Chhattisgarh Sanwara Tribe: भारत के हर कोने में शादी ब्याह की रस्में अलग ढंग से निभाई जाती है. राज्य बदलते ही शादियों में निभाई जानी वाली रस्मों रिवाजों में भी परिवर्तन आ जाता है. छत्तीसगढ़ के संवरा जनजाति का हाल भी कुछ ऐसा है. यहां लड़की वाले अपनी बेटी की शादी में दहेज के तौर पर धन दौलत जैसे कार या फिर थार जैसे महंगे तोहफे नहीं बल्कि जहरीले सांप देते हैं. हैरानी की बात तो ये है कि इन्हीं सापों की मदद से होने वाले दामाद का गुजारा होता है.
छत्तीसगढ़ के कोरबा में रहने वाली संवरा जनजाति शादियों को लेकर बड़ी अलग किस्म के रिवाज निभाती है. यहां लोग अपनी बेटी की शादी में लड़के पक्ष को दहेज के तौर पर सांप देते हैं.
इस समाज में जब तक दहेज के तौर पर लड़के पक्ष को सांप नहीं दिया जाता है. तब तक रिश्ता पक्का नहीं माना जाता है. बगैर सांप यहां शादी अधूरी मानी जाती है. यानी नो सांप, नो शादी!
जानकार बताते है कि इनके जीवन में जहरीले से जहरीले सांपो का महत्व होता है. यही सांप इनके जीवन का आधार है. अगर उनके जीवन से सांपों को हटा दिया जाए तो उनके पास बाकी का जीवन व्यतीत करने के लिए कुछ नहीं बचेगा.
शायद किसी कारण पिता अपनी बेटी को दहेज के रुप में तरह-तरह के सांप देकर अपनी जिम्मेदारी निभाता है. कहते हैं कि पिता द्वारा मिले इन सांपो से ही बेटी के ससुराल में गुजारा होता है.
दहेज के तौर पर मिले इन सांपो को दामाद बाजारों में दिखाकर अपना जीवन यापन करता है. सापों को दिखाकर लोग जो पैसे देते हैं उससे ही बेटी का ससुराल चलता है. यकीनन इनके जीवन में काफी संघर्ष है लेकिन वे बताते हैं कि ऐसी परंपरा इनके जनजाती में सालों से निभाती चली आ रही है.
संवेरा जनजाती के लोग बताते हैं कि वे बड़े ही प्रेम भाव से अपनी बेटी को दहेज में सांप देते हैं. पहले तो 60 किस्मों के सांप देने का रिवाज था लेकिन अब ये आंकड़ा घट के 9 तक ही सिमीत हो गया है.
जिस सांपो को देखकर हमारे मन में डर पैदा होता है वहीं दूसरी तरफ भारत में ऐसे भी लोग हैं जो सांपों के भरोसे अपनी जिंदगी जी रहे हैं. सांपो पर ही इनकी पूरी जिंदगी आश्रित है. कुछ सराकरी नियमों की वजह से आज इस जनजाती को मुश्किलों का सामना भी करना पड़ रहा है लेकिन पूर्वजों से मिली विरासत की संस्कृति को बचाना ये अपना कर्तव्य मानते हैं.
(source: etv bharat)
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