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छत्तीसगढ़ के बस्तर में कौन-कौन सी जनजातियां पाई जाती हैं? जानिए उनके नाम

Chhattisgarh GK: छत्तीसगढ़ एक अनोखा राज्य है. यहां आपको खूबसूरत जगहों के साथ-साथ संस्कृति की झलक भी देखने को मिलेगी. इस राज्य में कई ऐसी जगहें हैं जहां जनजातियां बड़ी संख्या में पाई जाती हैं. इन्हीं में से एक है बस्तर. क्या आप जानते हैं कि बस्तर में कौन-कौन सी जनजातियां पाई जाती हैं? अगर नहीं जानते तो आइए जानते हैं.

 

गोंड जनजाति

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गोंड जनजाति

बस्तर की गोंड जनजाति भारत की सबसे प्रसिद्ध जनजातियों में से एक है. ये जनजाति अपनी घोटुल विवाह प्रणाली के लिए जानी जाती है. गोंड आदिवासी पूरे छत्तीसगढ़ में व्यापक रूप से फैले हुए हैं.

 

मारिया जनजाति

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मारिया जनजाति

मारिया जनजाति भी बस्तर में पाई जाने वाली एक जनजाति है जो गोंडी भाषा की एक उपभाषा बोलते हैं. यह जनजाति मुख्य रूप से महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में पाई जाती है.

 

हल्बा जनजाति

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हल्बा जनजाति

हल्बा जनजाति बस्तर के दंतेवाड़ा, बीजापुर, कोंटा, सुकमा क्षेत्रों में पाई जाती है. ये जनजाति गोंडी, हल्बी और कभी-कभी हिंदी भी बोलते हैं. 

 

मुरिया

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मुरिया

मुरिया जनजाति छत्तीसगढ़ में निवास करने वाली असंख्य जनजातियों में से एक है. मुरिया जनजाति के लोग मुख्य रूप से बस्तर के कोंडागांव और नारायणपुर के घने वन क्षेत्रों में रहते हैं.

 

भत्रा

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भत्रा

बस्तर के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में भत्रा जनजाति निवास करती है. इस जनजाति का भी अपना खान-पान और रहन-सहन अलग है.

 

धुर्वा

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धुर्वा

धुर्वा जनजाति छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में रहते हैं. सामाजिक स्तर पर धुर्वा लोग श्रेष्ठतम वर्ग के बाद दूसरे स्थान पर हैं.

 

अलग-अलग संस्कृति

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अलग-अलग संस्कृति

बता दें कि बस्तर की इन जनजातियों ने अपनी अलग संस्कृति और कला विकसित की है.  वे अपनी आदिवासी कला के लिए पूरी दुनिया में जाने जाते हैं.  इनमें से प्रत्येक जनजाति की अपनी अलग संस्कृति, रीति-रिवाज, भाषा और परंपराएं हैं.

 

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