहलगाम, शिमला या मनाली जैसे भीड़भाड़ वाले शहरों में नहीं जाना चाहते, तो इस बार छत्तीसगढ़ के बस्तर की खूबसूरत और शांत वादियों का रुख करें. यहां ऐसी जगहें हैं जो आपको एक बिल्कुल अलग दुनिया का अहसास कराएंगी. चलिए जानते हैं उन खास जगहों के बारे में, जो कम खर्चे में भी दिल खुश कर देंगी.
बस्तर महल, जगदलपुर में एक ऐतिहासिक जगह मानी जाती है. इस महल को बस्तर के शासकों द्वारा बनवाया गया था और इसकी खूबसूरती और मजबूत निर्माण के लिए प्रसिद्ध है. राजा रूद्रप्रताप देव के समय में इस महल का निर्माण हुआ था, जो लगभग दस साल में पूरा हुआ. आज यह महल पर्यटकों के बीच एक प्रमुख आकर्षण बन चुका है.
अगर आप छत्तीसगढ़ में घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो दंडक गुफा जरूर घूमने के लिए जाएं, यह कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित एक प्राकृतिक गुफा है, जो अपने आकर्षक रॉक गठन के लिए प्रसिद्ध है. गुफा करीब 200 मीटर लंबी और 20-25 मीटर गहरी है. इसमें दो कक्ष हैं और यह एक पहाड़ी पर स्थित होने के कारण यहां की ठंडी हवा पर्यटकों को आकर्षित करती है. दंडक गुफा पर्यटकों के बीच एक बहुत ही लोकप्रिय स्थल बन चुका है, जहां आप प्रकृति की सुंदरता और शांति का अनुभव कर सकते हैं.
दलपत सागर, छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में स्थित एक ऐतिहासिक और विशाल झील है, जो राज्य के सबसे बड़े तालाबों में से एक मानी जाती है. यह झील करीब 350 हेक्टेयर भूमि में फैली हुई है और इसका निर्माण राजा दलपत देव काकतीय ने लगभग 400 साल पहले बारिश के पानी को जमा करने के लिए किया था. झील के बीच में एक छोटा सा द्वीप है, जिस पर एक प्राचीन मंदिर भी स्थित है.
कुटुमसर गुफा, जो छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के जगदलपुर से लगभग 35 किलोमीटर दूर कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित है, भारत की सबसे गहरी गुफाओं में से एक मानी जाती है. यह गुफा 60 से 125 फीट की गहराई में फैली हुई है और इसकी लंबाई करीब 4500 फीट है. गुफा में चूना पत्थर से बनी अनोखी आकृतियां देखने को मिलती हैं, जिनपर प्रकाश पड़ने पर अलग-अलग रूप उभरकर दिखाई देते हैं. इस गुफा में रंग-बिरंगी अंधी मछलियां भी पाई जाती हैं, जो इसे और भी रोचक और अद्भुत बनाती हैं.
दंतेश्वरी मंदिर, जो छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में स्थित है, बस्तर क्षेत्र की सबसे महत्वपूर्ण और सम्मानित देवी, दंतेश्वरी को समर्पित है. इसे 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है. इस मंदिर का निर्माण 14वीं शताब्दी में वारंगल राज्य के राजा अन्नम देव ने करवाया था. मंदिर को चार मुख्य भागों में बांटा गया है. गर्भ गृह, महा मंडप, मुख्य मंडप और सभा मंडप. यहां देवी दंतेश्वरी की मूर्ति काले पत्थर से बनाई गई है. स्थानीय मान्यता के अनुसार, देवी सती का दांत यहां गिरा था, जिससे इस इलाके का नाम दंतेवाड़ा पड़ा.
एंथ्रोपोलॉजिकल म्यूजियम, बस्तर क्षेत्र की समृद्ध जनजातीय संस्कृति को प्रदर्शित करने वाला एक प्रमुख संग्रहालय है. यहां पर पारंपरिक कलाकृतियां, वस्त्र और औजार प्रदर्शित किए गए हैं, जो पर्यटकों को स्थानीय जनजातीय समुदायों के जीवन, रीति-रिवाजों और संस्कृति के बारे में गहरी जानकारी प्रदान करते हैं. यह म्यूजियम बस्तर के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को देखने और समझने के लिए आदर्श स्थान है, जहां आप इस क्षेत्र की अनूठी जनजातीय जीवनशैली से रूबरू हो सकते हैं.
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