chhattisgarh unique tradition-छत्तीसगढ़ में होली पर अलग-अलग क्षेत्रों में कई पंरपराएं और रीति रिवाज देखने को मिलते हैं. कई जगहों पर होली से पहले तो कहीं बाद में अनोखी परंपराएं निभाई जाती हैं. ऐसी ही एक अनोखी परंपरा होली के बाद मनेंद्रगढ़ जिले के बैरागी गांव में कई बरसों से चली आ रही है. हर साल ग्रामीण मिलकर इस अनोकी परंपरा को निभाते हैं. इस परंपरा को लेकर ग्रामीणों का कहना है कि ऐसा करने से अकाल नहीं पड़ता है.
छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़ के तारबहार क्षेत्र के बैरागी गांव में ये अनोखी परंपरा निभाई जाती है. जिसमें गांव के लोग मुर्गा, खरगोश और केकड़ा पकड़ने की प्रतियोगिता आयोजित करते हैं. इस परंपरा के मुताबिक गांव वाले दो समूहों में बंट जाते हैं.
इन दो समूहों में एक पुरुषों और दूसरा समूह महिलाओं का होता है. प्रतियोगिता के पहले एक तालाब बनाया जाता है. इस तालाब में एक तरफ मछली और दूसरी तरफ केकड़े छोड़े जाते हैं.
तालाब से महिलाओं का समूह मछली पकड़ने की कोशिश करता है, जबकि पुरुषों का समूह केकड़ा पकड़ने में जुटता है. इस प्रतियोगिता में जो भी समूह जीतता है, उसे गांव की तरफ से पुरस्कृत किया जाता है.
इस परंपरा में सबसे मजेदार और बड़ा आयोजन मुर्गा और खरगोश पकड़ना है. जिसमें पुरुष समूह खरगोश और महिलाओं का समूह मुर्गा पकड़ता है. इस प्रतियोगिता में महिलाएं अगर मुर्गा पकड़ लेती हैं तो पुरुषों का समूह उन्हें कोई विशेष पकवान बनाकर खिलाता है.
लेकिन अगर महिलाएं हार जाती हैं, तो पुरुष उन्हें मजाक में हल्का दंड देते हैं. प्रतियोगिता में पकड़े गए जानवरों को गांव वाले पकाकर खा जाते हैं. ग्रामीण इस परंपरा को पूरी श्रद्धा से निभाते हैं.
ग्रामीणों का मामना है कि ये परंपरा गांव को अकाल से बचाने के लिए निभाई जाती है. हर साल गांव वाले इसे खुशी से मनाते हैं. कहा जाता है कि इस प्रतियोगिता में यदि मुर्गा और खरगोश पकड़ा जाता है, तो पूरे वर्ष गांव में खुशहाली बनी रहती है और अकाल का संकट नहीं आता.
ग्रामीणों का कहना है कि यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है. हर ग्रामीण को इस अनोखी परंपरा से गहरा लगाव है. हर साल इस परंपरा को बड़े स्तर पर आयोजन कर निभाया जाता है.
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