Chhattisgarh Unique Tradition: यूं तो हमारे समाज में शादी के बाद नई नवेली दुल्हन को गहनों से सजाने की परंपरा निभाई जाती है. वहीं छत्तीसगढ़ में एक ऐसी जनजाती है जो शादियों में दुल्हन को सोने के गहने चढ़ाने पर समाज का अपमान समझती है. ना सिर्फ इनके समाज में सोने के आभूषण चढ़ाना पाप माना जाता है बल्कि शादी के बाद दुल्हन को भी आजीवन सोने के गहने पहनने पर मनाही होती है.
छत्तीसगढ़ का कई समाज अपनी परंपराओं और मान्यताओं को लेकर आज पूरे देशभर में जाना जाता है. इनके कई परंपराएं तो समझ नहीं आती और कुछ तो हमारी सोच से भी परे होती हैं. लेकिन फिर भी आज के आधुनिक दौर में अपनी संस्कृति का पालन करना बहुत बड़ी बात होती है.
आज हम बात कर रहें सोनासी कोष्टा समाज की जो अपनी पुरानी परंपरा का पालन करते हुए घर आई नई नवेली बहू को सोने के गहने पहनने से रोकते हैं. इस समाज के लोग सोना पहनना तो दूर सोने से बनी चीजों को छूने से भी कतराते हैं.
सोनासी कोष्टा समाज के लोग बताते हैं कि सोने के गहने से परहेज करने में ही हमारी भलाई है क्योंकि अगर ऐसा नहीं किया तो इससे हमारे पुरखों का अपमान होता है. अगर किसी ने हमारी इस परंपरा का पालन नहीं किया तो उसे इसका भुगतान झेलना पड़ता है.
हमारी इस परंपरा की वजह से ही घर आई नई बहू सोने से बने गहनों का त्याग कर देती है. हालांकि उन्हें चांदी और आर्टिफिशियल गहने पहनने की पूरी छूट रहती है.
गौर करने वाली बात ये है कि सोनासी कोष्टा समाज के दूसरे गोत्र में बहूओं को सोने के गहने पहनने की पूरी आजादी रहती है लेकिन सोनासी गोत्र में सोने से बने गहने पहनने की परंपरा नहीं है. इसलिए घर की नई बहू को ऐसा करना पड़ता है. सगाई के दिन से ही लड़की(बहू) सोने से बने गहनों को त्याग देती है.
इस समाज के लोग आगे बताते हैं कि सोना उनके पूर्वज को लिए धूल के समान है जिसका लोभ न करते हुए हमें सोने का त्याग करना होता है.
आज के एडवांस जमाने में इस परंपरा का पालन करना खासकर महिलाओं के लिए थोड़ा मुशकिल होता होगा.. तभी सोनासी कोष्टा समाज में कई रिश्ते तो सिर्फ इस वजह से आगे नहीं बढ़ते कि शादी होने के बाद लड़की को सोने के गहनों का भी मोह त्यागना पड़ेगा.
डिस्क्लेमर: यहां बताई गई सभी बातें मीडिया रिपोर्ट्स और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और काल्पनिक चित्रण का ZEEMPCG हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.
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