cg tourism: जैसे दिल्ली अपने कुतुब मीनार के लिए फेमस है, वैसे ही छत्तीसगढ़ में स्थित जैतखाम अपनी विशालता के लिए जाना जाता है. जैतखाम क्या है और इसके नाम का क्या मतलब है ये सब आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे. लेकिन एक बात जो आपको जरूर जानना चाहिए वो ये कि जैतखाम की लंबाई कुतुब मीनार से भी कई गुना ज्यादा है.
जैतखाम दरअसल, गुरू घासीदास की जन्मस्थली है जो छत्तीसगढ़ की राजधानी से लगभग 145 किलोमीटर दूर गिरौधपुरी में स्थित है. ये स्तंभ इतना ऊंचा है कि ये कई किलोमीटर की दूरी से ही अपने विशालता का उदाहरण पेश करता है.
गिरौधपुरी दरअसल सतनामी समाज के लोगों के लिए सबसे बड़ा धार्मिक स्थल है जहां फागुन पंचमी पर मेला भी लगता है और यहां लाखों लोग शामिल होते हैं.
जैतखाम इतना ऊंचा है कि दिल्ली का कुतुब मीनार भी इसके सामने छोटा दिखाई देगा. आपको बता दें कि जैतखाम की ऊंचाई 77 मीटर यानी 243 फीट है. वहीं कुतुब मीनार की ऊंचाई 72.5 मीटर यानी 237 फीट है.
सफेद रंग की जैतखाम का आर्किटेक्चर इतना शानदार है कि इसे देख आप सिर्फ इसी को देखते रह जाएंगे. इसका डिजाइन का नमूना आपको लखनऊ की भूल -भूलैया और जयपुर के जंतर मंतर में भी देखने को मिल जाएगा.
जैतखाम नाम की बात करें तो ये छत्तीसगढ़ी बोली का शब्द है जिसका मतलब होता है विजय स्तंभ. जैत मतलब -विजय और खाम का आर्थ होता है स्तंभ.
जैतखाम भले ही कुतुब मीनार से लंबाई में लंबा है लेकिन यहां पर बना गार्डन दिल्ली के मुगल गार्डन और ताजमहल के तर्ज पर बनाया गया है. जहां आपको तरह-तरह के कई फूल देखने को मिलेंगे.
जैतखाम को अगर सरल शब्दों में समझा जाए तो ये सतनामी समाज की आस्था का प्रतीक है. जिसका सतनामी समुदाय के लोगों में गहरी आस्था है. अपने नाम के उपरांत इस स्तंभ के ऊपर सफेद रंग की ध्वजा फहराई जाती है जो सतनामियों के लिए विजय का प्रतीक है.
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